पर्यावरणीय क्षति का सामना कर रही पंपोर की आद्रभूमियां, जांच के लिए संयुक्त समिति गठित

एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत एक आवेदन में कहा गया है कि अपर्याप्त सुरक्षा उपायों और खराब ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के कारण पंपोर की आर्द्रभूमियां खतरे में है
पर्यावरणीय क्षति का सामना कर रही पंपोर की आद्रभूमियां, जांच के लिए संयुक्त समिति गठित
Published on

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने छह मार्च को आर्द्रभूमि के संबंध में एक संयुक्त समिति से तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। मामला जम्मू कश्मीर के पंपोर का है। इस समिति में जम्मू और कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति, पुलवामा के जिला मजिस्ट्रेट और राज्य वेटलैंड प्राधिकरण के प्रतिनिधि शामिल होंगें।

यह समिति न केवल साइट का दौरा करेगी साथ ही प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने के साथ दो महीनों के भीतर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करेगी।

गौरतलब है कि लालपोरा पंपोर में इको-डेवलपमेंट कमेटी के सदस्य नदीम अहमद डार ने कोर्ट के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत किया था। इस आवेदन में कहा गया है कि अपर्याप्त सुरक्षा उपायों और खराब ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के कारण पंपोर की आर्द्रभूमियां खतरे में है।

आवेदन में यह भी कहा गया है कि संबंधित अधिकारी वेटलैंड की सुरक्षा के लिए उचित कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। ऐसे में इस मामले में उचित जांच की आवश्यकता है। साथ ही पर्यावरणीय क्षति को रोकने के लिए उचित सुरक्षा उपायों को लागू करने की आवश्यकता है।

आजमगढ़ में घरेलू सीवेज से स्वास्थ्य के लिए पैदा हो रहा है खतरा

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आजमगढ़ के जिला मजिस्ट्रेट को जालंधरी गांव में हो रहे सीवेज प्रदूषण के दावों की जांच करने का निर्देश दिया है।

छह मार्च 2024 को दिए अपने निर्देश में अधिकारियों को संयुक्त रूप से क्षेत्र का निरीक्षण करने, प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने के लिए कहा है। साथ ही इस प्रदूषण को दूर करने और बहाली के लिए आवश्यक कदम उठाने का भी आदेश दिया है, ताकि इस प्रदूषण को दूर किया जा सके। कोर्ट के निर्देशानुसार समिति को इस मामले में अगले दो महीनों के भीतर कार्रवाई करनी होगी।

गौरतलब है कि मुद्दसर हसन द्वारा भेजी अखबार की एक रिपोर्ट पर कोर्ट ने एनजीटी अधिनियम 2010 की धारा 14 और 15 के तहत स्वतः संज्ञान लेते हुए यह मामला दर्ज किया है। इस शिकायत के मुताबिक आजमगढ़ के जालंधरी गांव के निचले इलाके में घरेलू सीवेज जमा हो जाता है। इसके बहुत ज्यादा होने पर यह लोगों के घरों में पहुंच जाता है।

इस प्रदूषण के चलते स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो गया है। इस मामले में संबंधित अधिकारियों ने भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in