राधा और श्याम कुंड में हैजा के जीवाणु, एनजीटी ने दिया जांच का आदेश

एनजीटी ने दोनों कुंड के पानी की जांच कर रिपोर्ट के लिए जिलाधिकारी और यूपीपीसीबी व नगर निगम को दो महीनों का वक्त दिया है।
Photo : wikimedia commons
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उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में अरिता गांव स्थित प्रमुख और प्राचीन राधा कुंड व श्याम कुंड में घरेलू कचरा और सीवेज की निकासी से क्षेत्र में हैजा फैलने का डर पैदा हो गया है। इसकी शिकायत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में की गई है। याचिका में आरोप है कि इन दोनों कुंड के पानी नमूनों की जांच में हैजा के जीवाणु पाए गए हैं। कुंड का पानी पीने योग्य नहीं रह गया है। साथ ही फूड-प्वॉइजनिंग होने का खतरा भी है। कुंड के पानी की जांच आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज ने की है।

इन आरोपों पर गौर करन के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और मथुरा के जिलाधिकारी व मथुरा-वृंदावन नगर निगम को दो महीनों में संयुक्त जांच कर रिपोर्ट दाखिल का आदेश दिया है। पीठ ने कहा है कि इस संयुक्त जांच की नोडल एजेंसी यूपीपीसीबी होगी। एनजीटी ने इस आदेश की प्रति सभी प्राधिकरणों को ई-मेल के जरिए भेजने का आदेश दिया है।

कई हजार श्रद्धालु आस्था व कामना लेकर राधा कुंड और श्याम कुंड में स्नान व आचमन करते हैं। वहीं, इन कुंड का पानी पीने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। याचिकाकर्ता व सामाजिक कार्यकर्ता सुशील राघव की ओर से दाखिल याचिका में एसएन मेडिकल कॉलेज की जांच रिपोर्ट भी एनजीटी में दाखिल की गई है।

आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज ने दोनों कुंड के पानी को लेकर माइक्रोबायोलॉजिकल जांच की थी। इस सूक्ष्म जांच में पाया गया है कि पानी में न सिर्फ हैजा फैलाने वाले जीवाणु हैं बल्कि इसका पानी इस्तेमाल करने से फूड प्वॉइजनिंग भी हो सकती है।

इसके अलावा राजस्थान के भरतपुर स्थित एमएसजे पीजी कॉलेज ने भी अपने अध्ययन में यह स्पष्ट किया है कि राधा व श्याम कुंड के पानी में क्षार, भारीपन, क्लोराइड, सल्फेट भी विश्व स्वास्थ्य संगठन व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के तय मानकों से ज्यादा मात्रा में मौजूद है। इसकी वजह से डायरिया के मामले भी बढ़े हैं।

हाल ही में एनजीटी ने यूपी सरकार को इन दोनों प्राचीन कुंडों के संरक्षण और साफ-सफाई को लेकर यूपी सरकार को एक अलग से श्राइन बोर्ड बनाने का भी आदेश दिया था। इसके अलावा कुंड की सफाई को लेकर पारंपरिक तरीका अपनाने साथ ही इस विकल्प पर भी काम करने का आदेश दिया था कि कैसे कुंड का पानी सोख कर उसे साफ कर वापस कुंड में डाला जाए। गोवर्धन पर्वत और परिक्रमा मार्ग के संरक्षण को लेकर दिए गए विस्तृत आदेशों की समीक्षा भी अभी एनजीटी में चल रही है।

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