महाराष्ट्र और गुजरात के लिए साल 2022-23 की सर्दियां चार वर्षों में सबसे ज्यादा प्रदूषित रही। यह जानकारी ग्लोबल थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा जारी नए विश्लेषण में सामने आई है।
गौरतलब है कि सीएसई की अर्बन लैब ने 1 अक्टूबर, 2022 से 28 फरवरी, 2023 के बीच पश्चिमी राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात में वायु गुणवत्ता के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। यह विश्लेषण दोनों राज्यों के 17 शहरों में कार्यरत 58 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों से रियल टाइम में प्राप्त आंकडों पर आधारित है।
विश्लेषण के मुताबिक नागपुर ने पिछली सर्दियों की तुलना में 105 फीसदी की वृद्धि के साथ प्रदूषण में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की है। वहीं नवी मुंबई में पिछली तीन सर्दियों की तुलना में औसत से 59 फीसदी और वापी में प्रदूषण का औसत स्तर 38 फीसदी ज्यादा था।
वही इसके विपरीत पिछले मौसमों की तुलना में देखें तो इस बार कल्याण की वायु गुणवत्ता में सबसे ज्यादा करीब 23 फीसदी का सुधार आया है। इसके बाद पुणे में 19 फीसदी, अंकलेश्वर में 18 फीसदी, अहमदाबाद में 10 फीसदी और वातवा में पिछले वर्षों की तुलना में पीएम 2.5 के स्तर में पांच फीसदी सुधार हुआ है।
इस बाबत जारी रिपोर्ट के अनुसार दोनों राज्यों में सर्दियों के दौरान होने वाला प्रदूषण आमतौर पर नवंबर के अंत और दिसंबर की शुरुआत में शुरू होता है, जब ठंडा और शांत वातावरण स्थानीय प्रदूषण को जकड़ लेता है।
इस रिपोर्ट में पश्चिमी राज्यों के जिन 15 शहरों का अध्ययन किया गया है उनमें अहमदाबाद, अंकलेश्वर, गांधीनगर, नंदेसरी, वापी, वातवा, मुंबई, नवी मुंबई, पुणे, औरंगाबाद, चंदापुर, कल्याण, नासिक, नागपुर और सोलापुर शामिल थे।
विश्लेषण के मुताबिक तटीय जलवायु होने की वजह से जो प्राकृतिक वेंटिलेशन का लाभ मिला है उसके बावजूद क्षेत्र में बढ़ता स्थानीय प्रदूषण, क्षेत्रीय प्रभाव को उजागर करता है। पता चला है कि गुजरात में पीक पॉल्यूशन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन वो महाराष्ट्र के लिए भी एक गंभीर समस्या है।
आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा प्रदूषित क्षेत्र ग्रेटर मुंबई में रहा। वहीं अहमदाबाद, कल्याण, नागपुर और नंदेसरी में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड में होते वृद्धि के साथ यह क्षेत्र कई प्रदूषकों का सामना करने को मजबूर है।
सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं प्रदूषण की समस्या
सीएसई में रिसर्च और एडवोकेसी की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी का कहना है कि, "तथ्य यह है कि बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे शहरों में भी सर्दियों के दौरान पीएम2.5 के स्तर में वृद्धि हुई है, जो इस क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या के तेजी से फैलने की ओर इशारा करता है।"
देखा जाए तो गुजरात में 2019 के बाद से शीतकालीन प्रदूषण में कमी आई है, लेकिन इस सर्दी प्रदूषण का स्तर और बढ़ गया है। औसत रूप से देखा जाए तो दोनों राज्यों में गुजरात ज्यादा प्रदूषित था, जहां सर्दियों का औसत प्रदूषण 73 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। गुजरात ने पिछली तीन सर्दियों के औसत की तुलना में प्रदूषण में छह फीसदी की वृद्धि दर्ज की है।
वहीं रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में पिछली तीन सर्दियों के औसत की तुलना में इस बार प्रदूषण का स्तर 13 फीसदी बढ़ा है। जो 2022-23 की सर्दियों में 66 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा।
वहीं पश्चिमी शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो पिछले चार वर्षों में इस बार सर्दियां कहीं ज्यादा प्रदूषित रही। जब सर्दियों के दौरान पश्चिमी शहरों में पीएम2.5 का औसत स्तर 69 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। देखा जाए तो यह पिछली तीन सर्दियों के औसत प्रदूषण की तुलना में 10 फीसदी ज्यादा है।
