खदानों से बचे अवशेष और कचरे से खतरे में है संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र

रिसर्च से पता चला है कि नौ फीसदी खनन अवशेष भंडारण सुविधाएं संरक्षित क्षेत्रों के भीतर, जबकि 20 फीसदी संरक्षित क्षेत्रों के पांच किलोमीटर के दायरे में मौजूद हैं
नवंबर 2015 में ब्राजील में हुई मारियाना बांध आपदा; फोटो: आईस्टॉक
नवंबर 2015 में ब्राजील में हुई मारियाना बांध आपदा; फोटो: आईस्टॉक
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खनन और खनिजों को प्रोसेस करने के बाद जो अवशेष बचा रहता है वो पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा पैदा कर रहा है। गौरतलब है कि इन अवशेषों के उचित भंडारण में विफल रहने के कारण कई बड़ी पर्यावरणीय आपदाएं हुई हैं, जिन्होंने इंसानी जीवन के साथ-साथ पारिस्थितिकी तंत्र पर भी गहरा प्रभाव डाला है।

गौरतलब है कि नवंबर 2015 के दौरान ब्राजील में हुई मारियाना बांध आपदा ने 19 लोगों की जिंदगियां लील ली थी। इस दौरान खनन के कारण पैदा हुए कचरे की एक विशाल लहर ने गांवों, खेतों और जलमार्गों को अपने आगोश में ले लिया था। वहीं चार साल बाद ब्राजील के ब्रुमाडिन्हो शहर के पास हुई ऐसी ही एक घटना में बांध ढहने से 270 लोगों की जान चली गई थी। इतना ही नहीं इस आपदा ने 133 हेक्टेयर में फैले जंगलों और 70 हेक्टेयर संरक्षित क्षेत्र को तबाह कर दिया था।

हालांकि इसके बावजूद खनन संबंधी यह अवशेष और कचरा वैश्विक स्तर पर जैवविविधता को किस हद तक प्रभावित कर रहा है इस बारे में बेहद कम जानकारी उपलब्ध है। क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के सस्टेनेबल मिनरल्स इंस्टीट्यूट और स्कूल ऑफ द एनवायरमेंट से जुड़ी शोधकर्ता बोरा अस्का के नेतृत्व में इसपर किए नए शोध से पता चला है कि दुनिया की एक तिहाई खनन अवशेष और कचरा भंडारण सुविधाएं यानी टेलिंग्स स्टोरेज फैसिलिटीज संरक्षित क्षेत्रों के भीतर या उसके करीब स्थित हैं। जो पर्यावरण और जैवविविधता के लिहाज से बड़ा खतरा हैं।

इस बारे में शोधकर्ता बोरा अस्का का कहना है कि माइन टेलिंग्स में खनिजों को प्रोसेस करने के बाद बचा हुआ कचरा और अवशेष होते हैं।" उनके मुताबिक इसे स्टोर करने के लिए बनाई भंडारण सुविधाएं दुनिया की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग संरचनाओं में से कुछ हैं।

संरक्षित क्षेत्रों के पांच किलोमीटर के दायरे में हैं 20 फीसदी टेलिंग्स स्टोरेज फैसिलिटीज

जर्नल नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित इस रिसर्च के नतीजे दर्शाते हैं कि वैश्विक स्तर पर अध्ययन की गई 1,721 खनन अवशेष भंडारण सुविधाओं में से नौ फीसदी संरक्षित क्षेत्रों के भीतर मौजूद हैं। हैरानी की बात हैं इनमें से आधों को संरक्षित क्षेत्र घोषित होने के बाद बनाया गया है। वहीं 20 फीसदी सुविधाएं संरक्षित क्षेत्रों के पांच किलोमीटर के दायरे में हैं।

शोधकर्ता बोरा अस्का का कहना है कि, “खदानों से निकला कचरा दुनिया भर में संरक्षित क्षेत्रों की जैव विविधता के लिए खतरा पैदा कर रहा है। इसमें ऑस्ट्रेलिया के संरक्षित क्षेत्रों में मौजूद आठ सक्रिय टेलिंग्स स्टोरेज बांध शामिल हैं।“

शोधकर्ताओं ने इन सुविधाओं के बड़े आकार को देखते हुए गहरी चिंता जताई है, क्योंकि भविष्य में इन सुविधाओं में हुई विफलता बड़े पैमाने पर जैव विविधता और संरक्षित क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है।

इस अध्ययन में जोखिम का आंकलन करने के लिए शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर खनन अवशेष और कचरा भंडारण सुविधाओं के डेटाबेस का विश्लेषण किया है और संरक्षित क्षेत्रों के स्थानिक आंकड़ों के साथ उनकी तुलना की है। बता दें कि यह निष्कर्ष ब्रुमाडिन्हो आपदा के बाद खनन और टेलिंग सुरक्षा पहल के रूप में कंपनियों द्वारा सार्वजनिक किए आंकड़ों पर आधारित है।

क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर लौरा सोनटर ने प्रेस विज्ञप्ति में इस बात पर प्रकाश डाला है कि खदानों से निकलता यह कचरा और उसका प्रबंधन भविष्य में पर्यावरण के लिहाज से एक बड़ी चुनौती बन सकता है। उनके मुताबिक जिस तरह से ऊर्जा क्षेत्र में मेटल्स की मांग बढ़ रही है और अयस्क की गुणवत्ता में गिरावट देखी गई है उसके चलते अगले तीन दशकों में खनन से जुड़े अवशेष और कचरे में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक इन भंडारण सुविधाओं के मौजूदा वैश्विक वितरण और उनकी विफलता दर को देखते हुए, जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका है। हालांकि सौभाग्य से, इन जोखिमों को दूर करने के लिए आवश्यक आंकड़े उपलब्ध हो रहे हैं, जो नई सुविधाओं के डिजाइन और मौजूदा सुविधाओं को प्रबंधित करने में मददगार साबित हो सकते हैं।

ऐसे में शोधकर्ताओं ने इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करने पर बल दिया है, ताकि पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ते इसके प्रतिकूल प्रभावों को पूरी तरह से सीमित किया जा सके।

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