दिल्ली के एम्स और उसके आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण, भीड़ और अतिक्रमण को रोकने के उपायों के साथ संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी है। रिपोर्ट ने सिफारिश की है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली परिसर के अंदर यातायात प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए अस्पताल को निकट भविष्य में परिसर के भीतर सभी पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करना चाहिए। हालांकि इसमें आपातकालीन और रोगियों को लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल होने वाले वाहनों को छूट देने की बात कही है।
यह उपाय उन दीर्घकालिक उपायों में से एक हैं जिन्हें इस समिति ने सुझाया है। गौरतलब है कि एम्स, दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के मामले को देखने के लिए 17 मार्च, 2023 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर एक संयुक्त समिति गठित की गई थी। इस क्षेत्र में बढ़ता प्रदूषण मरीजों के साथ-साथ एम्स के डॉक्टर और अन्य कर्मचारियों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है।
गौरतलब है कि आपातकालीन वाहन तेजी से अपने गंतव्य तक पहुंच सकें इसके लिए ट्रैफिक पुलिस ने साउथ एक्सटेंशन और यूसुफ सराय के बीच एम्बुलेंस के लिए एक अलग से लेन बनाने का भी सुझाव दिया था। इस विचार का उल्लेख भी एक जुलाई, 2023 को सबमिट इस रिपोर्ट में किया गया है। समिति ने यह भी उल्लेख किया है कि एम्स मरीजों और अपने कर्मचारियों के परिवहन के लिए 200 इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर भी विचार कर रहा है।
कैसे होगा सभापुर की अनधिकृत कॉलोनियों में कचरे का प्रबंधन, एमसीडी के पास नहीं जमीन
सभापुर में 15 अनधिकृत कॉलोनियों से निकलने वाले कचरे को एकत्र करने के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के पास कोई जमीन नहीं है। यह जानकारी एमसीडी द्वारा 28 जून, 2023 को एनजीटी पर अपलोड की गई रिपोर्ट में दी गई है। इतना ही नहीं रिपोर्ट के अनुसार एमसीडी के पास फिक्स्ड कॉम्पेक्टर ट्रांसफर स्टेशन, मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी, सार्वजनिक शौचालय और पर्यावरण सर्वेक्षण आश्रयों के निर्माण के लिए भी जगह उपलब्ध नहीं है।
बता दें कि इन सभी कालोनियों की सड़कें कच्ची हैं और वहां नालियों का निर्माण नहीं हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक इन क्षेत्रों में सफाई और कूड़ा उठाने का काम शाहदरा के स्वच्छता विभाग, द्वारा दैनिक आधार पर किया जा रहा है। रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि इन कॉलोनियों में बिना लाइसेंस के चल रही मांस की 17 दुकानों को सील कर दिया गया है और वहां से अतिक्रमण को हटा दिया गया है।
वसंत कुंज के मामले में डीडीए ने एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट, जानिए क्या है पूरा मामला
दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि वसंत कुंज के पास मौजूद खुले नाले को साफ कर दिया गया है। वहीं उन क्षेत्रों में जहां जलभराव होता है और तालाब के आसपास पड़े निर्माण सम्बन्धी मलबे और कचरे को साफ कर दिया गया है।
डीडीए ने गंदे पानी के रिसाव को रोकने के लिए वसंत कुंज की एक सोसायटी के पीछे आरसीसी दीवार के निर्माण के लिए टेंडर जारी किया है। इसके अलावा, सीवेज जल के जमाव को रोकने के लिए नाली के निर्माण पर भी विचार किया गया है।
वहीं डीडीए ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के निर्देशों का पालन करते हुए नाले के किनारे मौजूद सोसायटी की चारदीवारी की वाटर-प्रूफिंग और उसकी मजबूती का काम पहले ही पूरा कर लिया है। डीपीसीसी के निर्देशानुसार 2022 में ही तालाब की सफाई की जा चुकी है। डीडीए ने आगे जानकारी दी है कि तालाब और जलभराव वाले क्षेत्रों की नियमित सफाई के लिए एक नया टेंडर जारी किया गया है।
गौरतलब है कि मामला वसंत कुंज में रुके हुए खुले नाले से जुड़ा है। वसंत कुंज में सोसायटी के पीछे बनाया गया नाला महिपालपुर के एक अनधिकृत नाले से छोड़े जा रहे सीवर और दूषित पानी के कारण बुरी स्थिति में है। बता दें कि इस नाले को बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या को हल करने के लिए बनाया गया था।
इस मामले में वसंत कुंज के सेक्टर ई-2, के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डीएस कटारा ने एनजीटी को दी अपनी शिकायत में कहा है कि नाले का बदबूदार पानी और सीवेज बाउंड्री वॉल से रिसकर सोसायटी में आ रहा है।
ऐसे में मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 3 मार्च, 2023 को डीडीए को मुद्दों को हल करने के लिए तैयार की गई कार्य योजना की जानकारी देते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।