तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) ने अमोनियम नाइट्रेट के मामले में अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी है। मामला चेन्नई के तिरुवोत्रियुर तालुका से जुड़ा है। जहां मेसर्स सत्व कंटेनर फ्रेट स्टेशन के एक गोदाम में 700 टन अमोनियम नाइट्रेट का स्टॉक जमा किया गया था।
इस गोदाम में 2015 से अमोनियम नाइट्रेट को स्टोर किया गया था। जिसका 6 अगस्त, 2020 को टीएनपीसीबी, पुलिस विभाग और फायर एंड रेस्क्यू सर्विसेज, चेन्नई के अधिकारियों ने निरिक्षण किया था। इस जांच रिपोर्ट में यह कुछ ख़ास बातें सामने आई हैं:
जब इस गोदाम का फिर से निरिक्षण किया गया तो पता चला कि इस केमिकल को अब गोदाम से हटा लिया गया है। जानकारी दी गई है कि 697 टन अमोनियम नाइट्रेट वाले 37 कंटेनरों को मेसर्स साल्वो एक्सप्लोसिव्स एंड केमिकल्स प्राइवेट के पास भेज दिया गया है। जोकि तेलंगाना में एक डेटोनेटर निर्माता है और उसके पास अमोनियम नाइट्रेट के लिए वैध लाइसेंस है। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि पहले की रिपोर्ट में इसकी मात्रा 740 टन बताई गई थी जोकि वास्तविकता में 697 टन है।
चेन्नई के स्टोरहाउस में रखे अमोनियम नाइट्रेट पर डायरेक्टर, इंडस्ट्रियल सेफ्टी एंड हेल्थ ने अपनी रिपोर्ट एनजीटी के सामने पेश कर दी है। इस रिपोर्ट के अनुसार चेन्नई के तिरुवोत्रियुर तालुका में जहां मेसर्स सत्व कंटेनर फ्रेट स्टेशन के एक गोदाम में अमोनियम नाइट्रेट रखा गया था वो फैक्ट्री अधिनियम, 1948 के अनुसार एक कारखाना नहीं है। जिस वजह से यह गोदाम उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसकी जानकारी डायरेक्टर, इंडस्ट्रियल सेफ्टी एंड हेल्थ ने 7 अगस्त को एक पत्र के माध्यम से अध्यक्ष, तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दे दी है।
इस रिपोर्ट को 19 अगस्त 2020 को सबमिट किया गया है। इस गोदाम में 2015 से अमोनियम नाइट्रेट को स्टोर किया गया था।
14 फरवरी, 2020 को दिए एनजीटी के आदेश (मूल आवेदन संख्या 935/2018) पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट के सामने प्रस्तुत कर दी है। मामला नदी से गाद निकलने के नाम पर किये जा रहे अवैध खनन से जुड़ा है। जिसके कारण आंध्रप्रदेश में कृष्णा नदी और पर्यावरण को इसकी वजह से नुकसान पहुंचा था।
इस मामले पर आंध्र प्रदेश द्वारा दलील दी गई है कि गाद निकालने का यह काम अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा किया गया था। जिसमें पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा था। इस मामले में 14 फरवरी को न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और एसपी वांगडी की पीठ ने एक विशेषज्ञ समिति के गठन का आदेश दिया था।
इस समिति में पर्यावरण मंत्रालय, इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस और सीपीसीबी के अधिकारियों को शामिल किया गया था। जिन्हें आंध्रप्रदेश सरकार द्वारा एनजीटी में सबमिट दो रिपोर्टों का 'स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन और सत्यापन' करने का निर्देश दिया गया था।