केरल सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केरल मिनरल्स एंड मेटल्स लिमिटेड (केएमएमएल) का ट्रीटमेंट सिस्टम मानकों के अनुरूप नहीं है और इसे उन्नत करने की जरूरत है। गौरतलब है कि उद्योग से निकले स्टॉर्म वाटर के नमूनों में अम्लीय पीएच के साथ लोहे, मैंगनीज और वैनेडियम के पाए जाने के सबूत मिले थे।
इसका मतलब है कि उद्योग के अंदर की भूमि या तो प्रदूषित है या वट्टकयाल (कायमकुलम और पुल्लिक्कल आर्द्रभूमि परिसर) सहित आस-पास के क्षेत्र में आयरन ऑक्साइड युक्त कीचड़ के रिसाव की संभावना है।
इस मामले में कोल्लम निवासी पद्मकुमार ने एनजीटी को एक आवेदन भेजा था, जिसमें आरोप लगाया था कि केरल में एक रासायनिक उद्योग 'केरल मिनरल्स एंड मेटल्स' से अम्लीय पानी का निर्वहन हो रहा है जो पिछले लगभग 30 वर्षों से आसपास के गांवों की जमीन और जल स्रोतों को प्रदूषित कर रहा है।
मैसर्स केरल मिनरल्स एंड मेटल्स लिमिटेड एक सार्वजनिक उपक्रम है और इसकी टाइटेनियम डाइऑक्साइड पिग्मेंट यूनिट को 1984 में चालू किया गया था। इस मामले में जांच के लिए एनजीटी ने 29 अगस्त, 2022 को एक संयुक्त समिति का गठन किया था। इस समिति को मामले की जांच कर एक तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट कोर्ट के सामने प्रस्तुत करनी थी।
इस समिति ने इस क्षेत्र का निरीक्षण किया था और विश्लेषण के लिए नमूने एकत्र किए थे। इनके विश्लेषण में कहा गया है कि उद्योग के आस-पास के क्षेत्रों से एकत्र किए गए पानी के नमूने अम्लीय पीएच और भारी धातुओं की उपस्थिति को दिखाते हैं। जो दर्शाता है कि कि आस-पास का क्षेत्र प्रदूषित है और कुएं का पानी पीने लायक नहीं है।
पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में अवैध रूप से चल रहे स्टोन क्रशरों की जांच के लिए समिति गठित
एनजीटी ने स्टोन क्रशर के मामले में एक संयुक्त समिति को जांच के निर्देश दिए हैं। यह समिति साइट का दौरा करने और प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने के साथ अगले दो महीने के भीतर एक तथ्यात्मक और कार्रवाई प्रस्तुत करेगी। बालासोर के जिला मजिस्ट्रेट इसके लिए नोडल एजेंसी होंगे।
गौरतलब है कि बालासोर में चरागाह भूमि के साथ-साथ पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों (ईएसजेड) और हाथियों के आने जाने के स्थान पर अवैध रूप से स्टोन क्रशर स्थापित किए गए हैं। कोर्ट ने इसकी शिकायत पर जांच के लिए संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है। शिकायत यह थी कि सोरो ब्लॉक के अंतर्गत कई स्टोन क्रशर हैं जो पर्यावरण कानूनों और नियमों को ताक पर रख चल रहे हैं। ये क्रशर पीडब्ल्यूडी जिला सड़क से सटे स्थाई गांव के पास हैं।
कोर्ट ने मैंगलोर स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन लिमिटेड की शिकायत पर जांच करने का दिया निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक संयुक्त समिति को मैंगलोर स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन लिमिटेड की शिकायत पर गौर करने का निर्देश दिया है। यह आदेश 3 मार्च 2023 को जारी किया गया है।
शिकायत थी कि मैंगलोर स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन लिमिटेड ने नंदीगुड्डा से मरनीमाकट्टे तक सड़क को चौड़ी करने के लिए कई पेड़ों को काटने का प्रस्ताव दिया था। आरोप है कि वन अधिकारियों की ओर से इसपर अभी तक कोई सहमति नहीं दी गई है।