नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ औद्योगिक प्रदूषण की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए चार सदस्यीय समिति को साइट का दौरा करने और छह सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मामला मध्य प्रदेश के नागदा शहर का है। ग्रासिम इंडस्ट्रीज पर आरोप है कि वो केमिकल युक्त पानी को खुली भूमि पर डाल रहा है, जिससे मिट्टी और पानी को नुकसान पहुंच रहा है।
कोर्ट को जानकारी दी गई है कि परिसर से केमिकल युक्त पानी को "अधिकारियों द्वारा जानबूझकर इसके लिए बनाए गए एक औद्योगिक नाले में छोड़ा जाता है, जो लगभग 300 मीटर की दूरी पर स्थित चंबल नदी में मिलता है।" आवेदक के अनुसार इस तरह यह जहरीला पानी चंबल नदी के नीचे की ओर गांधी सागर बांध की ओर बह जाता है।
इस पानी की आपूर्ति और खपत नागदा और कछरोड़ शहरों में की जाती है।
खेतों और उसके आसपास अवैध रूप से बायोमेडिकल वेस्ट का निपटान कर रहा है जेके मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम
एनजीटी ने 8 फरवरी 2023 को एक संयुक्त समिति को निर्देश दिया है कि वो मोहनपुर गांव में बायो मेडिकल कचरे के अवैध निपटान के मामले की जांच करे। मामला मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले का है। इस मामले में एनजीटी की सेंट्रल बेंच ने समिति को छह हफ्तों के भीतर तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
गौरतलब है कि 27 जनवरी, 2023 को एनजीटी के समक्ष दायर एक आवेदन में कहा गया है कि जेके मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम मोहनपुर गांव के खेतों और उसके आसपास अवैध रूप से जैव चिकित्सा कचरे का निपटान कर रहा है। मामला चंदेरी तहसील के अशोकनगर जिले का है।
पता चला है कि यह राख नदियों, नालों, कुओं, हैंडपंपों में भी रिस रही है, जो पर्यावरण के लिए भी खतरा पैदा कर रही है। एनजीटी को दिए गए आवेदन में जानकारी दी गई है कि पिछले कुछ वर्षों से आसपास के खेतों और जल स्रोतों में बायो-मेडिकल कचरे के अवैज्ञानिक निपटान, गैरकानूनी तरीके से हैंडलिंग और उपचार के साथ अवैध डंपिंग से जुड़ी कई घटनाओं की सूचना मिली है।
यह भी आरोप लगाया है कि जे के मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम नियमित तौर पर बायोमेडिकल वेस्ट को 10 से 15 ट्रॉलियों की मदद से खुले में डंप कर रहा है।
जानिए कोल्हापुर में पंचगंगा नदी प्रदूषण के खिलाफ क्या की गई कार्रवाई
रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि कोल्हापुर सिंचाई विभाग ने कोल्हापुर नगर क्षेत्र के हिस्से के साथ-साथ प्रयाग चिकाली से पंचगंगा नदी के किनारे रूकड़ी तक कुल 31.34 किलोमीटर के क्षेत्र में नीली और लाल रेखाओं के सीमांकन का कार्य पूरा कर लिया है।
गौरतलब है कि एनजीटी ने 5 अप्रैल, 2019 को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) से नगर निगम की विफलता दर्शाने वाली रिपोर्ट पर विचार करने के बाद 'रेड जोन' क्षेत्र का सीमांकन करने की बात कही थी। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रदूषण पैदा करने वाली गतिविधियों को रोकने के साथ-साथ उपचारात्मक कदम उठाने का भी निर्देश दिया था।
रिपोर्ट से पता चला है कि कोल्हापुर नगर निगम द्वारा शेष 6 नालों के अवरोधन और उनके मार्ग में बदलाव का कार्य अब तक पूरा नहीं किया है, जोकि अभी भी अमृत योजना के तहत प्रक्रियाधीन है।