एनजीटी ने एचपीसीएल पर लगाया 8.35 करोड़ रुपए का जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आठ सप्ताह का समय

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
एनजीटी ने एचपीसीएल पर लगाया 8.35 करोड़ रुपए का जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आठ सप्ताह का समय
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सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 20 अक्टूबर, 2022 को दिए आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि एनजीटी ने अपने इस आदेश में एचपीसीएल को 8.35 करोड़ रुपए पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में जमा करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अब एचपीसीएल को आठ सप्ताह की अवधि के भीतर एनजीटी के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने एनजीटी के आदेश (पैराग्राफ संख्या 53.4) के एक हिस्से पर रोक लगा दी है, जिसमें एचपीसीएल को 10 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जमा करने का भी निर्देश दिया गया था।

गौरतलब है कि एनजीटी ने एचपीसीएल पर जानबूझकर पीएसयू के मामले में अनदेखी और लापरवाही के लिए दस करोड़ रुपये की राशि का जुर्माना लगाया था। यह राशि विजाग जिले में पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य की बहाली पर खर्च की जानी थी।

यह पूरा मामला विशाखापत्तनम में एचपीसीएल रिफाइनरी से जुड़ा है जिसे 1957 में स्थापित किया गया था। पता चला है कि इस रिफाइनरी से धुआं, गंध और जल प्रदूषण हो रहा था। वहीं 25 मई, 2021 को इस रिफाइनरी की क्रूड डिस्टिलेशन यूनिट III में आग लगने की दुर्घटना हुई थी।

आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एपीपीसीबी) द्वारा दायर एक रिपोर्ट, जिसे जांच समिति की विस्तृत रिपोर्ट के साथ प्रस्तुत किया गया था, इसमें जानकारी दी गई है कि इस दुर्घटना का कारण छेद पाया गया जो "6 एसआर पाइपलाइन पर कोलतार ले जाने के कारण लगे जंग के कारण हुआ था।

रिपोर्ट में निरीक्षण के दौरान एचपीसीएल में अन्य खामियों को भी देखा गया है।

देहरादून में यमुना नदी तल पर होते खनन के मामले में एनजीटी ने मांगा जवाब

एनजीटी ने डाकपत्थर, नवाबगढ़, मंडी गंगभेवा और भीमावाला गांवों में रिवर बेड माइनिंग में लगे परियोजना प्रस्तावक को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामला उत्तराखंड के देहरादून जिले का है।

इसके साथ ही कोर्ट ने गढ़वाल मंडल विकास निगम और उत्तराखंड के भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग को भी जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। गौरतलब है कि यह खनन स्थल 123 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है और यमुना नदी के तल पर स्थित है। आवेदक के अनुसार, गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा उचित मानदंडों का पालन किए बिना पर्यावरण मंजूरी को स्थानांतरित कर दिया गया है।

वहीं राजस्व विभाग ने 1.06 करोड़ रुपये की वसूली का दावा किया है। अदालत ने कहा कि यह राशि परियोजना प्रस्तावक द्वारा अवैध रूप से खनन किए गए पूरे खनिज की लागत को नहीं दर्शाती है। साथ ही उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अवैध खनन एवं पर्यावरण को होने वाले नुकसान के लिए पर्यावरण क्षतिपूर्ति के निर्धारण, प्रस्तावक द्वारा अपराध करने पर प्राथमिकी दर्ज करने एवं अन्य कदमों के सम्बन्ध में कोई कार्यवाही रिकॉर्ड में नहीं है।

लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी प्रोजेक्ट के मामले में कोर्ट ने अंसल हाई टेक टाउनशिप लिमिटेड से मांगा जवाब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 6 जनवरी 2023 को अंसल हाई टेक टाउनशिप लिमिटेड को उसके लखनऊ में सुशांत गोल्फ सिटी प्रोजेक्ट के निर्माण में पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन के मामले पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि इस मामले में पूजा कुमार द्वारा 3 जनवरी, 2023 को एनजीटी के समक्ष एक आवेदन दायर किया था। इस आवेदन के अनुसार सुशांत गोल्फ सिटी प्रोजेक्ट को अधिकारियों से कोई पर्यावरण मंजूरी या एनओसी नहीं मिली है।

यह परियोजना बिना किसी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) या पेयजल आपूर्ति के बन रही है। परियोजना प्रस्तावक द्वारा परियोजना की विकास योजना में पर्याप्त वृक्षारोपण एवं हरित पट्टी क्षेत्र को भी उपलब्ध नहीं कराया गया है।

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