
सदन में उठाए गए एक सवाल के लिखित जवाब में आज, जल शक्ति राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने लोकसभा में राज्यों द्वारा दी गई जानकारी का हवाला दिया। सोमन्ना ने कहा कि जल जीवन मिशन (जेजेएम) की शुरुआत के बाद से, लगभग 7,746 फ्लोराइड प्रभावित और 13,706 आर्सेनिक प्रभावित बस्तियां आज की तारीख तक पाइप जलापूर्ति योजनाओं के अंतर्गत आ गई हैं।
देश में इन 7,746 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में से 4,177 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियां राजस्थान में थीं। राजस्थान में इन 4,177 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में से 480 और 92 बस्तियां क्रमशः जालौर और सिरोही जिले से थीं, जिनके बारे में अब राज्य सरकार द्वारा बताया गया है कि उन्हें जेजेएम पाइप जलापूर्ति योजनाओं के माध्यम से कवर किया गया है। इसके अलावा आज की तारीख तक देश में 250 फ्लोराइड और 314 आर्सेनिक प्रभावित ग्रामीण बस्तियां शेष हैं, जहां जेजेएम मानकों के अनुरूप पाइप जलापूर्ति योजनाएं अभी तक चालू नहीं हुई हैं।
हालांकि इन सभी बस्तियों (फ्लोराइड के लिए 250 और आर्सेनिक के लिए 314) को सामुदायिक आधारित जल शोधन संयंत्रों के माध्यम से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया गया है, जो विशुद्ध रूप से एक अंतरिम उपाय है, ताकि पीने और खाना पकाने की आवश्यकताओं के लिए आठ से 10 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन (एलपीसीडी) की दर से हर घर को पीने योग्य पानी उपलब्ध कराया जा सके।
देश में बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के लिए धन
बैटरी ऊर्जा भंडारण को लेकर सदन में पूछे गए एक पश्न के उत्तर में आज, विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने लोकसभा में बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने छह सितंबर, 2023 को बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (बीईएसएस) के लिए व्यवहार्यता अंतर निधि (वीजीएफ) योजना को मंजूरी दी, ताकि बीईएसएस के विकास का समर्थन किया जा सके।
योजना के मुताबिक, 2023-26 के दौरान स्वीकृत बीईएसएस के लिए वीजीएफ सहायता प्रदान की जाएगी। धन का वितरण पांच किस्तों में होगा: परियोजना के वित्तीय समापन पर 10 फीसदी, व्यावसायिक संचालन तिथि (सीओडी) हासिल करने पर 45 फीसदी और सीओडी से अगले तीन सालों में हर साल 15 फीसदी। बैटरी की कीमतों में गिरावट के साथ, योजना की क्षमता 3,760 करोड़ रुपये के स्वीकृत बजटीय आवंटन के भीतर रहते हुए 4000 मेगावाट से बढ़ाकर 13,200 मेगावाट कर दी गई है।
देश में जलविद्युत परियोजनाएं
सदन में उठे एक सवाल का जवाब देते हुए आज, विद्युत मंत्री मनोहर लाल ने लोकसभा में कहा कि देश में पिछले पांच वर्षों और चालू वर्ष (2020-21 से 2024-25) (2 अप्रैल 2025 तक) के दौरान 1,883 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता वाली कुल 12 जलविद्युत परियोजनाएं (क्षमता 25 मेगावाट से अधिक) चालू की गई हैं।
मंत्री ने कहा कि देश में कुल 26 जलविद्युत परियोजनाएं (क्षमता 25 मेगावाट से अधिक) निर्माणाधीन हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 13,238 मेगावाट है।
ग्लेशियर से बनी झीलें और जल निकाय
सदन में पूछे गए एक सवाल के जवाब में आज, केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा में बताया कि सरकार हिमालयी इलाकों में ग्लेशियर से बनी झीलों और अन्य जल निकायों के तेजी से विस्तार से अवगत है। जल शक्ति मंत्रालय के तहत केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) भारत में ग्लेशियर से बनी झीलों की निगरानी के लिए नोडल एजेंसी है।
सिंह ने कहा कि सीडब्ल्यूसी, रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग करते हुए, हर साल जून से अक्टूबर की अवधि के के दौरान भारतीय नदी घाटियों के हिमालयी क्षेत्र में राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) द्वारा तैयार की गई ग्लेशियल लेक इन्वेंटरी 2011 से शामिल 10 हेक्टेयर से बड़े आकार के 902 ग्लेशियर से बनी झीलों और जल निकायों की निगरानी करता है। इस निगरानी की विस्तृत मासिक और वार्षिक रिपोर्ट प्रवृत्ति विश्लेषण के साथ सीडब्ल्यूसी के द्वारा उनकी वेबसाइट पर प्रकाशित की जाती है।
राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत
बाघों की मौत को लेकर सदन में उठाए गए एक और सवाल के जवाब में आज, केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा में बताया कि राज्य द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले दो सालों में रणथंभौर टाइगर रिजर्व में आपस में हुए क्षेत्रीय संघर्ष में दो बाघों की मौत हुई है।
रणथंभौर टाइगर रिजर्व की स्वीकृत वैधानिक बाघ संरक्षण योजना के अनुसार, टाइगर रिजर्व में बाघों की वहन क्षमता 14.845 बाघ प्रति 100 वर्ग किमी है। अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2022 के अनुसार, रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों की अनुमानित संख्या 57- 63 है।
देश में पर्यटन स्थलों पर जमा हो रहा कचरा
सदन में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में आज, पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राज्यसभा में बताया कि पर्यटन स्थलों सहित सभी स्थानों पर कचरे के प्रबंधन का काम राज्य सरकार और स्थानीय निकायों द्वारा किया जाता है। पर्यटन मंत्रालय और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय ने जागरूकता पैदा करने के लिए कई पहल की हैं।
पर्यटन मंत्रालय अपने क्षेत्रीय कार्यालयों, भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान (आईआईटीटीएम), केंद्रीय होटल प्रबंधन संस्थान, राज्य होटल प्रबंधन संस्थान और फूड क्राफ्ट संस्थान जैसे शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से स्वच्छता ही सेवा, स्वच्छता कार्य योजना के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दों और जागरूकता कार्यक्रम गतिविधियों सहित स्वच्छता अभियान भी चलाया जाता है।
असम में मिट्टी के कटाव के कारण भूमि का नुकसान
असम में मिट्टी के कटाव को लेकर सदन में उठे एक सवाल के लिखित जवाब में आज, केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा में भूमि क्षरण एटलस-2021 का हवाला दिया। सिंह ने कहा अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा प्रकाशित भारत के मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण एटलस-2021 के अनुसार, 8,34,530 हेक्टेयर क्षेत्र मरुस्थलीकरण व भूमि क्षरण (डीएलडी) से प्रभावित बताया गया है।
उपर्युक्त एटलस के अनुसार, 2003-2005 और 2011-2013 की अवधि के दौरान असम में डीएलडी से प्रभावित कुल क्षेत्र क्रमशः 5,72,215 हेक्टेयर और 7,16,596 हेक्टेयर बताया गया था। असम में मरुस्थलीकरण व भूमि क्षरण के मुख्य कारणों में जलभराव, जल क्षरण, वनस्पति क्षरण आदि शामिल हैं।