मिजोरम पत्थर खदान हादसे में 12 श्रमिकों की हुई मौत के मामले में एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
मिजोरम पत्थर खदान हादसे में 12 श्रमिकों की हुई मौत के मामले में एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक संयुक्त समिति को निर्देश दिया है कि वो मिजोरम में पत्थर खदान के ढहने के चलते हुई 12 श्रमिकों की मौत के मामले में एक तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

इस बाबत 28 नवंबर, 2022 को एनजीटी द्वारा दिए आदेश में कहा है कि रिपोर्ट में विशेष रूप से घटना के कारण, क्षति की सीमा, जिम्मेदार व्यक्ति, बचाव के लिए किए गए उपचारात्मक उपायों और ऐसी घटनाएं दोबारा न हों इन्हें रोकने के लिए आवश्यक उपायों का उल्लेख किया जाना चाहिए।

साथ ही कोर्ट राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वो परियोजना प्रस्तावक के खिलाफ जरूरी कदम उठाए और पीड़ितों को मुआवजे का संवितरण सुनिश्चित करे। यदि राज्य सरकार इसमें विफल रहती है तो इसका भुगतान उसे स्वयं करना होगा।

साथ ही कोर्ट ने कहा है कि अधिकारियों द्वारा की जाने वाली कार्रवाई में विस्फोट के लिए विस्फोटकों को संभालने सहित पर्यावरण और सुरक्षा मानदंडों के उल्लंघन के लिए जिम्मेवारी तय करना शामिल होना चाहिए।

कुलदा कोयला खदान से कोयले के होते परिवहन के चलते लोगों का स्वास्थ्य हो सकता है प्रभावित: सीपीसीबी

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का कहना है कि कुलदा कोयला खदान से कोयले के होते परिवहन के चलते लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। इस प्रकार वे परियोजना प्रस्तावक महानदी कोलफील्ड्स (एमसीएल) से मुआवजे के हकदार हैं। गौरतलब है कि एमसीएल ओडिशा में सुंदरगढ़ की कुलदा कोयला खदान से तमनार थर्मल पावर प्लांट, छत्तीसगढ़ तक कोयले को ले जाता है, जिसकी वजह से प्रदूषण हो रहा है। 

यह 16 अगस्त, 2022 को छत्तीसगढ़ और ओडिशा के मुख्य सचिवों के बीच हुई चर्चा के कई बिंदुओं में से एक था। इस बैठक में ओडिशा के मुख्य सचिव ने जोर देकर कहा कि परिवहन के लिए उपयोग की जाने वाली सड़क को एनजीटी के आदेशानुसार जल्द से जल्द पूरा करने की आवश्यकता है। साथ ही सुंदरगढ़ के जिलाधिकारी को एक वैकल्पिक सड़क खोजने के लिए कहा गया, जिससे सड़क बिना किसी बाधा के जल्द से जल्द बन सके।

वहीं सुंदरगढ़ के जिला मजिस्ट्रेट का कहना है कि उन्होंने पहले ही एक वैकल्पिक सड़क की पहचान कर ली है, लेकिन उसके निर्माण और रखरखाव की जरूरत है। वहीं महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड ने जल्द से जल्द इस लगभग 15 किलोमीटर लम्बी वैकल्पिक सड़क को परिवहन योग्य बनाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।

इस मामले में ओडिशा और छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिवों ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एमसीएल और अन्य उपयोगकर्ता एजेंसियों के प्रतिनिधियों के साथ संबंधित जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में दोनों राज्यों के लिए संयुक्त निगरानी समितियों के गठन पर सहमति व्यक्त की है।

वहीं ओडिशा के मुख्य सचिव ने कन्वेयर बेल्ट और रेल के माध्यम से कोयले के परिवहन पर जोर दिया है। एमसीएल के प्रतिनिधि का कहना है कि रेल द्वारा कोयले की ढुलाई अधिक महंगी है, इसलिए ज्यादातर परियोजना प्रस्तावक ई-नीलामी में सड़क का चयन करते हैं।

मूसी नदी प्रदूषण मामले में एसपीसीबी ने कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 28 नवंबर, 2022 को सबमिट अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निरीक्षण के दौरान मूसी नदी में मानव मल की कोई डंपिंग नहीं देखी गई। साथ ही तेलंगाना राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसे नियंत्रित करने के लिए सभी प्रयास कर रहा है।

रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन वाटर सप्लाई एंड सीवेज बोर्ड ने सेप्टेज के संग्रह के लिए 62 सेप्टिक टैंक सफाई वाहनों को नामांकित किया है। 28 नवंबर, 2022 की रिपोर्ट के अनुसार सेप्टिक टैंक की सफाई करने वाले वाहनों में जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लगा होता है और उसकी मदद से इनकी निगरानी की जाती है।

साथ ही बंदलागुड़ा जागीर नगरपालिका ने सेप्टिक टैंकरों के अनधिकृत उपयोग के संबंध में एक अधिसूचना जारी की है और मौजूदा सेप्टिक टैंकरों को पंजीकरण जारी किया गया है। गौरतलब है कि एसपीसीबी की यह रिपोर्ट 5 सितंबर, 2022 को दिए एनजीटी के आदेश पर कोर्ट में सबमिट की गई है। कोर्ट मधु पार्क रिज अपार्टमेंट निवासी के रवींद्रन की शिकायत पर सुनवाई कर रहा था, जोकि रंगारेड्डी जिले के बंदलागुड़ा जागीर में रहते हैं। 

उनका आरोप था कि बंदलागुड़ा जागीर नगर निगम और आसपास की अन्य ग्राम पंचायतों से एकत्रित मानव मल को टीपू खान पुल पर मूसी नदी में फेंका जा रहा था। इस नदी में भारी मात्रा में मानव मल तैरता देखा जा सकता है।

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