ऐसे शहर जो राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों का पालन करने में लगातार पांच वर्षों तक विफल रहे उन्हें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपसीबी) ने नॉन अटेनमेंट सिटीज का दर्जा दिया है। देश में ऐसे 122 शहर हैं। इनमें उत्तराखंड का देहरादून भी शामिल है। हालांकि अभी तक इन शहरों में वायु प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए स्थानीय योजनाओं को लागू नहीं किया जा सका है। एक बार फिर से सीपीसीबी ने देहरादून को स्थानीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन योजना को लागू करने का पूरा खाका तैयार करके रिपोर्ट देने को कहा है।
सीपीसीबी की ओर से 25 मार्च, 2021 को उत्तराखंड के पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव को कहा है कि 8 अक्तूबर, 2018 के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश का पालन करते हुए वायु प्रदूषण नियंत्रण वाली शहरी योजना को जल्द से जल्द लागू किया जाए। मसलन 30 दिन के भीतर हर एक कदम का वित्तीय खाका बनाकर सीपीसीबी को दिया जाए साथ ही हर 15 दिन पर योजना के लागू होने की रिपोर्ट भी दी जाए।
उत्तराखंड के देहरादून में शहरी वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना को दोबारा तैयार किया गया है। इसे तीन सदस्यीय समिति ने मान्यता दी है। इसमें कुछ सामान्य टिप्पणियां भी की गई हैं। योजना के तहत वायु गुणवत्ता निगरानी, स्रोत की पहचान, कार्ययोजना, दीर्घावधि योजना, बजट प्लान आदि शामिल हैं। इस योजना में दस वर्षों का टाइमफ्रेम तय किया गया है।
समिति ने अंतरिम उत्सर्जन लक्ष्य को तय करने, सीएनजी और पीएनजी को जमीन पर उतारने व ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को ढ़ंग से लागू करने और जिलास्तीय निगरानी टीम के सहयोग को बढाने का सुझाव दिया है।
सीपीसीबी ने यह आदेश वायु प्रदूषण नियंत्रण कानून, 1981 के तहत धारा 31 ए का इस्तेमाल करते हुए दिया है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने देशभर के ऐसे शहरों जो राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों का पालन करने में विफल हैं उनमें स्थानीय योजनाओं को तैयार करने और लागू करने का आदेश दिया था। अभी कई और शहर हैं जो इस तरह का प्लान तैयार करने और लागू करने में विफल रहे हैं।