छत्तीसगढ़ में अपनी कमियों को दूर करने के लिए 15 उद्योगों को जारी किए गए दिशा-निर्देश

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
छत्तीसगढ़ में अपनी कमियों को दूर करने के लिए 15 उद्योगों को जारी किए गए दिशा-निर्देश
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छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड (सीईसीबी) ने एनजीटी को सबमिट अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि राज्य में कुल 167 उद्योग हैं और उन्हें प्रदूषणकारी उद्योगों की 17 श्रेणियों में वर्गीकृत किया है। इन उद्योगों से होने वाले उत्सर्जन के ऑनलाइन आंकड़े सीईसीबी की वेबसाइट पर प्रदर्शित किए जाते हैं।

9 सितंबर, 2022 तक प्राप्त आंकड़ों से पता चला है कि इन 167 में से 125 उद्योगों से जुड़े उत्सर्जन संबंधी आंकड़े नियमित रूप से प्राप्त होते हैं। वहीं 27 उद्योग अस्थायी रूप से बंद हैं, इस प्रकार उनसे कोई डेटा प्राप्त नहीं हो रहा है, जबकि तकनीकी और नेटवर्क संबंधी कारणों से 15 उद्योगों का डेटा नहीं मिल पाया है। ऐसे में उपरोक्त 15 उद्योगों को अपनी कमियों को दूर करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्सर्जन का नियमित डेटा सीईसीबी को भेजा जाए।

जानकारी दी गई है कि सिस्टम को कहीं ज्यादा यूजर फ्रेंडली बनाने के लिए सीईसीबी ने उद्योगों के लिए क्लाइंट सर्वर सिस्टम के माध्यम से सीएएक्यूएमएस/सीईएमएस/ईक्यूएमएस डेटा की आपूर्ति, कमीशन और रखरखाव के रियल टाइम डेटा अधिग्रहण और हैंडलिंग का काम छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसाइटी (चिप्स), रायपुर को दिया है।

गाजियाबाद की सिद्धार्थ  विहार योजना से नदारद है ग्रीन बेल्ट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

एनजीटी ने 6 दिसंबर, 2022 को आवास विकास परिषद की एक योजना में ग्रीन बेल्ट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कमी को देखने के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट को अगले एक महीने के अंदर कोर्ट को रिपोर्ट सबमिट करनी है। मामला उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद की सिद्धार्थ विहार योजना से जुड़ा है।

जस्टिस सुधीर अग्रवाल की बेंच ने इस रिपोर्ट में सीवेज उपचार संयंत्र, वृक्षारोपण जैसे अन्य मुद्दों को शामिल करने की बात कही है। साथ ही इस रिपोर्ट में उपचारित सीवेज के साथ ठोस अपशिष्ट के संग्रह, पहचान और प्रोसेस के लिए ले जाए जाने में इस्तेमाल होने वाली परिवहन प्रणाली और बुनियादी ढांचे की बारे में जानकारी को सम्मिलित किया जा सकता है।

इस मामले में शिकायतकर्ता संजीव कुमार का कहना है कि यहां भूमि का विकास विभिन्न बिल्डरों और डेवलपर्स के माध्यम से किया गया है, जिन्होंने अन्य चीजों के साथ आवासीय भवनों का निर्माण किया है। कुछ परियोजनाओं को पूरा कर लिया गया है और जल्द उनका कब्जा दे दिया गया है। लेकिन वहां पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करते हुए न तो हरित पट्टी विकसित की गई है और न ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया गया है। ऐसे में इस तरह के निर्माण भारी प्रदूषण का कारण बन रहे हैं। आवेदक ने बताया है कि वहां अभी भी कुछ परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं।

जारी है दिल्ली में नजफगढ़ झील के जीर्णोद्धार और संरक्षण का काम

नजफगढ़ झील के नाले वाले हिस्से का बाथमीट्रिक सर्वेक्षण किया गया है और इस क्षेत्र में पड़ने वाले नाले से गाद निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह जानकारी दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर स्थित नजफगढ़ झील की कायाकल्प को सुनिश्चित करने के उपायों के संबंध में दिल्ली सरकार द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट में सामने आई है।

जानकारी दी गई है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा हर तीसरे महीने पानी की गुणवत्ता की निगरानी की जा रही है। वहां पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा गठित अंतर-मंत्रालयी विशेषज्ञ समूह ने नजफगढ़ झील संरक्षण और कायाकल्प के लिए एक ड्राफ्ट रिपोर्ट भी तैयार की है।

साथ ही डीपीसीसी द्वारा नियमित तौर पर नजफगढ़ झील में पानी की गुणवत्ता के साथ मौजूद सभी भौतिक, रासायनिक मापदंडों, भारी धातुओं और जीवाणु की जांच की जा रही है।  

जैसा कि 5 दिसंबर, 2022 की रिपोर्ट में कहा गया है, वहां दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने छह नालों की पहचान की है, हालांकि पीडब्ल्यूडी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले कुछ छोटे नाले अभी भी बचे हुए हैं। सभी नालों की समय-समय पर निगरानी की जा रही है और उनकी सफाई की जाती है।

गौरतलब है कि दिल्ली की वेटलैंड अथॉरिटी ने 19 जुलाई, 2022 को जिला मजिस्ट्रेट (दक्षिण पश्चिम जिला) की अध्यक्षता में एमसीडी, पीडब्ल्यूडी, पंचायत विभाग, डीजेबी जैसे सभी हितधारक विभागों के साथ मिलकर नजफगढ़ वेटलैंड्स समिति का गठन किया था। यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 21 जनवरी, 2022 को दिए आदेश के जवाब में थी।

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