सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के तहत देश भर में जारी किए जाने वाले पीयूसी (पलूशन अंडर कंट्रोल) प्रमाणपत्र का प्रारूप एक जैसा रखने के लिए 14 जून, 2021 को एक अधिसूचना जारी की है। पीयूसीसी की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
इसका उद्देश्य देश भर में एक समान प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसी) प्रारूप की शुरूआत और पीयूसी डेटाबेस को राष्ट्रीय रजिस्टर से जोड़ना है।
इसमें अस्वीकृति पर्ची का प्रावधान पहली बार रखा गया है। क्या है अस्वीकृति पर्ची? : यदि आप वाहन के पीयूसी की जांच करा रहे हैं और जांच के परिणाम में मानक संबंधित उत्सर्जन मानदंडों से अधिक निकलते है तो उसे अस्वीकृति पर्ची या पीयूसी माना जाएगा। इस अस्वीकृति प्रारूप को वाहन मालिक को दिया जाएगा। इस दस्तावेज़ को वाहन की सर्विसिंग के लिए सर्विस सेंटर पर दिखाया जा सकता है या इसका उपयोग किया जा सकता है।
यदि किसी अन्य केंद्र पर परीक्षण के दौरान पीयूसीसी केंद्र उपकरण ठीक से काम नहीं कर रहा है तो सर्विस करने के बाद स्वीकृति पर्ची या पीयूसी लेकर दूसरे केंद्र पर पीयूसीसी करवाई जा सकती है।
अधिसूचना में कहा गया है कि वाहन या वाहन मालिक की जानकारी गोपनीयता होगी, इसके तहत निम्नलिखित होगा-
(अ) वाहन मालिक का मोबाइल नंबर, नाम और पता (ब) इंजन नंबर और चेसिस नंबर (केवल अंतिम चार अंक दिखाई देंगे, अन्य अंक छिपा दिए जाएंगे)
मालिक का मोबाइल नंबर अनिवार्य कर दिया गया है, जिस पर सत्यापन और शुल्क के लिए एक एसएमएस अलर्ट भेजा जाएगा।
यदि प्रवर्तन अधिकारी को यह लगता है कि मोटर वाहन उत्सर्जन मानकों के प्रावधानों का अनुपालन नहीं कर रहा है, तो वह लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से चालक या वाहन के मालिक को वाहन की जांच करने के लिए वाहन जमा करने का निर्देश दे सकता है। अधिकृत प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) परीक्षण स्टेशनों में से किसी एक में इसका परीक्षण किया जा सकता है। यदि चालक या वाहन के लिए जिम्मेदार व्यक्ति अनुपालन के लिए वाहन जमा करने में विफल रहता है, तो वाहन का मालिक दंड के भुगतान के लिए उत्तरदायी होगा।
यदि वाहन का मालिक वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र को प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो पंजीकरण प्राधिकारी, लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए, वाहन के पंजीकरण के प्रमाण पत्र और किसी भी परमिट को तब तक निलंबित कर सकता है, जब तक कि एक वैध "प्रदूषण नियंत्रण" प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया जाएगा।
इस प्रकार, प्रवर्तन आईटी-सक्षम होगा और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर बेहतर नियंत्रण में मदद करेगा।
अधिसूचना में बताया गया है कि प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र के प्रारुप में क्यूआर कोड छपा होगा। इसमें प्रदूषण नियंत्रण केंद्र (पीयूसी) के बारे में पूरी जानकारी होगी।
देश में क्यों बढ़ रहे है निजी वाहन?
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट का कहना है कि इसकी जड़ में शहरों में सार्वजनिक परिवहन की कमी और विफलता है। 10 लाख से अधिक आबादी वाले 35 भारतीय शहरों में से केवल आठ के पास प्रभावी बस सेवाएं हैं। छोटे शहर तो और भी विवश हैं। बाधाओं के बावजूद, कुछ बड़े महानगरों में सार्वजनिक परिवहन यात्रा की मांगों को पूरा करते हैं। लेकिन सरकारों के पास इस कैप्टिव राइडरशिप को बचाने और बढ़ाने की कोई नीति नहीं है।