नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने फरीदाबाद थर्मल पावर स्टेशन के मुख्य और कार्यकारी अभियंता को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। यह पावर स्टेशन, हरियाणा पावर जेनरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड का एक हिस्सा है।
कोर्ट ने यह नोटिस संयुक्त समिति की रिपोर्ट के आधार पर दिया है। रिपोर्ट में फरीदाबाद के बाटा चौक में बिजली संयंत्र के बंद होने के बाद भी, अरावली क्षेत्र में एक स्थान पर फ्लाई ऐश के अनुचित निपटान का जिक्र किया गया है। यह कार्रवाई पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा सात मई 1992 को अरावली के सम्बन्ध में जारी अधिसूचना के उल्लंघन से जुड़ी है, जो अरावली रेंज के निर्दिष्ट क्षेत्र के भीतर कुछ गतिविधियों को प्रतिबंधित करती है।
मामले में अदालत का कहना है कि ऐश डाइक से फ्लाई ऐश को उठाने से संबंधित कोई ठोस योजना रिपोर्ट में प्रस्तुत नहीं की गई है और इसके लिए जो समयसीमा दी गई है वो भी लंबी प्रतीत होती है। साथ ही, शुरूआत में पौधे लगाने का जो प्रस्ताव रखा गया था उसपर अब तक कुछ नहीं किया गया है।
31 जुलाई, 2023 को एक संयुक्त ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में कहा था कि वहां दो ऐश डाइक मौजूद थे। पहला ऐश डाइक 103 एकड़ में फैला था, जो 1987 में राख से भर गया था और मौजूदा समय में मिट्टी जमा होने के बाद पेड़ों से ढका है। दूसरा ऐश डाइक 152 एकड़ में फैला है और इस ऐश डाइक से फ्लाई ऐश उठाने का काम चल रहा है। रिपोर्ट से पता चला है कि 2018 और 2022 के बीच फ्लाई ऐश से राख नहीं उठाई गई है और अब काम दो एजेंसियों को सौंपा गया है।
जानकारी दी गई है कि 30 जून, 2023 तक करीब आठ लाख मीट्रिक टन फ्लाई ऐश उठा ली गई है, जबकि करीब 10 लाख मीट्रिक टन फ्लाई ऐश को अभी उठाया जाना बाकी है। इस मामले में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वकील ने अदालत को सूचित किया है कि दूसरे ऐश डाइक से पूरी फ्लाई ऐश 21 जून, 2026 तक हटा दी जाएगी।
रायगढ़ में अवैध रूप से कोयले का उपयोग कर रहा है बायोमास प्लांट, संयुक्त समिति करेगी जांच
रायगढ़ में रुक्मणी पावर प्लांट द्वारा कथित तौर पर पर्यावरण सम्बन्धी नियमों के उल्लंघनों की जांच के लिए संयुक्त समिति गठित की गई है। इस समिति का गठन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 25 सितंबर 2023 को दिए आदेश पर किया गया है। मामला छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के रानीसागर गांव का है।
कोर्ट के आदेशानुसार इस समिति में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के सचिव और रायगढ़ के जिलाधिकारी शामिल होंगें। यह आरोप सही हैं या नहीं इसकी जांच के लिए समिति विशेष रूप से पर्यावरण के लिए दी गई सहमति (ईसी) की शर्तों का पालन किया जा रहा है या नहीं इसकी जांच करेगी। साथ ही वो सीएसआर गतिविधियों, ग्रीन बेल्ट के विकास के साथ-साथ किस ईंधन के उपयोग के लिए मंजूरी दी गई है और क्या उसका पालन किया जा रहा है, इसकी भी जांच करेगी।
समिति को आठ सप्ताह के भीतर एनजीटी की सेंट्रल बेंच के समक्ष अपनी कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस मामले में आवेदक ने अपनी याचिका में कहा है कि रुक्मणी पावर प्लांट काफी समय से चल रहा है, जोकि एक बायोमास आधारित प्लांट है। लेकिन यह प्लांट अवैध रूप से कोयले का उपयोग कर राख को खेतों में बेतरतीब तरीके से फेंक रहा है।
इसके अलावा, यह भी आरोप हैं कि बिजली संयंत्र हर दिन 270 मीट्रिक टन कोयले का उपयोग कर रहा है और रात में इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर (ईएसपी) को बंद कर देता है, जिससे आसपास के गांवों और जंगलों में भारी मात्रा में पीएम 10 और पीएम 2.5 के कण फैल जाते हैं। इतना ही नहीं यह प्लांट जल संसाधन विभाग से आवश्यक अनुमति लिए बिना ही हर दिन 700 घन मीटर भूजल का दोहन कर रहा है।
इस संयंत्र से होने वाला उत्सर्जन वन्य जीवन और जैव विविधता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। संयंत्र द्वारा प्लांट से निकले कचरे को को पास के कृषि क्षेत्रों में डाल दिया जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता प्रभावित हो रही है।
इतना ही नहीं इस प्लांट के लिए जिन गांवों से भूमि ली गई थी, उनके प्रति किसी भी सामाजिक जिम्मेवारी (सीएसआर) दायित्व को पूरा नहीं किया गया है। शिकायतकर्ता के अनुसार, प्लांट की ओर जाने वाले भारी वाहनों द्वारा उपयोग की जाने वाली सड़कों को भी भारी नुकसान हुआ है।