प्रकाश प्रदूषण से सख्त हो रही हैं पेड़ों की पत्तियां, घट रहे हैं पोषक तत्व : शोध

अध्ययन में पाया गया है कि कृत्रिम प्रकाश के कारण पौधों में होने वाले किसी भी परिवर्तन का पारिस्थितिकी तंत्र पर अहम प्रभाव पड़ सकता है
फोटो:  प्रकाश प्रदूषण के कारण हम रात को आकाश में चीजों को स्पष्ट तौर पर नहीं देख पाते, द्वारा :  विकीमीडिया कॉमन्स
फोटो: प्रकाश प्रदूषण के कारण हम रात को आकाश में चीजों को स्पष्ट तौर पर नहीं देख पाते, द्वारा : विकीमीडिया कॉमन्स
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फंटियर्स इन प्लांट साइंस जर्नल में प्रकाशित अपने एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि रात भर जलने वाली स्ट्रीट लाइट पेड़ की पत्तियों को इतना सख्त कर देती हैं कि कीट उसे खा नहीं पाते। इससे खाद्य श्रृंखला के साथ ही शहरों की जैव विविधता पर खतरा मंडराने लगा है।

इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए वैज्ञानिकों ने हमेशा प्रकाश के संपर्क में रहने वाले जापानी पेगौडा पौधे और बीजिंग में ग्रीन एश ट्री की जांच की। उन्होंने पाया कि प्रकाश के संपर्क से उनकी पत्तियां सख्त हो गई हैं और उनके पोषक तत्व कम हुए हैं। इन सख्त पत्तियों पर कीटों का पलना कम हो गया है जिससे शहरी खाद्य श्रृंखला मुख्य रूप से प्रभावित हो रही है।

अध्ययन के अनुसार, प्रकाश प्रदूषण सर्कैडियन रिदम और दुनियाभर में पारिस्थितिक तंत्र को बाधित करता है लेकिन जो पौधे प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश पर निर्भर हैं, उन पर इसका प्रभाव गंभीर हो सकता है।

चाइनीज अकैडमी ऑफ साइंसेस के वैज्ञानिक व अध्ययनकर्ता शुआंग जैंग का कहना है, “हमने यह पाया था कि प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों की पेड़ों की पत्तियां कीटों से कम प्रभावित रहती हैं। हम यह जानने के इच्छुक थे कि ऐसा क्यों है?”

अध्ययन के अनुसार, कृत्रिम प्रकाश ने रात की चमक को करीब 10 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। दुनिया की अधिकांश आबादी हर रात प्रकाश प्रदूषण को महसूस कर रही है। अध्ययन में कहा गया है कि पौधों के गुण अन्य पौधों और जानवरों के साथ उनकी पारस्परिक क्रिया को प्रभावित करते हैं, इसलिए कृत्रिम प्रकाश के कारण पौधों में होने वाले किसी भी परिवर्तन का पारिस्थितिकी तंत्र पर अहम प्रभाव पड़ सकता है।

जैंक का कहना है कि कीटों से होने वाले नुकसान से बची रहने वाली पत्तियां लोगों को राहत दे सकती हैं, लेकिन कीटों को नहीं।

वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन के लिए 30 सैंपलिंग स्थलों को चुना जो रातभर रोशन रहने वाली मुख्य सड़कों से करीब 100 मीटर दूर थे। यहां हर स्थान का उन्होंने कृत्रिम प्रकाश का स्तर मापा। उन्होंने जापानी पैगोडा व ग्रीन ऐश पेड़ की लगभग 5,500 पत्तियों को एकत्रित किया गया। साथ ही पत्तियों का कीटों के शाकाहारी स्वभाव तथा कृत्रिम प्रकाश से प्रभावित होने वाले गुणों, जैसे आकार, कठोरता, जल की मात्रा एवं पोषक तत्वों और रसायन सुरक्षा के स्तर का मूल्यांकन किया गया। दोनों प्रजाति के पेड़ों के लिए उच्च कृत्रिम प्रकाश में रहने का अर्थ था पत्तियों का सख्त होना। पत्तियां जितनी सख्ती थीं, कीटों का आना उतना की कम पाया गया। जैंक के मुताबिक, संभव है कि रात के कृत्रिम प्रकाश के संपर्क में रहने से प्रकाश संश्लेषण की अवधि बढ़ गई हो। इससे संभव है कि पत्तियों के फाइबर जैसे गुण बदल गए हों और पत्तियां सख्त हो गई हों।

जैंक के मुताबिक, वनस्पति की गुणवत्ता में गिरावट की वजह से उसे खाने वाले कीटों की संख्या गिरती है जिसका नतीजा यह निकलता है कि शिकारी कीट, कीट खाने वाले पक्षी ज्यादा दिखाई नहीं देते। कीटों की घटती संख्या दुनियाभर में देखी जा रही है, हमें इस प्रवृत्ति पर ध्यान देने की जरूरत है।  

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