मेघालय में अवैध खनन रोकने के लिए एनजीटी ने बनाई समिति

इस समिति को मेघालय में गैर वैज्ञानिक और अवैध तरीके से हो रहे खनन की रोकथाम, जनस्वास्थ्य की रक्षा और पर्यावरण को बचाने के लिए गठित किया गया है
मेघालय में अवैध खनन रोकने के लिए एनजीटी ने बनाई समिति
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मेघालय में अवैध और गैर वैज्ञानिक तरीके से हो रहे खनन को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक 12 सदस्यीय समिति गठित की है। इस समिति को मेघालय में गैर वैज्ञानिक और अवैध खनन की रोकथाम के लिए गठित किया गया है। साथ ही, इसका उद्देश्य पर्यावरण को फिर से बहाल करना, पीड़ितों का पुनर्वास करना और अवैध रूप से खनन किए गए कोयले का प्रबंधन करना है। पर्यावरण मंत्रालय के अपर सचिव को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।

पूरा मामला मेघालय में कोयला खनन से जुड़ा है। जिसके चलते उन खानों में काम करने वाले मजदूरों का जीवन खतरे में पड़ गया था, साथ ही इसके कारण पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। एनजीटी में जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले पर 01 मार्च 2021 को एक आदेश जारी किया है। जिसमें अवैध खनन को देखते हुए एक समिति गठित करने का आदेश दिया गया है। यह आदेश 15 मार्च 2021 को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।

अपने आदेश में पीठ ने कहा है कि चूंकि कोर्ट और उसके द्वारा बनाई समितियां इसकी निगरानी हमेशा नहीं कर सकते ऐसे में इसकी निगरानी 12 सदस्यीय समिति द्वारा की जाएगी। यह समिति महीने में एक बार बैठक करेगी और स्थिति का जायजा लेगी। साथ ही इस मामले में भावी कार्ययोजनाएं बनाएगी। साथ ही समिति पर गैर वैज्ञानिक और अवैध खनन को रोकने और पहले से ही खनन किए गए कोयले और अन्य सामग्री के निपटान की जिम्मेवारी होगी। साथ ही इस समिति पर इस मामले में उच्चतम न्यायालय एवं प्राधिकरण द्वारा दिए पिछले आदेशों के क्रियान्वयन का भी जिम्मा होगा।

प्राकृतिक संसाधनों, पर्यावरण और जनस्वास्थ्य की रक्षा के लिए बाध्य है राज्य सरकार

गौरतलब है कि पाबन्दी के बावजूद मेघालय में अभी भी अवैध खनन 'रैट होल माइनिंग' जारी है। अपने आदेश में एनजीटी ने साफ कर दिया कि जन विश्वास सिद्धांत के तहत राज्य सरकार दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों को बचाने और पर्यावरण एवं जनस्वास्थ्य की रक्षा के काम करने के लिए बाध्य है।

यह मामला 06 जुलाई 2012 को उस समय सामने आया था जब एक समाचार में 30 कोयला मजदूरों के खदान में फंसे होने की खबर सामने आई थी जिनमें से 15 की मौत हो गई थी। 17 अप्रैल 2014 को इस मामले पर विचार करने के बाद एनजीटी ने मेघालय में रैट होल माइनिंग पर रोक लगा दी थी साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वो सुनिश्चित करे की अगले आदेश तक राज्य में किसी भी तरह से कोयले का अवैध परिवहन नहीं होगा।

इस आदेश के आधार पर राज्य में अवैध खनन को जांचने के लिए 09 जून 2014 को एक समिति गठित की गई थी। जिसके द्वारा 07 अक्टूबर 2017 को जारी रिपोर्ट से पता चला था कि राज्य में अवैध खनन के जरिए राज्य में करीब  63 लाख टन कोयला इकठ्ठा है, जिसकी कीमत करीब 307 करोड़ रुपए है। इस मामले पर 31 जुलाई 2015 को भी एक आदेश ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा जारी किया गया था। इसके बाद पिछली कार्यवाहियों के आधार पर 31 अगस्त 2018 को राज्य में रैट होल माइनिंग और कोयले के परिवहन को अवैध घोषित कर दिया गया था। साथ ही इसके नियंत्रण की जिम्मेवारी राज्य सरकार को सौंप दी गई थी। इसके बाद 13 दिसंबर 2018 को एक बार फिर 15 खनिकों के खदान में फंसे होने की खबर सामने आई थी। जिस पर ट्रिब्यूनल द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य में अभी भी अवैध खनन बदस्तूर जारी है।

उस समय कोयले को 23,25,663.54 मीट्रिक टन मापा गया था। साथ ही कोर्ट ने इसके पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को मापने के लिए अलग से अध्ययन करने की सिफारिश की गई थी। कोर्ट ने पर्यावरण की बहाली के लिए कार्य योजना तैयार करने की बात कही थी। वहीं राज्य सरकार द्वारा अपना काम ठीक से न करने के लिए जुर्माने के तौर पर 100 करोड़ रुपए सीपीसीबी के पास जमा कराने की बात कही थी जिससे पर्यावरण की बहाली की जा सके।

इस मामले पर अगली सुनवाई 11 अप्रैल 2019 और 02 अगस्त 2019 को समिति द्वारा जारी रिपोर्ट के आधार पर 22 अगस्त 2019 को सुनवाई की गई थी। इस मामले पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी 03 जुलाई 2019 को आदेश जारी किया था। 26 नवंबर 2019 को सीपीसीबी ने भी इस मामले पर एक रिपोर्ट सबमिट की थी। जिसमे पर्यावरण की बहाली की बात की गई थी। साथ ही इस बीच इस मामले पर कई बार सुनवाई हुई है और समिति ने अपनी कई रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश की है। 17 जनवरी 2020 को भी इस मामले पर एनजीटी ने आदेश जारी किया था। 27 जुलाई 2020 को भी इस मामले पर एक आदेश जारी किया गया था। इस मामले में 14 जनवरी 2021 को कोर्ट के सामने समिति ने अपनी आठवीं रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। जिसके आधार पर एनजीटी ने अपना यह आदेश जारी किया है।

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