एनजीटी ने 7 जुलाई, 2020 को दिए अपने आदेश में कहा है कि महाराष्ट्र में टाइगर कॉरिडोर के अंदर किसी भी सड़क परियोजना के लिए वन्यजीवों की सुरक्षा सम्बन्धी सभी सावधानियों का पालन करना जरुरी है। साथ ही, इन परियोजनाओं का निर्माण केवल राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा तैयार की गई कार्ययोजना के अंतर्गत ही किया जा सकता है।
यह आदेश केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा परियोजना की लागत पर की गई आपत्ति के मद्देनजर आया है। जिसपर मंत्रालय ने कहा था कि वो वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए निर्धारित उपायों पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं कर सकता है।
यह मामला उस समय कोर्ट के सामने आया था जब महाराष्ट्र में राज्य और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा टाइगर कॉरिडोर में चलाई जा रही सड़क परियोजनाएं उनमें बाधा उत्पन्न कर रही थी। अपीलकर्ता के अनुसार इन सड़क परियोजनाओं में पर्यावरण और वन्यजीवों की सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा गया है। इनके निर्माण में वन्यजीवों की सुरक्षा सम्बन्धी जरुरी कदम नहीं उठाए गए हैं।
एनजीटी ने 7 जुलाई 2020 को हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, फरीदाबाद के उपायुक्त और जिला मजिस्ट्रेट को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। यह मामला मेसर्स आरडीसी कंक्रीट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पर्यावरणीय सम्बन्धी नियमों के उल्लंघन का है।
अपीलकर्ता अर्जुन सिंह ने जानकारी दी है कि मेसर्स आरडीसी कंक्रीट द्वारा बिना जरुरी अनुमति के भूजल का दोहन किया जा रहा था। जिसकी वजह से पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है| उनका आरोप है कि इस मामले में अधिकारियों द्वारा भी कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई थी।
दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को मायापुरी इलाके में लगभग 141 अवैध बोरवेल मिले थे| जिनमें से 91 को अब तक सील किया जा चुका है। जबकि प्राप्त जानकारी के अनुसार शेष अवैध बोरवेलों को सुरक्षा के लिए पुलिस बल की कमी के चलते सील नहीं किया जा सका है| यह जानकारी दिल्ली जल बोर्ड द्वारा एनजीटी में सबमिट रिपोर्ट में सामने आई है|
एनजीटी को दी गई जानकारी के अनुसार कोरोना के चलते 25 मार्च से हुए लॉकडाउन के कारण अब तक और सीलिंग नहीं की जा सकी है| क्योंकि ज्यादातर पुलिस टीम को कोरोना की रोकथाम में ड्यूटी दी गई थी| गौरतलब है कि सीलिंग की इस कार्रवाही को राजस्व और डीजेबी के अधिकारियों द्वारा दिल्ली पुलिस की निगरानी में पूरा किया जाना था|
दिल्ली जल बोर्ड द्वारा यह रिपोर्ट 1 नवंबर, 2019 को एनजीटी द्वारा दिए आदेश पर सबमिट की गई है| जिसमें व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए मायापुरी में भूजल के अवैध दोहन पर की गई कार्रवाही की रिपोर्ट कोर्ट को देनी थी|
7 जुलाई 2020 को दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (डीएसआईआईडीसी) ने खतरनाक कचरे के उपचार, भंडारण और निपटान सम्बन्धी सुविधा (टीएसडीएफ) की स्थापना की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। टीएसडीएफ सुविधा पर मैसर्स तमिलनाडु वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड (टीएनडब्ल्यूएलएम) ने अपना प्रस्ताव दिया था। जिसके संबंध में इसके संदर्भ की शर्तों पर एक विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) द्वारा विचार किया गया था और 6 जनवरी को ईएसी द्वारा यह टर्म्स ऑफ रेफेरेंस (टीओआर) जारी कर दी गई थीं।
26 फरवरी को टीएनडब्ल्यूएलएम ने अपनी ड्राफ्ट ईआईए रिपोर्ट को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को भेज दिया था| जिससे पर्यावरण स्वीकृति के लिए जनसुनवाई की जा सके, लेकिन लॉकडाउन के कारण यह जनसुनवाई रद्द कर दी गई थी। डीएसआईआईडीसी ने एनजीटी को आश्वासन दिया है कि जनसुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने और जरूरी पर्यावरण सम्बन्धी मंजूरी मिलने के बाद टीएसडीएफ परियोजना को जल्द ही बिना किसी देरी के पूरा कर लिया जाएगा।