वायु प्रदूषण में बदलाव से एशिया में सूखा और यूरोप में चलती है लू : शोध

वायु प्रदूषण का सतह के तापमान पर सीधा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि प्रदूषण के कण सूर्य की गर्मी को जमीन में प्रवेश करने से रोकते हैं।
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स
Published on

दक्षिण पूर्व एशिया में वायु प्रदूषण के बढ़ने से तथा यूरोप में प्रदूषण घटने के साथ, हाल के दशकों में यूरोपीय और एशियाई मौसम के पैटर्न पर एक महत्वपूर्ण असर पड़ सकता है। इस बात का खुलासा एक नए शोध में किया गया है।

रीडिंग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा मौसम के रिकॉर्ड और जलवायु मॉडल का विश्लेषण किया गया है। विश्लेषण से पता चला है कि दो क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के स्तर में बदलाव से हो सकता है कि वायुमंडलीय परिस्थितियों को बदलने के पीछे एक शरुआती शक्ति थी, जो यूरोप में लंबे समय तक गर्मियों को चरम स्तर तक पहुंचाती थी, साथ ही साथ मध्य एशिया में सूखा पैदा करती थी।

नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित नए शोध से पता चलता है कि 1979-2019 के दौरान वायु प्रदूषण में बदलाव ने दोनों क्षेत्रों के बीच तापमान में उतार-चढाव को कम किया, जिससे एशिया में जेट स्ट्रीम काफी कमजोर हो गई। ये बहुत ऊंचाई वाली हवाएं उत्तरी गोलार्ध में वायुमंडलीय प्रसार पर एक मजबूत प्रभाव डालती हैं और पूरे यूरोप और अन्य मध्य-अक्षांश क्षेत्रों में मौसम को आकार देती हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के एनसीएएस वैज्ञानिक डॉ. बुवेन डोंग ने कहा हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि वायु प्रदूषण में बदलाव का उत्तरी गोलार्ध के गर्मियों के मौसम पर जितना हमने सोचा था उससे कहीं अधिक प्रभाव डाला था।

शोध में पिछले सुझावों का खंडन किया है कि ग्रीष्मकालीन जेट स्ट्रीम का कमजोर होना आर्कटिक में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण तेजी से बढ़ते तापमान का परिणाम था। यह विशाल क्षेत्रों में चरम मौसम को आगे बढ़ाने में इंसानी गतिविधि की एक और महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है।

वायु प्रदूषण का सतह के तापमान पर सीधा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि प्रदूषण के कण सूर्य की गर्मी को जमीन में प्रवेश करने से रोकते हैं। पिछले 40 वर्षों के दौरान चीन और दक्षिण और पूर्वी एशिया के अन्य क्षेत्रों में प्रदूषण में वृद्धि के परिणामस्वरूप सतह का तापमान कम हुआ, जबकि यूरोप में प्रदूषण में कटौती के कारण आसमान साफ और तापमान बढ़ गया।

विभिन्न अक्षांशों में तापमान परिवर्तन ने ऊर्ध्वाधर चलने वाली हवा को कम कर दिया और इसलिए गर्मियों में यूरेशियन उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट इसके चलते कमजोर पड़ गई। हवा जो पूर्व में मध्य एशिया और उत्तरी अटलांटिक जेट स्ट्रीम से उत्तरी चीन तक फैला हुआ है।

शोधकर्ताओं ने ग्रीनहाउस गैसों और प्रदूषण कणों के प्रभाव को अलग-अलग देखा और पाया कि पूर्व वास्तव में जेट स्ट्रीम की मजबूती का कारण बनता है, लेकिन वायु प्रदूषण के प्रभावों से यह अधिक शक्तिशाली पाया गया।

डॉ डोंग कहते हैं कि जैसा कि दक्षिण पूर्व एशियाई देश आने वाले दशकों में अपने वायु प्रदूषण के स्तर में कटौती करने के लिए प्रतिबद्धताओं को पूरा करते हैं। हम उम्मीद करेंगे कि जेट स्ट्रीम एक बार फिर यूरेशिया पर मजबूत होगी, संभावित रूप से लंबे समय तक लू या हीट वेव की आशंका को कम करेगी लेकिन इसके आसार बढ़ जाएंगे और मध्य अक्षांशों में मजबूत चक्रवात का असर दिखेगा। 

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in