पर्यावरण मुकदमों की डायरी: ध्वनि प्रदूषण की निगरानी को दिल्ली में बनी कमेटी

देश की विभिन्न अदालतों में पर्यावरण से संबंधित मामलों में क्या कुछ हो रहा है, यहां पढ़ें-
पर्यावरण मुकदमों की डायरी: ध्वनि प्रदूषण की निगरानी को दिल्ली में बनी कमेटी
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर 11 अगस्त को एक निगरानी समिति गठन करने का निर्देश दिया। समिति उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में दिल्ली में ध्वनि प्रदूषण के अनुपालन की स्थिति का पता लगाने, ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने के संबंध में सुझाव देगी।

अदालत ने कहा कि भले ही दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा ध्वनि प्रदूषण से संबंधित कुछ कदम उठाए गए हों - लेकिन ध्वनि प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए और कदम उठाने की आवश्यकता है। आदेश में कहा गया है कि ध्वनि प्रदूषण मानकों को जमीनी स्तर पर लागू करने की जरूरत है। सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाना आवश्यक है।

एनजीटी द्वारा मुख्य सचिव और पुलिस आयुक्त के प्रतिनिधियों को संयुक्त रूप से साप्ताहिक आधार पर स्थिति का जायजा लेने का निर्देश दिया गया है।

जम्मू और कश्मीर में रेत खनन को लेकर 1.57 करोड़ रुपये का लगा जुर्माना 

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के मुख्य सचिव की ओर से रेत खनन पट्टे (लीज) के मामले को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को एक रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में कहा गया कि संबंधित अधिकारियों से पर्यावरणीय मंजूरी लिए बिना कोई खनन पट्टे (लीज) नहीं दिए गए है।

जम्मू और कश्मीर में रेत खनन की बहुत कम गुंजाइश है, क्योंकि यहां नदियों के किनारे और तल पर बहुत कम रेत होती है।

खनन योजना और पर्यावरण मंजूरी की वैधानिक मंजूरी मिलने के बाद जिला डोडा में केवल एक रेत खनन पट्टा (लीज) दिया गया था। जम्मू और कश्मीर में वन क्षेत्रों में रेत खनन की कोई घटना नहीं हुई है।

लघु खनिजों के अवैध निकासी, इसको वाहनों द्वारा इधर-उधर ले जाने पर अंकुश लगाने और सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान से रोकने के लिए, जियोलॉजी और खनन विभाग ने मजबूत निगरानी तंत्र बनाया है। निगरानी में वाहनों, मशीनों, डंपरों की नियमित जांच करना तथा इनको जब्त करना शामिल है। अब तक लगभग 3684 वाहन अवैध खनन में लिप्त पाए गए। रिपोर्ट के अनुसार इन पर 1.57 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है

रिपोर्ट 14 अगस्त, 2020 को एनजीटी की साइट पर अपलोड की गई।

भारत में अवैध रेत खनन को रोकने के लिए समिति ने दिए सुझाव

न्यायमूर्ति एस.वी.एस. राठौड़ ने अवैध रेत खनन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष 13 अगस्त, 2020 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इससे पहले समिति को गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में रेत खनन के मामले की रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था।

समिति ने सिफारिश की कि जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) को बहुत सावधानी से तैयार करने की आवश्यकता है। इनका प्राकृतिक तौर पर सर्वेक्षण और फिर से अध्ययन किया जाना चाहिए। चूंकि रेत जमाव एक लगातार चलने वाला मुद्दा है, इसलिए उन्हें नियमित रूप से अपडेट करने की आवश्यकता होती है।

लीज डीड देते समय, महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मापदंडों जैसे कि रेत जमाव और इसकी पुनःपूर्ति, कटाव वाले क्षेत्र, आधारिक संरचनाओं से दूरी पर विचार किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक तंत्र होना चाहिए कि वास्तविक खनन गतिविधि स्वीकृत खनन योजना और पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) के अनुरूप हो।

विभागीय निरीक्षण की वैधानिक प्रणाली के अलावा, विशेषज्ञों द्वारा वार्षिक पर्यावरण आडिट की एक प्रणाली अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए।

इसके अलावा, खनन के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान की बहाली के लिए एक प्रभावी तंत्र होना चाहिए। रॉयल्टी का एक हिस्सा पर्यावरण बहाली कोष (एनवायरनमेंट रेस्टोरेशन फण्ड) के रूप में रखा जाना चाहिए।

रेत का भंडारण गोदाम नदी तट से कम से कम 5 किलोमीटर दूर होना चाहिए। समिति ने कहा कि अन्यथा पट्टाधारक द्वारा भंडारण की आड़ में अवैध खनन किया जा सकता है।

झारखंड में रेत खनन के लिए उपयोग होगा स्टार रेटिंग

झारखंड राज्य खनिज नीति, 2020 तैयार की जा रही है। इसकी स्वीकृति के बाद जंगल और पर्यावरण की सीमा के भीतर व्यवस्थित और टिकाऊ खनन और खनिज गतिविधियों को संचालित करने में सुविधा होगी।

यह खान एवं भूविज्ञान विभाग, झारखंड सरकार द्वारा प्रस्तुत अनुपालन रिपोर्ट में कहा गया है।

झारखंड राज्य द्वारा रेत खनन नीति 2017 को लागू किया गया है। डीएसआर के आधार पर, रेत घाटों को दो अलग-अलग श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाना है, जैसे श्रेणी- 1 और श्रेणी- 2।

श्रेणी- 1 रेत घाट का उपयोग केवल गैर-व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा और ग्राम पंचायत द्वारा इसका रखरखाव और प्रबंध किया जाएगा। श्रेणी- 2 रेत घाटों को न्यूनतम 5 वर्षों के लिए झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) लिमिटेड को आवंटित किया जाएगा। 

दिशानिर्देशों / नियमों के सभी वैधानिक प्रावधानों के बाद जेएसएमडीसी लिमिटेड द्वारा खनन किया जाएगा। जेएसएमडीसी लिमिटेड वैज्ञानिक और टिकाऊ खनन प्रथाओं को अपनाएगा और सुनिश्चित करेगा कि यह पारदर्शी, निष्पक्ष और प्रभावी वितरण प्रणाली होगी।

इसके अलावा, जेएसएमडीसी लिमिटेड ने सैंड मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) को रेत घाटों पर रेत खनन के संचालन की कुशल निगरानी और भंडारण में रेत की बिक्री सुनिश्चित करनी होगी।

सैंड मैनेजमेंट सिस्टम खरीदारों को भेजे जाने वाली रेत की तय मात्रा को मान्य करेगा और ग्राहक वाहनों को जेआईएमएमएस पोर्टल के माध्यम से मान्य करेगा।

झारखंड भी इसी तरह की प्रमुख खनिजों के रूप में लघु खनिज ब्लॉकों के लिए भी स्टार रेटिंग ढांचे को लागू कर रहा है।

इसके पैरामीटर निम्नलिखित हैं

  1. i) व्यवस्थित और स्थायी खनन
  2. ii) पर्यावरण की सुरक्षा और पानी का संरक्षण।

लघु खनिज ब्लॉक की स्टार रेटिंग के कार्यान्वयन में, लघु खनिज ब्लॉक के कारण होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने की उम्मीद जताई गई है।

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