वायु प्रदूषण का थोड़े समय के लिए भी संपर्क बुजुर्गों के सोचने समझने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है| हाल ही में कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के मेलमैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा किए शोध में सामने आया है कि वायु प्रदूषण कुछ हफ़्तों के ही संपर्क से मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है|
हालांकि नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) जैसे एस्पिरिन इसके असर को कम करने में मदद कर सकती हैं| शोधकर्ताओं के अनुसार यह अपनी तरह का पहला शोध है जिसमें बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के पड़ने वाले असर को समझने का प्रयास किया गया है| यह शोध अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर एजिंग में प्रकाशित हुआ है|
इस शोध में शोधकर्ताओं ने पीएम 2.5 और ब्लैक कार्बन का बुजुर्गों पर पड़ने वाले असर को समझने का प्रयास किया था| इसमें जंगल में लगने वाली आग, स्मॉग, सिगरेट के धुंए, कोयले और परिवहन के कारण हो रहे प्रदूषण के असर को शामिल किया है| यह शोध अमेरिका के ग्रेटर बोस्टन क्षेत्र में किया गया था, जिसमें 954 बुजुर्ग पुरुषों को शामिल किया गया था| जिनकी औसत आयु 69 वर्ष थी| अध्ययन में मानसिक स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए ग्लोबल कॉग्निटिव फंक्शन (जीसीएफ) और मिनी-मेंटल स्टेट एग्जामिनेशन (एमएमएसई) का प्रयोग किया था|
क्या कुछ निकल कर आया अध्ययन में सामने
शोध में केवल 28 दिनों तक पीएम 2.5 के संपर्क में आने से जीसीएफ और एमएमएसई के स्कोर में गिरावट दर्ज की गई थी| इस दौरान जिन पुरुषों ने नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) का सेवन किया था उनके मानसिक स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण का कम असर पड़ा था|
हालांकि एनएसएआईडी के उपयोग और सोचने समझने की क्षमता के बीच कोई सीधा सम्बन्ध नहीं पाया गया था| शोधकर्ताओं का मानना है कि एनएसएआईडी, विशेष रूप से एस्पिरिन, न्यूरोइन्फ्लेमेशन को कम कर सकता है| साथ ही प्रदूषण के कारण मस्तिष्क में रक्त प्रवाह में जो अंतर आ जाता है, उसे दुरुस्त कर सकते हैं|
इस शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता एंड्रिया बेकारेल्ली ने बताया कि उत्सर्जन के लिए बनाए नियमों के बावजूद भी थोड़े समय के लिए ही सही पर प्रदूषण के बढ़ने का खतरा अक्सर बना रहता है| प्रदूषण के जिस स्तर को हम सुरक्षित समझते हैं वो भी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है| ऐसे में एस्पिरिन या अन्य नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा इसके प्रभाव को कम कर सकती है| इसके बावजूद वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का सबसे कारगर उपाय प्रदूषण को कम करने के लिए बनाई नीतियां ही हैं|
यह तो स्पष्ट हो चुका है कि लम्बे समय तक वायु प्रदूषण का संपर्क हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है| लेकिन इस नए शोध से यह पता चला है कि वायु प्रदूषण का थोड़े समय के लिए भी संपर्क मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है|
शोध के अनुसार इसके कारण मस्तिष्क में कमी आना, सोचने समझने की क्षमता पर असर और मनोभ्रम जैसी स्थिति पैदा हो सकती है| वहीं बच्चों और बुजुर्गों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ता है| यदि संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो करीब विश्व की करीब 26 फीसदी आबादी बच्चों की है, जिनकी उम्र 14 वर्ष से कम है| वहीं करीब 9 फीसदी आबादी की आयु 65 वर्ष या उससे ज्यादा है|