सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नियमों का पालन करने वाले सभी ईंट भट्ठों को 1 मार्च से काम शुरू करने की हरी झंडी दे दी है। यह आदेश 27 फरवरी, 2023 को दिया गया है। गौरतलब है कि एनसीआर ईंट भट्ठा एसोसिएशन के वकील ने कोर्ट में प्रस्तुत किया था कि संबंधित राज्यों में ईंट भट्ठे हर साल 1 मार्च से काम करना शुरू कर देते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश 8 अप्रैल, 2022 और 13 मई, 2022 को पारित दो आदेशों के संदर्भ में दिया है, जिसके द्वारा शीर्ष अदालत ने संबंधित राज्यों में ईंट भट्ठों को वर्ष 2022 तक काम करने की अनुमति दी थी। जो उन दो आदेशों में निर्धारित कुछ नियमों और शर्तों के अधीन थी। गौरतलब है कि ईंट भट्ठा मालिकों ने 2023 के लिए भी इसी तरह के निर्देशों के लिए प्रार्थना की है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के वकील ने कोर्ट में प्रस्तुत किया है कि संबंधित ईंट भट्ठा मालिकों द्वारा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी) को दिए गए आवेदनों पर, एसपीसीबी के उचित सत्यापन के बाद वो सीपीसीबी को अपनी सिफारिश देते हैं।
इसके बाद उन इकाइयों को मंजूरी प्रदान की जाती है जो सभी नियमों का पालन कर रही हैं और किसी भी त्रुटि के मामले में पहले उन्हें दूर किया जाता है और उसके बाद ऐसी इकाइयों को मंजूरी देने के लिए नए सिरे से विचार किया जाता है।"
गौरतलब है कि सीपीसीबी ने 23 फरवरी को एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें उन सभी ईंट भट्ठों की सूची थी, जो नियमों का पालन कर रही हैं साथ ही इसमें प्रत्येक ईंट भट्ठों के खिलाफ जानकारी थीं कि क्या वे नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं।
सीपीसीबी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसे एक मार्च, 2023 से नियमों का पालन करने वाले सभी ईंट भट्ठों के काम शुरू करने से कोई समस्या नहीं है।
मृतकों के परिवार वालों को 20-20 लाख रुपए का भुगतान करे जेएसपीएल: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) को संयंत्र में हुए विस्फोट में मारे गए प्रत्येक मृतक के परिजनों को 20-20 लाख रुपए देने का निर्देश दिया है। मामला छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले का है। वहीं जेएसपीएल को एक महीने के भीतर प्रत्येक घायल श्रमिक को 5 लाख रुपये का भुगतान करने के लिए कहा है।
गौरतलब है कि मेसर्स जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के रायगढ़ स्थित प्लांट में विस्फोट के कारण दो श्रमिकों की मौत हो गई थी, जबकि अन्य दो के घायल होने की जानकारी सामने आई थी। मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में कोर्ट ने स्वत: कार्रवाई शुरू की थी। घटना 10 जून 2020 की है।
चंद्रपुरा झील प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल को दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से चंद्रपुरा झील प्रदूषण को रोकने के लिए राज्य द्वारा तैयार की गई निर्धारित कार्य योजना और एनजीटी के आदेश को लागू करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को रिकॉर्ड पर रखने को कहा है।
इस बारे में तुषार मेहता ने जानकारी दी है कि राज्य सरकार भी चंद्रपुरा झील को हुए नुकसान के संदर्भ में एनजीटी द्वारा देखे गए सभी बहाली उपायों को अपनाने में रुचि रखती है। हालांकि एकमात्र शिकायत यह है कि 500 करोड़ रुपए की आरक्षित राशि को एनजीटी के आदेशानुसार तीन-चार वर्षों में विभाजित किया जाना चाहिए ताकि राज्य की अन्य परियोजनाओं में बाधा न आए।