नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर्स कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) द्वारा किए गए प्रदूषण के आरोपों की जांच के लिए चार सदस्यीय निरीक्षण समिति के गठन का निर्देश दिया है। मामला उत्तर प्रदेश में प्रयागराज के फूलपुर का है।
कोर्ट के निर्देशानुसार इस संयुक्त निरीक्षण समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी), केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) और प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे।
कोर्ट ने समिति को साइट का दौरा करने के साथ यह जांच करने के लिए भी कहा है कि क्या इफको, आवश्यक अनुमति और सक्षम प्राधिकारी से अपेक्षित मंजूरी लिए बिना ही अमोनिया का उत्पादन और प्लांट का संचालन कर रहा है। कोर्ट ने समिति से प्लांट के कारण होने वाले प्रदूषण और नुकसान का आंकलन करने को भी कहा है। साथ ही कोर्ट ने समिति से इसके समाधान के लिए सुझाव भी मांगे हैं।
समिति को अलगे आठ सप्ताह के अंदर की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट करनी है।
इस मामले में आवेदक के वकील ने प्रस्तुत किया है कि इफको, फूलपुर को केवल यूरिया के संबंध में सहमति दी गई थी और अमोनिया के उत्पादन के लिए कोई सहमति नहीं दी गई है, फिर भी उद्योग पर्यावरणीय मंजूरी का उल्लंघन करते हुए फूलपुर में अमोनिया और यूरिया संयंत्र का संचालन कर रहा है। उद्योग कथित तौर पर अमोनिया युक्त दूषित पानी छोड़ रहा है, जिससे आसपास की कृषि भूमि और फसलें प्रभावित हो रही है और भूमिगत जल भी दूषित हो रहा है।
बेंगलुरु में 960 एकड़ में झील क्षेत्र पर होते अतिक्रमण के आरोपों की जांच करेगी संयुक्त समिति: एनजीटी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 15 सितंबर 2023 को झील की 960 एकड़ जमीन पर होते अतिक्रमण के आरोप की जांच के लिए संयुक्त समिति को निर्देश दिए हैं। मामला बेंगलुरु के शहरी क्षेत्र में मौजूद झील पर अतिक्रमण से जुड़ा है।
कोर्ट के निर्देशानुसार इस समिति में कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव, झील विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और संबंधित जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे। उन्हें आठ सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट ट्रिब्यूनल की दक्षिणी पीठ को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
गौरतलब है कि यह मामला एक समाचार रिपोर्ट के आधार पर शुरू किया गया था, जिसमें बेंगलुरु के शहरी जिले में 960.32 एकड़ झील भूमि पर होते अतिक्रमण पर प्रकाश डाला गया था। इन अतिक्रमणों के चलते जल दूषित हो रहा है साथ ही साइट पर ठोस कचरे को भी अवैध रूप से डंप किया जा रहा है।
एनजीटी ने लार नगर पंचायत को सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम की जांच के दिए निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने लार नगर पंचायत को विशेष रूप से फेकल कोलीफॉर्म सम्बन्धी नियमों के अनुपालन और सीवेज उपचार प्रणाली के संचालन के संबंध में तीन महीनों के बाद नमूनों का विश्लेषण करने और 22 दिसंबर, 2023 तक इससे जुड़ी रिपोर्ट एनजीटी के सामने प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
15 सितंबर, 2023 को दिए अपने इस निर्देश में एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव को मौजूदा दो के बजाय चार अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब स्थापित करने की संभावनाएं तलाशने का सुझाव दिया है। एनजीटी ने यह भी कहा है कि हालांकि फेकल कोलीफॉर्म का स्तर स्वीकार्य सीमा के भीतर था, फिर भी वे उच्च स्तर पर थे और उन्हें नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि इस बारे में प्रारंभिक शिकायत नगर परिषद लार द्वारा दूषित सीवेज को खुली भूमि पर छोड़े जाने से जुड़ी थी। मामला उत्तर प्रदेश के देवरिया का है। इससे पहले, ट्रिब्यूनल ने मामले में एक संयुक्त निरीक्षण समिति के गठन का निर्देश दिया था।
इस समिति ने क्षेत्र में नियमों के उल्लंघनों को नोट किया था। इसके बाद नौ फरवरी, 2023 को दिए अपने आदेश में कोर्ट ने सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशों का पालन करने का मौका दिया था, लेकिन साथ ही यह भी चेतावनी दी थी कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।