एनजीटी ने वैशाली के हाजीपुर में अमोनिया गैस रिसाव के लिए जिम्मेवार डेयरी प्लांट को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। इस मामले में कोर्ट ने वैशाली के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया है कि वो राज फ्रेश डेयरी के लिए नोटिस जारी करे।
गौरतलब है कि इस डेयरी में अमोनिया गैस के रिसाव से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी, और 35 लोग घायल हो गए थे। कोर्ट ने इस मामले में रिपोर्ट भी मांगी है। इस मामले पर अगली सुनवाई 31 अगस्त, 2023 को होगी।
अदालत का यह आदेश उस जानकारी के जवाब में सामने आया है, जिसमें कहा गया था कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के कार्यालय से राज फ्रेश डेयरी को एक नोटिस भेजा गया था। हालांकि उस नोटिस को उस डाक रिपोर्ट के साथ वापस लौटा दिया गया, जिसमें कहा गया था कि उस पते पर कोई भी नहीं मिल रहा था।
मामला बिहार में वैशाली के हाजीपुर का है। जहां 24 जून, 2023 की रात को अमोनिया गैस के रिसाव की बात सामने आई थी। ऐसे में एनजीटी की पूर्वी पीठ ने वैशाली के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया है कि वो स्वयं राज फ्रेश डेयरी मालिक को मूल नोटिस की प्रति दें।
साली नदी पर पुल के लिए भूमि अधिग्रहण और पेड़ों को काटने पर विचार की है जरूरत: एनजीटी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 17 अगस्त, 2023 को साली नदी पर पुल निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण और पेड़ों को काटने को लेकर चिंता जताई है। कोर्ट के मुताबिक पुल बनाने के लिए करीब 938 पेड़ों को काटने के प्रस्ताव पर विचार की जरूरत है। मामला पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले का है।
अदालत ने निर्देश दिया है कि इस मामले में बांकुरा के जिला मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस अधीक्षक, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी और दक्षिण बांकुरा के जिला वन अधिकारी सहित इससे जुड़े सभी पक्षों को नोटिस भेजा जाए।
आवेदक निर्मल कुमार सिंघा बांकुड़ा में करीब 938 पेड़ों के अवैध रूप से काटे जाने को लेकर व्यथित हैं। सिंघा का दावा है कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से 1,100 पेड़ लगाए थे, इनमें से 938 पेड़ उनकी देखरेख में विकसित हुए हैं और फल-फूल रहे हैं।
इसके अलावा, यह भी सामने आया है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने साली नदी पर एक पुल बनाने का फैसला लिया है। एनएचएआई ने आवेदक को मुआवजे की स्वीकृति के लिए नोटिस भी जारी किया है। इसके जवाब में, सिंघा ने 12 अगस्त, 2022 को सुनवाई के दौरान बांकुरा में विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी के पास अपनी आपत्तियां लिखित में दर्ज की थी। हालांकि, इन आपत्तियों को कथित अधिकारी ने खारिज कर दिया था।
यह भी आरोप है कि गंगाजलघाटी रेंज के वन बीट अधिकारी ने संबंधित भूमि का निरीक्षण करने के बाद 938 पेड़ों को काटने की मंजूरी दे दी है। इसके अतिरिक्त, दावा किया गया है कि लकड़ी के व्यापारी शांति सूत्रधर ने झूठे और भ्रामक दस्तावेज तैयार किए हैं, जिसके आधार पर भारतीय वन अधिनियम में दिए प्रावधानों की अनदेखी करते हुए वन रेंजर ने मंजूरी दे दी है।
यह भी कहा गया है कि सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए नोटिस जारी कर दिया है और पेड़ों का मूल्यांकन विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी द्वारा निर्धारित किया गया है।
कोठारी नदी प्रदूषण: एनजीटी ने राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगा स्पष्टीकरण
राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि दूषित सीवेज अभी भी बिना साफ किए सीधे कोठारी नदी में डाला जा रहा है, जिससे नदी में बढ़ते प्रदूषण के साथ पर्यावरण दूषित हो रहा है। मामला राजस्थान के भीलवाड़ा का है।
इस बारे में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव का कहना है कि औद्योगिक अपशिष्ट को सीधे नदी में नहीं बहाया जा रहा है, क्योंकि मौजूद सभी उद्योग जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं।
हालांकि जब अदालत ने पूछा कि पिछले दो वर्षों में कितना अवशेष पैदा हुआ है और उसका निपटान कैसे किया गया है, तो आरएसपीसीबी के सदस्य सचिव के पास उसका कोई जवाब नहीं था। ऐसे में उन्होंने कोर्ट से और समय देने का अनुरोध किया है, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
पनामान्ना में नदी को दूषित नहीं कर रहा है डंपिंग यार्ड: रिपोर्ट
पलक्कड़ के डिप्टी कलेक्टर ने अपनी रिपोर्ट में एनजीटी को जानकारी दी है कि ओट्टापलम नगर पालिका का डंपिंग यार्ड पास में बहने वाली नदी को दूषित नहीं कर रहा है। यह डंपिंग यार्ड केरल के पलक्कड़ जिले के पनामान्ना वार्ड में स्थित है।
रिपोर्ट 17 अगस्त को कोर्ट में सबमिट की गई है। रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि वहां वर्षों से जमा पुराने कचरे को साफ करने का काम कोझिकोड की एक एजेंसी ने किया था। रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि बायोडिग्रेडेबल कचरे के प्रबंधन के लिए विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण अपनाया गया है।
नगर पालिका के घरों में बायोगैस संयंत्र, बायो बिन, पाइप कंपोस्ट और रिंग कंपोस्ट लगाए गए हैं, जबकि थंबूरमोझी मॉडल के आधार पर दो केंद्रीय खाद बक्से प्रदान किए गए थे, लेकिन वे ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।
डंप किए गए कचरे को ट्रॉमेल या डस्टर जैसी मशीनों के बिना, मैन्युअल रूप से हटाया गया था। अलग किए गए प्लास्टिक कचरे को गर्म करके सीमेंट भट्टियों में ले जाया जाता है और बचे हुए कचरे को डंप क्षेत्र में रखकर समतल कर दिया गया था।
वहां से 980 टन कचरा साफ कर दिया गया है, लेकिन करीब 2,000 टन कचरा अभी भी बचा हुआ है। केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी द्वारा निरीक्षण के दौरान, कोई जैव-खनन गतिविधियां नहीं देखी गई।