गर्भावस्था में भारी धातुओं का संपर्क बिगाड़ सकता है मां और बच्चे का स्वास्थ्य

गर्भावस्था के दौरान यदि महिलाएं मेटल्स जैसे निकल, आर्सेनिक, कोबाल्ट और सीसा के संपर्क में आती हैं, तो वो उनके और होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है
गर्भावस्था में भारी धातुओं का संपर्क बिगाड़ सकता है मां और बच्चे का स्वास्थ्य
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गर्भावस्था के दौरान यदि महिलाएं हैवी मेटल्स जैसे निकल, आर्सेनिक, कोबाल्ट और सीसा के संपर्क में आती हैं तो वो उनके और होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। रटगर्स यूनिवर्सिटी द्वारा किए इस शोध के अनुसार इन धातुओं के संपर्क में आने से महिलाओं के हार्मोन में बाधा आ जाती है, जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है। यह शोध एनवायरनमेंट इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

शोध से पता चला है कि गर्भावस्था में इन मेटल्स के संपर्क में आने से बच्चे के जन्म के समय होने वाली समस्याएं जैसे समय से पहले जन्म और जन्म के समय बच्चे का कम वजन हो सकती हैं। इसके साथ ही महिलाओं में प्रीक्लैम्प्सिया (बच्चे के जन्मे के समय उच्च रक्तचाप) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि यह क्यों होता है इस बारे में बहुत ही कम जानकारी उपलब्ध है।

इस नए शोध से पता चला है कि कुछ धातुएं महिलाओं के शरीर में अंतःस्रावी तंत्र (एंडोक्राइन सिस्टम) को बाधित कर सकती हैं। यह तंत्र हमारे शरीर में हार्मोन को नियंत्रित करता है। इस तंत्र में आने वाली बाधा बाद में बच्चों के स्वास्थ्य और उनमें बीमारी के जोखिम को और बढ़ा सकती हैं।

इस शोध की प्रमुख शोधकर्ता और रटगर्स में सहायक प्रोफेसर जोरीमार रिवेरा-नुनेज के अनुसार गर्भाधान से प्रसव तक महिलाओं के शरीर में एक नाजुक हार्मोनल संतुलन बना रहता है। यदि इस संतुलन में गड़बड़ी आती है तो वो मां और भ्रूण दोनों को नुकसान पहुंचा सकती है। 

किस तरह से मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है प्रदूषण 

यह शोध 815 महिलाओं पर किया गया है। जिसमें गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों पर पर्यावरण प्रदूषण के असर को मापा गया है। इसमें पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान मेटल प्रसव पूर्व हार्मोन की मात्रा पर असर डालते हैं। जिससे शरीर में अंतःस्रावी तंत्र बाधित हो जाता है। यह व्यवधान इस बात पर निर्भर करता है कि गर्भावस्था के दौरान महिला कब मेटल के संपर्क में आई थी। इनके चलते ने केवल जन्म के समय बच्चे और मां का स्वास्थ्य प्रभावित होता है, साथ ही यह कई अन्य तरीकों से भी असर डालता है।

जहां गर्भावस्था के दौरान सेक्स-स्टेरॉयड हार्मोन में बदलाव भ्रूण के विकास पर असर डालता है, जिससे जन्म के समय बच्चे का वजन कम रह जाता है। जन्म के समय बच्चे का शारीरिक विकास भविष्य में बच्चे के विकास पर असर डालता है और उनमें मोटापा, स्तन कैंसर और आगे चलकर होने वाली बीमारियों का कारण बनता है।

रिवेरा-नुनेज ने जानकारी दी है कि प्यूर्टो रिको में 18 सक्रिय साइट हैं जो वहां पर्यावरण प्रदूषण कर रही हैं। जिससे वहां रहने वाले लोग विषाक्त धातुओं के संपर्क में आ सकते हैं। उनके अनुसार अमेरिका की तुलना में प्यूर्टो रिको में गर्भवती महिलाओं के इन धातुओं के संपर्क में आने का खतरा कहीं ज्यादा है। उनके अनुसार यहां बच्चे के समय से पहले जन्म का जोखिम अमेरिका से करीब 12 फीसदी ज्यादा है।

हालांकि यह शोध प्यूर्टो रिको में किया गया है लेकिन यह दुनिया भर में पर्यावरण प्रदूषण और उसका गर्भवती महिलाओं और उनके होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को इंगित करता है। भारत में आज शायद ही कोई भोपाल गैस त्रासदी को भूला होगा, जिससे होने वाला प्रदूषण आज भी वहां जन्म लेने वाले बच्चों पर असर डाल रहा है।

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