26 मई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से प्रवासी मजदूरों की समस्याओं पर तुरंत कार्रवाही करने का आदेश दिया है|
गौरतलब है कि देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों की समस्याओं और दुखों का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वो स्थिति की तात्कालिकता को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द इस मुद्दे पर जरुरी कदम उठाये| और उन्होंने क्या कदम उठाये हैं इस विषय में कोर्ट को जानकारी दे|
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि प्रवासियों को अपने घर वापस पहुंचने के लिए परिवहन व्यवस्था की जाए और उनसे कोई किराया न वसूला जाए| साथ ही कोर्ट ने उनके भोजन और आश्रय की भी तुरंत व्यवस्था करने का आदेश दिया है।
26 मई, 2020 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की दक्षिणी ब्रांच ने केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की याचिका मंजूर कर ली है| गौरतलब है कि केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एर्नाकुलम जिले में कोनोथुपुझा नदी पर प्रदूषण सम्बन्धी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एनजीटी से दो महीने का अतिरिक्त समय मांगा था|
यह आदेश कोर्ट द्वारा 24 जनवरी को दिए आदेश से ही जुड़ा हुआ है| जिसमें न्यायाधिकरण द्वारा नदी प्रदूषण के मुद्दे पर एक जांच समिति बनाने के लिए कहा गया था| आदेश के अनुसार इस समिति में (1) जिला कलेक्टर, एर्नाकुलम (2) राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (3) लोक निर्माण विभाग (4) सचिव, जिला पंचायत, एर्नाकुलम (5) साथ ही संबंधित नगर पालिकाओं के आयुक्त और ग्राम पंचायत के कार्यकारी अधिकारियों को शामिल करने को कहा गया था| इसमें उन सभी अधिकारियों को शामिल किया गया था जिनके अधिकार क्षेत्र से यह नदी गुजरती है और जहां प्रदूषण पाया गया है।
इसके साथ ही समिति को निश्चित अवधि के भीतर एक उचित कार्य योजना बनाने का आदेश दिया गया था| जिससे कोनोथुपुझा नदी प्रदूषण को रोका जा सके| इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो योजना को नदी के अन्य हिस्सों पर भी लागु किया जा सकता है| और इसके लिए एक समग्र कार्य योजना तैयार की जा सकती है।
एनजीटी ने समिति को ओसुदु झील पर 10 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। यह आदेश 26 मई को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की दक्षिणी ब्रांच ने जारी किया है| गौरतलब है कि ओसुड्डु झील से पानी के निकले जाने पर उस क्षेत्र की वनस्पति और जीवों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, इस मुद्दे पर समिति को अपनी रिपोर्ट करते में प्रस्तुत करनी थी| पर समिति अपनी रिपोर्ट नहीं जमा करा पाई थी जिसके मद्देनजर कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है|
इस समिति का गठन एनजीटी द्वारा किया गया था| जिसमें तमिलनाडु और पुदुचेरी के मुख्य वन्यजीव वार्डन, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक, तमिलनाडु और पुदुचेरी राज्य के वेटलैंड प्राधिकरण के अधिकारी और वन्यजीव संस्थान, देहरादून के एक वैज्ञानिक को शामिल किया गया था|
इस रिपोर्ट में इस बात की जांच करनी थी कि इस झील से पानी निकलने पर इस क्षेत्र पर इसका क्या असर पड़ेगा और क्या इसे निकालनी की आज्ञा देनी चाहिए| इसके साथ ही इस समिति को झील के पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले असर का भी अध्ययन करना था| जिसमें इस झील के संरक्षण को भी ध्यान में रखना था|
साथ ही प्रवासी पक्षियों के साथ-साथ इस क्षेत्र के जीवों पर इसका क्या असर होगा इसपर भी रिपोर्ट देनी थी| इसके साथ ही समिति को इस बात पर भी विचार करना था कि क्या किसी अनुमोदन के लिए मुख्य वन्यजीव वार्डन के साथ-साथ राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड का गठन किया गया था।