'मानकों के अनुरूप है यूनियन कार्बाइड के आसपास कॉलोनियों में सप्लाई किया जा रहा पानी'

हालांकि कुछ बोरवेल अथवा ट्यूबवेल से लिए नमूने रंग, मैलापन, टीडीएस, क्लोराइड, अम्लता, कठोरता, फ्लोराइड, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे मापदंडों पर खरे नहीं हैं
'मानकों के अनुरूप है यूनियन कार्बाइड के आसपास कॉलोनियों में सप्लाई किया जा रहा पानी'
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भोपाल नगर निगम, यूनियन कार्बाइड के आसपास की 42 कॉलोनियों में साफ पानी की आपूर्ति करता है। सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग कमेटी के निर्देशानुसार मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) इस पानी की गुणवत्ता की निगरानी करता है। एमपीपीसीबी ने जानकारी दी है कि समिति के सदस्यों द्वारा 20 से 22 जुलाई, 2022 के बीच इसके नमूने एकत्र किए गए थे।

यूसीआईएल परिसर के आसपास की कॉलोनियों से एकत्र किए गए नल जल के नमूनों से पता चला कि नल का पानी कुछ क्षेत्रों में रंग और मैलापन को छोड़कर, अधिकांश क्षेत्र में नल जल स्वीकार्य सीमा (आईएस 10500:2012) के अनुरूप है।

हालांकि कुछ बोरवेल अथवा ट्यूबवेल से लिए नमूने रंग, मैलापन, टीडीएस, क्लोराइड, अम्लता, कठोरता, फ्लोराइड, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे मापदंडों पर खरे नहीं हैं और उनका स्तर तय मानकों से अधिक है।

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) ने अपने जवाब में कहा है कि केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) मौजूदा समय में क्षेत्र में पानी का रासायनिक विश्लेषण और परीक्षण कर रहा है। जल्द ही इस बारे में रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी जाएगी। इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 22 दिसंबर, 2023 को आदेश जारी किए थे।

अडानी कृष्णापट्टनम पोर्ट में कोयले की लोडिंग, अनलोडिंग और परिवहन से हो रहा है वायु प्रदूषण

अडानी कृष्णापटनम बंदरगाह में कोयले की लोडिंग, अनलोडिंग और परिवहन के चलते होने वाले प्रदूषण के आरोपों की जांच के लिए एक संयुक्त समिति गठित की गई है। मामला आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले का है।

इस मामले में 22 जनवरी 2024 को दिए अपने आदेश में एनजीटी ने समिति से साइट का दौरा करने के साथ आवेदक की शिकायतों पर गौर करने, और तथ्यों की जांच करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने समिति को इस समस्या से निपटने के लिए उचित कार्रवाई करने को भी कहा है। समिति को जांच में क्या मिला और उन्होंने क्या कार्रवाई की, इस बारे में एक रिपोर्ट भी कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा है।

इस मामले में आवेदक की शिकायत है कि पोर्ट प्रबंधन ने समस्या को हल करने के लिए कुछ नहीं किया है। कोयले की महीन धूल गांवों के अलावा पेड़ों पर छा रही है। 30 साल बाद भी, पोर्ट प्रबंधन अपनी पानी की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए निजी सप्लायर पर निर्भर है, जो बिना अनुमति के पोर्ट और उसके आसपास भूजल का दोहन कर रहे हैं।

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