इसी तरह किसी दिन में प्रदूषण के औसत दैनिक शिखर को देखें तो वो 24 अक्टूबर, 2022 को दिवाली के अगले दिन दर्ज किया गया था जब क्षेत्र का औसत दैनिक प्रदूषण का सतर 127 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया था। जो पिछली सर्दियों की तुलना में 25 फीसदी ज्यादा था।
गुजरात में इस दौरान प्रदूषण का औसत उच्चतम स्तर 24 अक्टूबर 2022 को दर्ज किया गया जब प्रदूषण का स्तर 158 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया था। जो पिछले चार सर्दियों में सबसे ज्यादा है और पिछली तीन सर्दियों के औसत की तुलना में 19 फीसदी ज्यादा था।
वहीं महाराष्ट्र में प्रदूषण का औसत उच्चतम स्तर दो दिसंबर 2022 को दर्ज किया गया था जब वो 112 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया जो 2021-22 की सर्दियों की तुलना में थोड़ा कम है। लेकिन पिछली तीन सर्दियों के औसत प्रदूषण की तुलना में करीब दस फीसदी ज्यादा है।
सीएसई में अर्बन लैब से जुड़े सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अविकल सोमवंशी ने डाउन टू अर्थ को बताया कि “कुल मिलकर देखें तो गुजरात में प्रदूषण का स्तर अधिक है, लेकिन वो महाराष्ट्र में भी तेजी से बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर मुंबई और नवी मुंबई हैं। वहीं वापी और सूरत गुजरात के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार रहे। वहीं नागपुर को देखें तो 105 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ वहां प्रदूषण में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है।“
नवी मुंबई और वापी रहे प्रदूषण के हॉटस्पॉट
यदि इन दोनों राज्यों में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों को देखें तो नवी मुंबई और वापी सबसे प्रदूषित शहर थे। जहां वापी में सर्दियों के दौरान औसत पीएम 2.5 का स्तर 128 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, वहीं नवी मुंबई में यह 107 और सूरत में 103 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा।
दूसरी तरफ गुजरात में गांधीनगर सबसे साफ-सुथरा शहर था, जहां पीएम 2.5 औसत स्तर 45 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। वहीं महाराष्ट्र के सोलापुर में भी मौसमी औसत 45 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। लेकिन इस शहर के बारे में 36 दिनों के आंकड़े उपलब्ध नहीं थे।
इसी तरह आंकड़े दर्शाते है कि दीवाली के समय कई शहरों में प्रदूषण के स्तर में इजाफा देखा गया। शहरों में दीवाली की रात प्रदूषण का स्तर पिछले सात दिनों के औसत की तुलना में एक से 5.9 गुणा तक बढ़ गया था।
इस मामले में अहमदाबाद अव्वल रहा जहां दीवाली की रात पीएम 2.5 का स्तर 393 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया जो पिछले सात दिनों के औसत की तुलना में करीब छह गुणा ज्यादा था।
इसके बाद चंद्रपुर में 4.6 गुणा ज्यादा प्रदूषण था। इस क्षेत्र में दीवाली की रात मुंबई और नागपुर में सबसे साफ-सुथरी रही जहां प्रदूषण का स्तर क्रमशः 70 और 75 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। इसके बाद नासिक में पीएम 2.5 का स्तर 85 माइक्रोग्राम प्रति घन दर्ज किया गया।
ऐसे में यह रिपोर्ट वाहनों, उद्योगों, खुले में कचरा जलाने, लैंडफिल में लगने वाली आग, घरों में ठोस ईंधन के उपयोग, निर्माण और धूल के साथ-साथ अन्य स्रोतों से हो रहे उत्सर्जन में तत्काल कटौती की मांग करती है, जिससे हवा में घुलते इस प्रदूषण के जहर को रोका जा सके।
इस बारे में सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमति रॉय चौधरी का कहना है कि “क्षेत्र में विभिन्न स्रोतों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल व्यापक पैमाने पर रोडमैप और बहु-क्षेत्रीय कार्य योजना को लागू करने की दरकार है।"
देश और अपने शहर में वायु गुणवत्ता की ताजा स्थिति के बारे में अपडेट आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर से प्राप्त कर सकते हैं।