15 जून, 2020 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा हरियाणा के जिला जींद, ग्राम इक्कास में रबर फैक्ट्री में टायर जलाने के कारण हो रहे प्रदूषण का संज्ञान लिया। भारी प्रदूषण की वजह से यहां सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में इसे सही पाते हुए ट्रिब्यूनल को इसकी सूचना दी है। फैक्ट्री पर प्रदूषण के आरोप सही पाए गए और अभियोजन की सिफारिश करने और पर्यावरण क्षतिपूर्ति के आकलन के अलावा फैक्ट्री को बंद करने का आदेश पारित किया गया था। हालांकि, उक्त आदेश पर 4 मार्च, 2020 को अपीलीय प्राधिकरण द्वारा जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और वायु (प्रदूषण का निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत रोक लगा दी गई थी।
एनजीटी ने कहा कि अपीलीय प्राधिकरण को आवश्यकता के अनुसार उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित नहीं किया गया था। उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, एनजीटी ने हरियाणा राज्य को सुधारात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया, ताकि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार अपीलीय प्राधिकरण का संचालन किया जा सके।
जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और श्यो कुमार सिंह ने कहा एक बार प्रदूषण होने के कारण, सार्वजनिक स्वास्थ्य के उल्लंघन की कीमत पर, उपचारात्मक कार्रवाई किए जाने के लिए, सरकार द्वारा अपीलीय प्राधिकरण बनाने का कोई मतलब नहीं है।
एनजीटी ने कहा कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) को अपीलीय प्राधिकरण के आदेश को अपील के माध्यम से चुनौती दी जानी चाहिए थी। एनजीटी ने हरियाणा के मुख्य सचिव को इस मामले को देखने, सुधारात्मक कार्रवाई करने और 19 अक्टूबर, 2020 से पहले रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया।
2-व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए अवैध तरीके से भूजल की निकासी पर लगा जुर्माना
हरियाणा के हमायुपुर, जिला रोहतक में व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए भूजल की निकासी और रिवर्स ऑस्मोसिस प्लांटों को अवैध तरीके से लगाया गया है। इसके खिलाफ हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने रु. 16,78,125 का जुर्माना लगाया है।
इन इकाइयों के खिलाफ सुधारात्मक कार्रवाई, एनजीटी के आदेश के अनुपालन में की गई थी। एनजीटी ने निर्देश दिया कि निर्धारित मुआवजे की राशि को कानून के अनुसार शीघ्रता से लिया जाए।
3-तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना के कूड़ा-कर्कट निपटान वाली जगहों का क्षमता के अनुसार उपयोग नहीं किया जा रहा है
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी के आदेश के अनुपालन में राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड, उत्तराखंड के तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजना के कूड़ा-कर्कट निपटान और प्रबंधन पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना के कूड़ा-कर्कट का निपटान ढाक और टीबीएम दो जगहों पर किया जा रहा है। ढाक में कूड़ा निपटान किया जा रहा था लेकिन अब यह पूरी तरह भर चुका है। तेज बारिश होने पर निस्तारित सामग्री का बहाव ढलान की ओर होगा, जिससे गंभीर कटाव होने की आशंका है। डंप की सतह ज्यादातर बोल्डर, चट्टान के टुकड़ों और निष्क्रिय सामग्री के कारण असमान और लुढ़कने वाली हैं। इसके अलावा, जगह का सही ढ़ग से उसकी क्षमता के अनुसार उपयोग नहीं किया गया है। आगे चलकर कूड़ा-कर्कट का उपयोग निर्माण में किया जा सकता है।
इसी तरह टीबीएम के पास कूड़ा-कर्कट का निस्तारण चल रहा था। कूड़ा-कर्कट ऊपर की ओर निस्तारित किया गया था, जिसमें पानी प्रवेश होने की आशंका है, जिस कारण आगे चलकर बड़े पैमाने पर कटाव हो सकता है। दो कूड़ा-कर्कट निपटाने वाली जगहों के अलावा, तीन ऐसी जगहें है जो पूरी तरह भर चुकी हैं। इन साइटों पर देशी घास, झाड़ियां और वनस्पति आदि लगा कर इन्हें स्थिर किया जा सकता है। इनके आगे के सिरे की सुरक्षा और चारों ओर पत्थर की दीवारों का निर्माण किया गया था, लेकिन उनमें से कुछ क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
समिति ने सिफारिश की कि प्रत्येक निपटान वाली जगहों के आगे के सिरे की सुरक्षा/ पत्थर की दीवार से मजबूत की जानी चाहिए। यह निर्माण कार्य उचित इंजीनियरिंग डिजाइन के साथ पूरा किया जाना चाहिए।