दिल्ली में ऑड-ईवन की वापसी, दोपहिया वाहनों पर रुख साफ नहीं?

सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रायचौधरी ने कहा कि ऑड-ईवन और वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों को जब तक ठोस तरीके से लागू नहीं किया जाएगा सकारात्मक परिणाम नहीं मिलेंगे।
Photo: Vikas Choudhary
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राष्ट्रीय राजधानी में दीवाली के आस-पास होने वाले स्मॉग (धुआं और धुंध) जैसे जानलेवा वायु प्रदूषण के बचाव में पहले ही इस बार दिल्ली सरकार ने अपनी तरफ से ऑड-ईवन योजना को लागू करने का ऐलान किया है। सीएम अरविंद केजरीवाल के ऐलान के मुताबिक दिल्ली में 4 से 15 नवंबर तक ऑड-ईवन योजना को लागू किया जाएगा। वहीं, सरकार ने इस दौरान पानी के छिड़काव और सड़कों पर यांत्रिक सफाई, कूड़ा-कचरा व सूखी पत्तियों के जलाने पर रोक आदि कदम उठाने की भी बात कही है। इस ऐलान में अब तक यह साफ नहीं है कि दोपहिया वाहनों को भी ऑड-ईवन का हिस्सा बनाया जाएगा या नहीं।

दिल्ली में यह तीसरी बार होगा जब ऑड-ईवन लागू किया जाएगा। इससे पहले 1 से 15 जनवरी, 2016 और 15 से 30 अप्रैल तक ऑड-ईवन दो चरणों में लागू किया गया था। 2017 में आपात स्तर के वायु प्रदूषण के दौरान बात चलाई गई लेकिन इसे लागू नहीं किया गया।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) ने ऑड-ईवन को लेकर अपने विश्लेषण में कहा था कि यह एक आपात उपाय है जिसका असर बार-बार लागू किए जाने से खत्म हो जाएगा। साथ ही ऑड-ईवन से ज्यादा जरूरी है कि वायु प्रदूषण के अन्य उपायों को लागू किया जाए। सीएसई ने दोपहिया वाहनों को भी ऑड-ईवन में लागू करने की सिफारिश की थी।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने अपनी रिपोर्ट में भी यह उजागर किया था कि दूसरी बार 15 से 30 अप्रैल, 2016 को लागू किए गए ऑड-ईवन का कोई खास असर हवा की गुणवत्ता पर नहीं पड़ा। सीपीसीबी ने इसे विफल करार दिया था।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट की कार्यकारी निदेशक (रिसर्च एंड एडवोकेसी) अनुमिता रायचौधरी ने कहा कि 15 अक्तूबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) लागू हो जाएगा। उसमें वायु प्रदूषण नियंत्रण के तमाम एक्शन हैं जो उस वक्त लागू करने होते हैं। मसलन हवा की गुणवत्ता के हिसाब से चरण निर्धारित हैं और उस हिसाब से फैसले लिए जाते हैं। ग्रैप के इतर सरकार अपनी तरफ से भी ऐलान कर सकती है। सवाल है उपायों को ठोस तरीके से लागू किए जाने का। ऑड-ईवन और वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों को जब तक ठोस तरीके से लागू नहीं किया जाएगा सकारात्मक परिणाम नहीं मिलेंगे। ऑड-ईवन में दोपहिया वाहनों को शामिल करने के लिए हम लंबे समय से कह रहे हैं। इस बार के ऐलान में दोपहिया वाहन शामिल हैं या नहीं, यह साफ नहीं है।

2017 में 11 नवंबर को एनजीटी में सुनवाई के दौरान जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार ऑड-ईवन लागू करने में दोपहिया वाहनों को बाहर रखने की मांग करने गई थी लेकिन एनजीटी ने इसकी इजाजत नहीं दी थी।  दोपहिया वाहनों को शामिल करने और न करने की बहस के कारण 13 से 17 नवंबर, 2017 तक ऑड-ईवन लागू नहीं हो सका था। एनजीटी ने यह सवाल भी उठाया था कि वह साबित करें कि दोपहिया वाहनों और तमाम छूट के साथ ऑड-ईवन लागू करने का क्या फायदा होता है? एनजीटी का यह सवाल अब भी अनुत्तरित है कि दोपहिया वाहनों को सम-विषम से बाहर रखा गया है या नहीं? पीठ ने कहा था कि हम ऑड-ईवन पर पाबंदी नहीं लगाना चाहते बल्कि अवैज्ञानिक, असक्षम और अपर्याप्त योजना को लागू नहीं होने देना चाहते हैं।

यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था। जस्टिस बी मदन लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दिल्ली के सॉलीसीटर जनरल एएनएस नादकर्णी ने बताया था कि दिल्ली में 68 लाख से ज्यादा दोपहिया वाहन हैं। यदि इन्हें भी ऑड-ईवन स्कीम में समायोजित किया गया तो सार्वजनिक परिवहनों के लिए बड़ी मुसीबत हो जाएगी। क्योंकि सार्वजनिक परिवहनों की क्षमता इतनी नहीं है।

दिल्ली में अब भी 10 हजार बसों के मामले में सरकार घोषणा के अलावा कोई नतीजा नहीं दे सकी है। अब करीब 4 हजार बसों को अगले चार से पांच महीने बाद दिल्ली की सड़कों पर लाने का भरोसा दिलाया जा रहा है।

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