क्यों हो रही सतलुज दूषित, जिसके लिए एनजीटी को जारी करना पड़ा नोटिस

मामला मुख्य रूप से लुधियाना के लाधोवाल गांव में पशु कंकालों के अनुचित और अवैज्ञानिक निपटान से जुड़ा है
क्यों हो रही सतलुज दूषित, जिसके लिए एनजीटी को जारी करना पड़ा नोटिस
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 11 सितंबर 2023 को कामकाज में होती देरी के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ-साथ लुधियाना नगर निगम को अपना जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। मामला पंजाब में लुधियाना के लाधोवाल गांव में शव निपटान संयंत्र से जुड़ा है। साथ ही अदालत के आदेशों का पालन क्यों नहीं किया गया कोर्ट ने उसका कारण भी बताने को कहा है।

यह मामला मुख्य रूप से लुधियाना के लाधोवाल गांव में पशुओं के कंकालों के अनुचित और अवैज्ञानिक से जुड़ा था। इस मामले पहले के आदेशों में, ट्रिब्यूनल ने एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था और रिपोर्ट मांगी थी।

निगरानी समिति की सिफारिश थी कि 31 दिसंबर, 2020 तक एक आधुनिक शव निपटान संयंत्र का निर्माण किया जाना चाहिए। 31 जनवरी, 2021 तक मशीनरी की स्थापना और 28 अगस्त, 2021 तक संयंत्र चालू हो जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि हालांकि शवों के निपटान के लिए नया संयंत्र बनाया गया है, लेकिन उसे अब तक चालू नहीं किया गया है और पुराना संयंत्र ही काम कर रहा है। इसकी वजह से प्लांट से निकला कचरा सतलुज में छोड़ा जा रहा है, जो उसे मैला कर रहा है। उनका यह भी कहना है कि नए प्लांट को शुरू करने के लिए कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया गया है।

उन्होंने यह भी बताया कि नगर निगम को मामले में आवश्यक कार्रवाई करने में देरी के लिए आठ लाख रुपए का मुआवजा भरना था, लेकिन उसने अब तक इसका  भुगतान नहीं किया है।

एनजीटी ने ग्रीन बेल्ट में पेड़ों की अवैध कटाई और अतिक्रमण की सच्चाई की जांच के लिए समिति को दिया निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भोपाल में पेड़ों की कटाई और ग्रीन बेल्ट पर होते अतिक्रमण के पीछे की सच्चाई की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति को निर्देश दिया है। इस मामले में एनजीटी ने आवेदक सुभाष सी पांडे को निर्देश दिया है कि वे किए गए उल्लंघनों के संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें ताकि मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और भोपाल नगर निगम अपना जवाब प्रस्तुत कर सकें।

गौरतलब है कि उन्होंने पेड़ों की कटाई, ग्रीन बेल्ट पर किए जा रहे अतिक्रमण और पर्यावरण नियमों को ताक पर रख कब्जा करने वाले लोगों द्वारा ग्रीन बेल्ट क्षेत्र का गैरकानूनी तरीके से किया जा रहा उपयोग जैसे मुद्दे उठाए हैं।

इस मामले में आवाज उठाने वाले आवेदक सुभाष सी पांडे ने जानकारी दी है कि भले ही इन पेड़-पौधों को मूल रूप से भोपाल में एक सरकारी परियोजना के तहत लगाया गया था, लेकिन अब उन्हें काटा या नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, वृक्षारोपण के लिए निर्धारित जमीन पर भूमाफियाओं ने अपने अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक उपयोग के लिए उसपर कब्जा किया है या उसे डायवर्ट किया है। उस जमीन पर लगातार अतिक्रमण जारी है।

एनजीटी ने संयुक्त समिति की सिफारिशों का पालन करने का दिया निर्देश: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड और खनन विभाग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि वे संयुक्त समिति द्वारा दी गई सिफारिशों का पालन करें। गौरतलब है कि इस समिति को रायगढ़ और सारंगढ़ जिलों में अवैध डोलोमाइट खनन के दावों की जांच के लिए एनजीटी के आदेश पर बनाया गया था।

संयुक्त समिति द्वारा दी गई सिफारिशें जिन्हें अदालत ने मंजूरी दे दी है, उनमें शामिल हैं:

  • खनन विभाग को खनिज आरक्षित क्षेत्रों और भंडारण क्षेत्रों की अधिक से अधिक जांच करनी चाहिए ताकि यह निगरानी की जा सके कि कितनी सामग्री का भंडारण किया जा रहा है।
  • परियोजना प्रस्तावक को खनन सामग्री ले जाने वाले ट्रकों को तिरपाल से ढंकना चाहिए।
  • परियोजना मालिकों को खदान के चारों ओर 5 मीटर के सुरक्षा क्षेत्र में अधिक पेड़ लगाने चाहिए।
  • परियोजना मालिकों को नियमित रूप से हर छह महीने में उचित प्राधिकारी को पर्यावरण की मंजूरी शर्तों के अनुपालन की रिपोर्ट देनी होगी।

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