नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राज्य अधिकारियों और मुख्य सचिवों को अपनी रणनीतियों की समीक्षा करने और प्रभावित शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रभावी उपाय करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने उन सभी शहरों के मुख्य सचिवों को तुरंत आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है जहां वायु गुणवत्ता के स्तर में गिरावट आई है या उसका स्तर लगातार खराब, बहुत खराब या गंभीर बना हुआ है। ताकि इन शहरों की हवा साफ हो सके। इस मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर 2023 को होगी।
अदालत का कहना है कि विभिन्न शहरों में हवा की गुणवत्ता में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं आया है। हकीकत यह है कि कुछ शहरों में वायु गुणवत्ता या तो पहले के स्तर पर है या फिर और गिर गई है। तीन से नौ नवंबर, 2023 के राज्य-वार वायु गुणवत्ता के आंकड़ों की समीक्षा करने के बाद, अदालत ने कहा कि संबंधित अधिकारियों ने वायु गुणवत्ता में वांछित सुधार लाने के लिए आवश्यक प्रयास नहीं किए हैं और वो ऐसा करने में विफल रहे हैं।
एनजीटी ने कहा कि रिपोर्टें में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए मुख्य रूप से दीर्घकालिक कार्य योजनाओं का तो जिक्र किया है, लेकिन एनजीटी ने "तत्काल उपचारात्मक कार्रवाई" का भी निर्देश दिया था, जिसका पालन नहीं किया गया है।
पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर रही हाउसिंग सोसायटी, एनजीटी ने जांच के दिए निर्देश
मथुरा में एक हाउसिंग सोसाइटी पर पर्यावरण नियमों को तोड़ने का आरोप लगा है। ऐसे में एनजीटी ने तथ्यों की जांच करने और आवश्यक सुधारों की सिफारिश के लिए एक संयुक्त समिति को निर्देश दिया है। मामला उत्तरप्रदेश के मथुरा का है। इस मामले में शिकायतकर्ता ने हाउसिंग सोसायटी से पर्यावरण को बेहतर बनाने, वर्षा जल को एकत्र करने और पेड़ लगाने की मांग की थी।
कोर्ट द्वारा गठित इस संयुक्त समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मथुरा के जिलाधिकारी या उनके प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह समिति साइट का दौरा करने और आवेदक के साथ-आठ परियोजना प्रस्तावक से मिलने के बाद अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी। मामले की अगली सुनवाई दो फरवरी 2024 को होगी।