महोबा में पत्थर खनन से हो रहा है वायु और ध्वनि प्रदूषण, एनजीटी ने मांगा जवाब

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
महोबा में पत्थर खनन से हो रहा है वायु और ध्वनि प्रदूषण, एनजीटी ने मांगा जवाब
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने 8 अगस्त को दिए आदेश में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और महोबा जिला मजिस्ट्रेटकी संयुक्त समिति को एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मामला महोबा में हो रहे अवैध पत्थर खनन से जुड़ा है।

इस मामले में आवेदक कमलापत का कहना है कि उत्तर प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रदूषण फैलाने वाले खनिकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा है। वहां नियमों को ताक पर रख दिन-रात ब्लास्टिंग हो रही है, जिससे ध्वनि, वायु प्रदूषण और अन्य वजहों से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि इन खानों से निकली धूल खेतों पर जमा हो रही है। साथ ही पहाड़ी रास्ते से खेत की तरफ पत्थर भी गिर रहे हैं।

पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर रही हैं सलेम में मैग्नेसाइट और ड्यूनाइट खदानें

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में 6 अगस्त, 2022 को सबमिट रिपोर्ट में जानकारी दी है कि सलेम में मैग्नेसाइट और ड्यूनाइट खदानें पर्यावरण नियमों का पालन नहीं कर रही हैं। मामला डालमिया भारत शुगर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा तमिलनाडु के सेलम चेट्टीचवाड़ी गांव में मैग्नेसाइट और ड्यूनाइट की खानों से जुड़ा है। जानकारी मिली है कि इन खानों के पास खनन के लिए  वैध पट्टा नहीं है।

वहीं तमिलनाडु भूविज्ञान और खनन विभाग का कहना है कि इन खदानों का पट्टा 1976 से 2019 के बीच बिना पर्यावरण मंजूरी के ही चल रहा था। अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार वर्तमान में भी इन खानों के पास वैध पट्टा नहीं है। साथ ही इन खानों के पट्टे को बढ़ाया नहीं जा सकता क्योंकि परियोजना प्रस्तावक आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं कर रहा है।

ग्रेटर नोएडा के रिहायशी इलाकों के पास ग्रीन बेल्ट में लगते मोबाइल टावरों का मामला, कोर्ट ने मांगा जवाब

गौर अतुल्यम अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट, 2010 की धारा 14 के तहत एनजीटी में आवेदन दायर किया है। मामला ग्रेटर नोएडा की  गौर अतुल्यम सोसाइटी के सामने ग्रीन बेल्ट में होते मोबाइल टावरों के निर्माण से जुड़ा है। आवेदक ने इस मामले में मेसर्स इंडस टॉवर लिमिटेड के पक्ष में ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआईडीए) द्वारा 5 जुलाई, 2022 को जारी आवंटन पत्र को निरस्त करने की मांग की है।

इस मामले में एनजीटी ने ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण और इंडस टॉवर को 10 दिनों के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। वहीं मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त, 2022 को होगी।

कोर्ट के बार-बार आदेश के बाद भी जारी है कदौरा के तालाब पर होता अतिक्रमण

कदौरा शहर के मुख्य तालाब में होता अतिक्रमण एनजीटी के बार-बार दिए जा रहे आदेशों के बाद भी जारी है, यह आवेदक पुष्पेंद्र कुमार का कहना है। उनके अनुसार तालाब की स्थिति सुधरने की जगह और बदतर हुई है।

गौरतलब है कि इस मामले में जालौन जिला मजिस्ट्रेट और कदौरा नगर पंचायत के कार्यकारी अधिकारी इस तालाब का जीर्णोद्धार करने के लिए कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। ऐसे में कोर्ट ने इस पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट के साथ इन लोगों को अगली तारीख (11 अक्टूबर, 2022) को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा है।

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