हरिद्वार में अवैध रूप से चल रहे 181 ईंट भट्टे: एनजीटी ने जांच के लिए गठित की समिति

हरिद्वार में अवैध रूप से चल रहे 181 ईंट भट्टे: एनजीटी ने जांच के लिए गठित की समिति

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 4 नवंबर, 2022 को हरिद्वार में अवैध रूप से चल रहे ईंट भट्टों की जांच के लिए निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने इसके लिए एक समिति के गठन के भी निर्देश दिए हैं। इस समिति में उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट भी शामिल होंगे। कोर्ट ने समिति को एक महीने के महीने के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

कोर्ट का कहना है कि रिपोर्ट में यह विवरण दिया जाना चाहिए कि हरिद्वार में अवैध रूप से चल रहे ईंट भट्ठों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। इस रिपोर्ट में अन्य तथ्यों के अलावा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) द्वारा 22 फरवरी, 2022 को जारी अधिसूचना के अनुसार मानदंडों का हवाला देते हुए और वायु वहन क्षमता के पहलुओं पर भी प्रासंगिक तथ्य दिए जाएंगे।

उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इस बाबत भी जवाब मांगा है कि जब उन्होंने हरिद्वार में चल रहे उन 195 ईंट भट्टों की पहचान की थी, जिनमें से केवल 14 के पास ही वैध सहमति है, तो बाकी के खिलाफ उचित कार्रवाई क्यों नहीं की गई और यदि कोई कार्रवाई की गई है उसकी जानकारी इस रिपोर्ट में साझा करने के लिए एनजीटी ने निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि इस मामले में आवेदक अजय कुमार ने हरिद्वार में बड़ी संख्या में चल रहे अवैध ईंट भट्ठों पर सवाल उठाया था, जिनके पास जल अधिनियम, 1974, वायु अधिनियम 1981 और पर्यावरण अधिनियम 1986 के तहत उचित वैधानिक नियमों से अपेक्षित सहमति/एनओसी/मंजूरी नहीं थी। आवेदक ने कहा था कि, “पर्यावरण मानदंडों की आवश्यकता को पूरा किए बिना क्षेत्र में 190 से अधिक ईंट भट्टे चल रहे हैं।“

साथ ही आवेदक ने आरटीआई से प्राप्त जानकारी को भी सबूत के रुप में पेश किया है कि उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पहचाने गए 195 ईंट भट्टों में से केवल 14 ईंट भट्टों के पास वैध सहमति है और बाकी अवैध रूप से चल रहे हैं। इसके बावजूद राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों द्वारा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

गोवा में अब तक हुई है 42 वेटलैंडस की पहचान, जीएसडब्ल्यूए रिपोर्ट में आया सामने

गोवा स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी (जीएसडब्ल्यूए) ने गोवा में आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम 2017 के तहत वेटलैंड की पहचान और अधिसूचना पर अपनी ग्यारहवीं तिमाही प्रगति रिपोर्ट एनजीटी में सबमिट कर दी है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक 3 नवंबर, 2022 तक गोवा कुल 42 वेटलैंडस की पहचान की गई है। इनमें से 8 वेटलैंड्स को गोवा में आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम 2017 के तहत अधिसूचित किया गया है और 9 वेटलैंडस के लिए ड्राफ्ट अधिसूचना बनाई गई है।

सिक्किम में सॉलिड और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट के मामले में एनजीटी ने जारी किया आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 03 नवंबर, 2022 को कहा है कि शहरी विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), पेयजल और स्वच्छता विभाग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को क्लाइमेट और स्थलाकृतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के सुरक्षित तरीके प्रस्तुत करने की जरूरत है। एनजीटी का कहना है कि सीवेज और सॉलिड कचरे के प्रबंधन के लिए सिक्किम और उस जैसे अन्य पहाड़ी राज्यों की अनूठी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ऐसा करना बेहद जरूरी है।

इसमें शहरी और ग्रामीण पहाड़ी क्षेत्रों में सेप्टिक टैंक/सोक पिट और मल कीचड़ उपचार संयंत्र (एफएसटीपी) के माध्यम से सीवेज प्रबंधन और वर्षों से जमा कचरे के उपचार सहित उपयुक्त तरीकों से गीले और ठोस कचरे को प्रोसेस करना शामिल है। अदालत ने कहा कि शहरी विकास मंत्रालय को इस गतिविधि में कोआर्डिनेट करने की जरूरत है, जिसके लिए राज्य भी पहल कर सकते हैं।

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