प्रदूषण के मामले में दिल्ली से ज्यादा पीछे नहीं देहरादून, 327 रहा एक्यूआई, दस शहरों में जानलेवा हैं हालात

देहरादून में बढ़ता प्रदूषण जानलेवा स्तर पर पहुंच गया है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 107 अंकों के उछाल के साथ 327 रिकॉर्ड किया गया
प्रदूषण के मामले में दिल्ली से ज्यादा पीछे नहीं देहरादून, 327 रहा एक्यूआई, दस शहरों में जानलेवा हैं हालात
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बढ़ता प्रदूषण केवल दिल्ली जैसे बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है। इस मामले में देहरादून जैसे शहर भी पीछे नहीं है। इस बारे में सामने आए ताजा आंकड़ों से पता चला है कि देहरादून में बढ़ता प्रदूषण जानलेवा स्तर पर पहुंच गया है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 107 अंकों के उछाल के साथ 327 पर पहुंच गया है। वहीं दिल्ली की बात करें तो वहां भी प्रदूषण के स्तर में वृद्धि हुई है, जिसके बाद एक्यूआई बढ़कर 348 पर पहुंच गया है। इसी तरह देश के आठ अन्य शहरों बद्दी (369), भागलपुर (338), बीकानेर (322), चंडीगढ़ (355), मुजफ्फरनगर (331), राजगीर (307), सहरसा (355) और सीकर (303) में भी हालात जानलेवा हैं।

वहीं दूसरी तरफ देश के 18 शहरों में वायु गुणवत्ता को बेहतर बताया गया है। जहां एक्यूआई 50 या उससे कम दर्ज किया गया। आंकड़ों की मानें तो पालकालाइपेरुर (31) और रामनाथपुरम (31) में हवा सबसे ज्यादा साफ है। हालांकि वहां भी प्रदूषण स्वास्थ्य के लिहाज से पूरी तरह सुरक्षित नहीं कहा जा सकता। वहीं अगरतला सहित 32 अन्य शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो वहां प्रदूषण के चलते हालात दमघोंटू बने हुए हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 19 जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 249 में से महज 18 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 70 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 119 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

छपरा-कोटा सहित 32 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि सहरसा-बीकानेर सहित 10 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 30 अंक बढ़कर 348 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 265, गाजियाबाद में 276, गुरुग्राम में 235, नोएडा में 204, ग्रेटर नोएडा में 189 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 110 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 137, चेन्नई में 74, चंडीगढ़ में 355, हैदराबाद में 78, जयपुर में 179 और पटना में 243 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 18 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें बागलकोट 50, बरेली 48, चामराजनगर 44, चेंगलपट्टू 35, कुड्डालोर 38, दमोह 36, गंगटोक 34, कडपा 42, कलबुर्गी 50, खुर्जा 45, मदिकेरी 41, पालकालाइपेरुर 31, रामनाथपुरम 31, शिवसागर 46, थूथुकुडी 43, उडुपी 44, विजयपुरा 39 और विजयवाड़ा 48 शामिल रहे।

वहीं आगरा, अमरावती, अनंतपुर, बारां, बरेली, बठिंडा, बेलगाम, बेतिया, चेंगलपट्टू, चेन्नई, चिक्कामगलुरु, दमोह, दावनगेरे, धारवाड़, एलूर, फिरोजाबाद, गडग , गोरखपुर, हुबली, हैदराबाद, कन्नूर, कोलार, कोल्हापुर, कोरबा, कुंजेमुरा, मैहर, मांडीखेड़ा, मंगलौर, मंगुराहा, मिलुपारा, मुरादाबाद, मुंबई, मैसूर, नाहरलगुन, पुदुचेरी, पुणे, राजमहेंद्रवरम, रामानगर, ऋषिकेश, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, शिवसागर, सूरत, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुपुर, वाराणसी, वातवा, और यादगीर आदि 70 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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