

मध्य प्रदेश इस साल पराली जलाने में सबसे आगे है, जिसमें 14,165 घटनाएं दर्ज की गई हैं।
उत्तर प्रदेश और पंजाब क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
पिछले वर्षों की तुलना में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में वृद्धि देखी गई है।
इस साल पराली में आग की जितनी घटनाएं हुई हैं, उनमें करीब आधी अकेले मध्य प्रदेश की हैं। नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोईकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस (सीआरईएएमएस) के अनुसार, इस साल छह राज्यों- मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में अब तक पराली में आग की कुल 28,529 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इनमें से 14165 घटनाएं मध्य प्रदेश, 5803 घटनाएं उत्तर प्रदेश, 5092 घटनाएं पंजाब, 2841 घटनाएं राजस्थान, 623 घटनाएं हरियाणा और 5 घटनाएं दिल्ली की हैं।
इन छह राज्यों के 191 जिलों में से जिन 10 जिलों में सबसे अधिक पराली जलाई गई है, उनमें से 7 मध्य प्रदेश के हैं। इनमें श्योपुर, होशंगाबाद, दतिया, जबलपुर, ग्वालियर, सिवनी और सतना शामिल हैं। इन 10 जिलों में राजस्थान का हनुमानगढ़, पंजाब का तरणतारण और संगरूर भी शामिल है।
साल 2024 में 15 सितंबर 30 नवंबर के बीच 37602 पराली में आग की घटनाओं में भी सबसे अधिक योगदान मध्य प्रदेश का था। राज्य में 16360 ऐसी घटनाएं हुई थीं। 10909 पराली में आग की घटनाओं के साथ पंजाब दूसरे स्थान पर था जबकि हरियाणा में 1402, उत्तर प्रदेश में 6142, दिल्ली ने 13 और राजस्थान में 2772 घटनाएं दर्ज की गई थीं।
2024 और 2025 के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि पंजाब और हरियाणा में पराली में आग की घटनाओं में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है जबकि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में स्थितियों में बदलाव नहीं हुआ है। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि उत्तर प्रदेश में इस साल पंजाब से अधिक पराली में आग लगाई गई और वह पहली बार दूसरे स्थान पर आ गया है।
धान की पराली में आग के लिए पंजाब और हरियाणा काफी समय से बदनाम रहे हैं और दिल्ली में वायु गुणवत्ता के खराब होने के लिए एक बड़ा वर्ग इन्हें दोषी ठहराता रहा था। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि इन दोनों राज्यों ने पराली में आग की घटनाओं को काफी हद तक नियंत्रित किया है जबकि अन्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में इन पर नियंत्रण नहीं लगा है।
2023 से 2025 की तुलना करने पर पता चलता है कि पंजाब में ऐसी घटनाएं 36663 से घटकर 5092 और हरियाणा में 2303 से घटकर 623 हो गई है। वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में 12500 से बढ़कर 14165, उत्तर प्रदेश में 3996 से बढ़कर 5803 और राजस्थान में 1775 से बढ़कर 2841 तक पहुंच गईं हैं। अभी सीजन का करीब हफ्ता भर बाकी है। 30 सितंबर तक 2025 का आंकड़ा और बढ़ सकता है।
2022 में मध्य प्रदेश (11,737 घटनाएं) पंजाब (49,922 घटनाएं) के बाद दूसरे स्थान पर था लेकिन राज्य का कोई भी जिला 10 प्रमुख पराली में आग वाले जिलों में शामिल नहीं था। इसी तरह 2021 में मध्य प्रदेश में धान की पराली में आग की कुल 8,160 घटनाएं दर्ज की गईं और वह पंजाब (71,304) के बाद दूसरे स्थान पर था।
लेकिन पिछले दो वर्षों में हालात बदल चुके हैं। मध्य प्रदेश पंजाब को पछाड़कर सबसे अधिक पराली में आग लगाने वाला राज्य बन गया है। मध्य प्रदेश का श्योपुर जिला पिछले वर्ष की तरह इस साल भी देश में सबसे अधिक पराली में आग लगाने वाला जिला बना हुआ है।
इस साल 2,325 पराली में आग की घटनाएं श्योपुर में हुईं हैं। पिछले वर्ष 30 सितंबर तक यहां 2,508 घटनाएं रिकॉर्ड हुई थीं। डाउन टू अर्थ ने इसके कारणों की तह में जाने के लिए अपने दौरे के दौरान पाया था कि श्योपुर में खेती की बदली प्रवृत्ति इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है। धान का बढ़ता चलन मॉनसून और जलवायु में आ रहे बदलावों का मिलाजुला नतीजा है।