1 सितंबर, 2020 को एनजीटी के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। मामला वृंदावन से जुड़ा है। जहां यमुना के तल पर अवैध निर्माण के साथ-साथ पक्की सड़क भी बनाई जा रही थी।
सड़क का निर्माण फ्लड प्लेन इलाके में बसे अवैध निर्माण की सुविधा के लिए किया गया था। साथ ही इस सड़क निर्माण के लिए चीर, गोविंद और भमरार घाट पर मलबे की डंपिंग की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, इससे घाटों को न भर सकने वाली क्षति हुई है। साथ ही नदी के प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट आई है।
रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि फ्लड प्लेन को घाटों से अलग करने के लिए एक सड़क का निर्माण किया गया है, जोकि फ्लड प्लेन पर बनाई गई है। इसके साथ ही फ्लड प्लेन और नदी की एक धारा पर पूरी तरह से अतिक्रमण किया गया है। साथ ही उसपर बड़े पैमाने पर इमारतों का निर्माण किया गया है।
आकाश वशिष्ठ ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि यमुना फ्लड प्लेन पर बनी कंक्रीट की उस अवैध सड़क और गौशाला को वहां से हटा देना चाहिए। गौरतलब है कि यह सड़क मथुरा-वृंदावन में शृंगारवत और केशी घाट के बीच बनाई गई है। इसके साथ ही उन्होंने यह मांग की है कि यमुना फ्लड प्लेन पर बने सभी स्थायी और अस्थायी निर्माण को भी वहां से हटा देना चाहिए।
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) ने राजस्थान में स्टोन क्रशर मामले पर अपनी रिपोर्ट एनजीटी में सबमिट कर दी है। मामला भरतपुर जिले के जसवार गांव से जुड़ा है।
यह रिपोर्ट कोर्ट द्वारा 17 अक्टूबर, 2019 को दिए जांच आदेश पर जारी की गई है। भगवती स्टोन क्रशर पर यह आरोप लगा था कि वो स्कूल के 200 मीटर के दायरे में स्टोन क्रेशर चला रहा था। साथ ही वो गांव के भी काफी करीब था। जिस वजह से वहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है।
आरएसपीसीबी ने एनजीटी को जानकारी दी है कि भगवती स्टोन क्रशर के पास इसे चलाने के लिए वैध अनुमति है। समिति ने 20 सितंबर, 2019 को इस विवादित स्टोन क्रेशर का निरीक्षण और हवाई निगरानी की थी। निरीक्षण रिपोर्ट के अनुसार क्रशर के मालिक ने वाइब्रेटिंग स्क्रीन, जॉ क्रशर और ग्रेनुलेटर को ढंका हुआ था। साथ ही उसने विंड ब्रेकिंग वॉल, बाउंड्री वॉल और हार्ड सरफेस रोड का भी निर्माण किया था। साथ ही इस परियोजना के प्रस्तावक ने 33 फीसदी से अधिक हिस्से पर पेड़ लगाए हुए थे।
इससे पहले आरएसपीसीबी द्वारा 12 मार्च, 2020 को भी इस क्षेत्र का निरिक्षण किया गया था। जिसमें क्रशर के आसपास स्कूल और बस्ती के लोगों से बातचीत की गई थी। जिसमें स्कूल के प्रधानाध्यापक और जसवार (निकटतम गांव) के ग्रामीणों ने कहा था कि उन्हें स्टोन क्रशर से कोई आपत्ति नहीं है। इसके साथ ही रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि यह क्रशर तीन तरफ से चट्टानों से गिरा है। जोकि हवा के लिए अवरोध का काम करती हैं।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को लेकर एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है। यह समिति गोवर्धन और आसपास के इलाकों में एनजीटी ने पर्यावरण को बचाने के लिए जो निर्देश दिए हैं उनका पालन किया जा रहा है या नहीं इस बात का जायजा लेगी। इसमें गिरिराज पर्वत, मथुरा-वृंदावन और उसके आस-पास के क्षेत्रों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाएगा।
साथ ही एनजीटी ने स्पष्ट कर दिया है कि समिति पर्यावरण की बहाली के लिए किसी अन्य विशेषज्ञ या संस्था की भी मदद ले सकती है। साथ ही इसमें धार्मिक या धर्मार्थ संस्थाओं और समुदाय के सदस्यों सहित समिति जिसे जरुरी समझेगी उसे शामिल कर सकती है।