

राजस्थान में खनन के कारण खारी नदी प्रदूषित हो रही है। गौरतलब है कि एनजीटी के समक्ष एक आवेदन दायर किया गया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि खसरा नंबर 41/2 पर अतिक्रमण किया गया था। इसके बारे में जानकारी मिली थी कि यह एक सड़क थी जिसका इस्तेमाल वहां के ग्रामीण आने जाने के लिए करते थे।
लेकिन खनन विभाग ने खनन के लिए उक्त सड़क के दोनों किनारों पर अवैध रूप से अतिक्रमण किया था। जिसे बाद में खनन क्षेत्र के रूप में चिह्नित कर दिया गया था। इसके साथ ही इस खनन के कारण खारी नदी की जल गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है। इस नदी के पानी का इस्तेमाल मुख्य रूप से पीने के लिए किया जाता है। साथ ही वहां खनन के कारण वहां की झोपड़ियां भी क्षतिग्रस्त हो गई थी। इस खनन का बुरा असर वहां रहने वाले हजारों परिवारों पर पड़ रहा है। साथ ही वहां के जीव जंतुओं और वनस्पति पर भी इसका असर हो रहा है।
इस मामले में एनजीटी ने जिला खनन अधिकारी/ कलेक्टर (खनन) और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को लेकर एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है। साथ ही समिति को छह सप्ताह के भीतर एक तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने एनजीटी के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। इस रिपोर्ट में उसने एनजीटी को आश्वासन दिया है कि मायापुरी इंडस्ट्रियल एरिया फेज- II में अपशिष्ट केंद्र (ढलाव) को नियमित रूप से ठीक से रखा जाएगा। इसके साथ ही यह भी कहा है कि मेसर्स ईईएसएल इस काम के लिए उपयुक्त मशीनरी उपकरण प्रदान करेगा। इसके साथ ही साइट पर पर्याप्त कर्मचारी भी रखे जाएंगे, जिससे इकट्ठा और डाले किए कचरे को हटाया जा सके। इसके साथ ही इसकी मदद से ढलाव को साफ-सुथरा रखा जा सके और साइट पर स्वच्छता बनाई रखी जा सके।
एसडीएमसी ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि इस ढलाव में भारी मात्रा में कचरा होता है। जहां हर दिन लगभग 6-7 मीट्रिक टन कचरा डंप किया जाता है।
ऐसे में यदि इस ढलाव को बंद कर दिया जाता है तो इस इलाके में स्थिति बदतर हो सकती है। साथ ही यहां आसपास में कोई और ढलाव भी नहीं है जहां इसको स्थानांतरित किया जा सके। इसलिए नियमों के अनुसार इस इलाके में साफ-सफाई बनाए रखने के लिए इस ढलाव का नियमित रूप से रखरखाव करना जरुरी है। साथ ही इसे किसी और जगह स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए।
एनजीटी ने सीहोर के जिला कलेक्टर (माइंस) और मध्य प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लेकर एक समिति गठित की है। 26 अगस्त को अवैध बालू खनन की जांच करने का काम इस समिति को सौंपा गया है।
इस मामले में महिला शिक्षण एवं सामाजिक विकास संस्था (सहस) द्वारा एनजीटी के समक्ष एक आवेदन दायर किया गया था। इस आवेदन में अवैध खनन की शिकायत की गई थी। जिसमें मध्य प्रदेश राज्य खनन निगम को वैज्ञानिक तरीके से इसका अध्ययन करने का निर्देश देने के लिए कहा गया था। जैसा की पर्यावरण मंत्रालय द्वारा रेत से जुड़े दिशानिर्देशों में निर्धारित किया गया है।
जस्टिस श्यो कुमार सिंह की बेंच ने भोपाल के कलेक्टर, नगर निगम और एमपीपीसीबी की एक संयुक्त समिति के लिए निर्देश जारी किया है। इस आदेश में उन्हें छोटा तालाब में हो रहे प्रदूषण के मामले में एक तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। एनजीटी द्वारा यह आदेश 25 अगस्त को जारी किया गया है।
गौरतलब है कि जानकारी मिली थी कि झील में मछलियों को मरने के लिए मिटटी के गोलों में हानिकारक रसायन भरकर डाला गया था। जिसकी वजह से झील का पानी प्रदूषित हो गया था। ऐसा बड़ी मात्रा में मछलियों को मारने और उन्हें खुले बाजार में बेचने के लिए किया गया था।