नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नरसिंहपुर में रासायनिक और बायोमेडिकल कचरे के प्रबंधन में पर्यावरण नियमों के होते उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति को निर्देश दिया है। मामला मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर का है।
15 जनवरी, 2024 को दिए अपने आदेश में अदालत ने कहा है कि बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का पालन हो रहा है या नहीं इसकी जांच के लिए नरसिंहपुर जिले में अस्पतालों की संख्या और वो कितना कचरा पैदा कर रहे हैं इसकी जानकारी जरूरी है। इस कचरे के निपटान के लिए मौजूदा सुविधा और उनकी क्षमता कितनी है इसके बारे में भी पता होना चाहिए। साथ ही जिस बायोमेडिकल ठोस कचरे को ट्रीटमेंट के बिना निपटाया गया है, उसकी मात्रा की भी जानकारी होनी चाहिए।
कोर्ट के मुताबिक बायोमेडिकल कचरे के उपचार के लिए सुविधा की उपलब्धता एवं प्रतिदिन निपटान क्षमता का भी पता होना चाहिए, साथ ही यह सुविधाएं कितनी दूर स्थित है इसके बारे में भी जानकारी का होना जरूरी है। इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का पालन न करने के संबंध में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा की गई कार्रवाई की भी जानकारी मांगी है।
साथ ही इस मामले में क्या कदम उठाए गए हैं और इससे निपटने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए, इस बारे में भी कोर्ट ने समिति से जानकारी देने को कहा है। आरोप है कि शहर में इकट्ठा होने वाला सारा रासायनिक और बायोमेडिकल कचरा, खासकर नरसिंगपुर जिले के शंकराचार्य वार्ड से, सीधे बरमान नदी में डाला जा रहा है, जो नर्मदा नदी में मिल रहा है।
तर्क दिया गया है कि यह पूरा कचरा नर्मदा नदी में मिल रहा है, जो कई बीमारियों का कारण बन रहा है। इससे नदी के पानी की गुणवत्ता में भी गिरावट आ रही है, जो शहर में पीने के पानी का एक स्रोत भी है।
साल्ट लेक में निर्माण के लिए क्यों किया गया तालाब का भराव, एनजीटी ने अधिकारियों से मांगा जवाब
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने अधिकारियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। मामला कोलकाता के साल्ट लेक में निर्माण उद्देश्यों के लिए एक जलाशय के भराव से जुड़ा है।
11 जनवरी 2024 को दिए अपने इस आदेश में एनजीटी ने पश्चिम बंगाल पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव, मत्स्य पालन विभाग के प्रधान सचिव, पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बिधाननगर नगर निगम, और उत्तर 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस देने को कहा है।
कोर्ट ने इन सभी से चार सप्ताह के भीतर उनका जवाब मांगा है और इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 7 फरवरी, 2024 को होगी।
गौरतलब है कि पांच जनवरी, 2024 को 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' में प्रकाशित एक खबर के आधार पर कोर्ट ने इस मामले को स्वत: संज्ञान में लिया है। इस खबर के मुताबिक साल्ट लेक में तालाब को निर्माण उद्देश्यों के लिए एक सप्ताह के अंदर भर दिया गया था। यह जल स्रोत अब कचरे और मलबे से भर गया है।
दरधा नदी में की जा रही कचरा की डंपिंग, एनजीटी ने जांच के दिए निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दो सदस्यीय समिति से जहानाबाद की दरधा नदी में डाले जा रहे कचरे के मामले की जांच करने को कहा है। इस समिति में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक और जहानाबाद के जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे।
11 जनवरी 2024 को दिए अपने इस आदेश में कोर्ट ने समिति से साइट का दौरा करने और चार सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट सौंपने को कहा है। इसके अतिरिक्त, एनजीटी ने बिहार पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित अन्य संस्थाओं को भी नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि 26 नवंबर, 2023 को 'हिन्दुस्तान' में प्रकाशित एक समाचार के आधार पर इस मामले में एनजीटी ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था। इस खबर के मुताबिक दरधा नदी में हो रही कचरे की डंपिंग के चलते बिहार के जहानाबाद शहर में प्रदूषण बढ़ रहा है।
इस समाचार रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि जहानाबाद शहर के सभी नालों का गंदा पानी सीधे नदी में गिरता है। इसके साथ ही छोटे घरेलू उद्योगों से निकलने वाले केमिकल और मेडिकल वेस्ट भी इसमें डाला जा रहा है।
खबर के अनुसार, इतना सब होने के बावजूद बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दरधा नदी की सुरक्षा के लिए कोई प्रयास नहीं किए हैं। प्रशासनिक लापरवाही और आम लोगों में जागरुकता की कमी के चलते कई भू-माफिया नदी किनारे अवैध निर्माण में लगे हैं, यहां तक कि कुछ लोग सीधे नदी तल पर भी निर्माण कर रहे हैं।