एरोसोल और नदियों में बहने वाले प्रदूषकों की वजह से बदल रहा है समुद्रों में फास्फोरस चक्र

अध्ययन में मानवजनित नाइट्रोजन पंप की पहचान की गई, जो फास्फोरस चक्र को बदलता है, इसकी वजह से तटीय जैव विविधता और संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में भी बदलाव आ रहा है।
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, एरिन मैगी
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समुद्री फास्फोरस चक्र को लेकर किया गया नया अध्ययन समुद्रों के पारिस्थितिक तंत्र पर मानवजनित गतिविधियों के बुरे प्रभाव को उजागर कर रहा है। यह अध्ययन ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय और चीन के महासागर विश्वविद्यालय की साझेदारी में किया गया है। अध्ययन में तटीय जल में माइक्रोएल्गे या फाइटोप्लांकटन पर एरोसोल और नदियों में प्रदूषकों के बहाव के प्रभाव को देखा गया है।

यहां बताते चलें कि माइक्रोएल्गे या फाइटोप्लांकटन सूक्ष्म शैवाल हैं जो नग्न आंखों से नहीं देखे जा सकते हैं।

नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित अध्ययन में मानवजनित नाइट्रोजन पंप की पहचान की गई, जो फास्फोरस चक्र को बदलता है, इसकी वजह से तटीय जैव विविधता और संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में भी बदलाव आ रहा है।

एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र में, माइक्रोएल्गे, जिसे फाइटोप्लांकटन भी कहा जाता है, मछली, झींगा और जेलीफिश सहित समुद्री जीवों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए भोजन प्रदान करते हैं।

प्रमुख शोधकर्ता हाओयू जिन ने कहा, हमारा काम मानव निर्मित यूट्रोफिकेशन के परिणामों को जानने के लिए आधार प्रदान करता है, जिससे पोषक तत्व बड़े पैमाने पर शैवाल खिलाते हैं और नाइट्रोजन-फॉस्फोरस पोषक संरचना को गड़बड़ी पैदा करते हैं।

विशेष रूप से आर्थिक गतिविधि के कारण तटीय क्षेत्र, जो दुनिया भर में सबसे अधिक उत्पादक हैं, वहां कचरे का उत्पादन बढ़ रहा है जिसमें तरल पदार्थ और एरोसोल शामिल हैं। जो सबसे अधिक नदियों में और उसके बाद वायुमंडल में फैला है।

अध्ययन से पता चलता है कि नदियों और वायुमंडल में बढ़ते इन अपशिष्ट उत्पादों में घुलनशील नाइट्रोजन प्रमुख पोषक तत्व है। हालांकि, जीवन के लिए अन्य पोषक तत्वों की भी आवश्यकता होती है और जो समान रूप से महत्वपूर्ण है वह फॉस्फोरस है। अध्ययनकर्ता ने बताया, हमने जो पाया उसमें नाइट्रेट की मात्रा भी शामिल है। नदियों और वायुमंडल में अपशिष्ट उत्पाद तटीय महासागरों में फास्फेट को इतना कम कर देते हैं कि शैवाल अंततः इस पोषक तत्व द्वारा सीमित हो जाते हैं।

हालांकि, उनमें से कुछ फास्फोरस के एक ढेर तक पहुंचने में सक्षम हैं जो अतीत में तटीय महासागरों में कम भूमिका निभाते थे जिन्हें विघटित कार्बनिक फास्फोरस (डीओपी) के रूप में जाना जाता है। शोधकर्ताओं ने चीन के तटीय समुद्र में कई छोटे प्रयोग किए।

फाइटोप्लांकटन को विकास के लिए आमतौर पर विघटित अकार्बनिक फास्फोरस (डीआईपी) की आवश्यकता होती है, लेकिन चूंकि यह नाइट्रोजन के स्तर में वृद्धि से सीमित है, सूक्ष्म शैवाल विघटित कार्बनिक फास्फोरस (डीओपी) का उपयोग करने के लिए क्षारीय फॉस्फेट की गतिविधि को बढ़ाने में सक्षम हैं।

अध्ययन के हवाले से यूईए के स्कूल ऑफ एनवायर्नमेंटल साइंसेज के सह-शोधकर्ता प्रोफेसर थॉमस मॉक ने कहा, अगर हम ज्यादातर नाइट्रेट युक्त अपशिष्ट उत्पादों के साथ तटीय महासागरों को प्रदूषित करने के मामले में हमेशा की तरह व्यवसाय जारी रखते हैं, तो तटीय जैविक समुदाय बदल जाएंगे।

क्योंकि केवल वे प्राथमिक उत्पादक ही पनपेंगे। जो इसके स्थान पर कार्बनिक फास्फोरस का उपयोग करने में सक्षम हैं। यह मूल रूप से एक विरोधाभास है: यद्यपि हम पोषक तत्वों के साथ तटीय महासागरों को प्रदूषित करते हैं, यह समुद्री जीवों की आवश्यकताओं से मेल खाने वाले पोषक तत्वों के संतुलित सेट के साथ नहीं किया जाता है।

समुद्री माइक्रोबायोटा के संदर्भ में, वे इस खराब आहार से निपटने में सक्षम होने के लिए अपनी विविधता और चयापचय को बदल सकते हैं। हालांकि, क्योंकि  वे प्राथमिक उत्पादकों के रूप में तटीय खाद्य जाल का समर्थन करते हैं, इसलिए तटीय महासागरों द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर असर पड़ेगा, जैसे मत्स्य पालन आदि।

इस मुद्दे पर अधिकांश पिछले अध्ययनों ने खुले महासागरों पर गौर किया, जिनमें आम तौर पर पौधों के पोषक तत्वों का स्तर कम होता है और जहां भौगोलिक पहुंच के कारण नदियों के बहाव का प्रभाव सीमित होता है।

इसके विपरीत, इस कार्य से पता चलता है कि वायुमंडलीय जमाव और नदियों के बहाव चीन के तटीय समुद्रों और संभावित रूप से निकटवर्ती भूमि पर औद्योगिक गतिविधि के साथ अन्य तटीय समुद्रों में फाइटोप्लांकटन के विकास को प्रोत्साहित कर सकते हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि मानवजनित गतिविधियों के प्रभाव में फाइटोप्लांकटन की वृद्धि में मदद करता है, जिसे "मानवजनित नाइट्रोजन पंप" कहा जाता है। जहां फाइटोप्लांकटन बड़ी मात्रा में नाइट्रोजन को अवशोषित करता है, फॉस्फोरस की कमी को बढ़ाते हैं और फाइटोप्लांकटन विकास के लिए डीओपी की जैव उपलब्धता को बढ़ाता है।

इसके अलावा, अध्ययन से यह भी पता चलता है कि डीओपी के हाइड्रोलिसिस और उपयोग को संयुक्त रूप से विघटित अकार्बनिक फास्फोरस और फाइटोप्लांकटन बायोमास की अधिकता के द्वारा नियंत्रित किया जाता है, यह दर्शाता है कि "मानवजनित नाइट्रोजन पंप" द्वारा संचालित प्रक्रिया विभिन्न पोषक स्तरों के साथ विश्व स्तर पर तटीय समुद्रों में व्यापक रूप से मौजूद है।

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