क्यों रामबन में हुआ था भूस्खलन, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने सुझाए रोकने के उपाय

रिपोर्ट के मुताबिक भूस्खलन की यह घटना प्रमुख रूप से भारी बारिश के कारण हुई थी, क्योंकि इस घटना से पहले इलाके में लगातार बारिश हुई थी
प्रतीकात्मक तस्वीर
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वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने बंजर ढलानों पर तेजी से बढ़ने वाले पेड़ जैसे यूकेलिप्टस, एल्डर और विलो लगाने की सिफारिश की है, ताकि ढीली मिट्टी के कारण हो रहे भूस्खलन को रोका जा सके। यह सुझाव 27 जनवरी, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कही गई है।

इसकी मदद से जम्मू-कश्मीर में रामबन जिले के पेरनोट गांव में हुए भूस्खलन जैसी आपदाओं को रोका जा सकेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ढलान को स्थिर करने की शुरुआत पानी को हटाने से होती है, क्योंकि इससे अस्थिरता पैदा होती है। इसमें सतह और भूमिगत जल को निकालना और उसे भूस्खलन वाले क्षेत्र से दूर करना शामिल है। ढलान को सीढ़ीदार भी बनाया जाना चाहिए और प्रभावित ढलानों को स्थिर करने के लिए बायोइंजीनियरिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि 29 अप्रैल, 2024 को ग्रेटर कश्मीर डॉट कॉम पर एक लेख प्रकाशित हुआ था। इस खबर में चेतावनी दी गई है कि पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) के बिना की गई गतिविधियां पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

पहाड़ों को खोखला कर रहा है बढ़ता निर्माण

लेख में यह भी कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील क्षेत्रों में सड़क विस्तार और सुरंग निर्माण जैसी बड़ी निर्माण परियोजनाएं समस्या का कारण बन रही हैं।

जानकारी दी गई है कि भूस्खलन के कारण घरों, बिजली की लाइनों, ट्रांसमिशन टावरों, रामबन-गूल सड़क को भारी नुकसान पहुंचा है, साथ ही पानी की आपूर्ति बाधित हो गई। देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने पेरनोट गांव में प्रभावित ढलान की जांच की और इसके कारणों और सिफारिशों पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन मलबे के खिसकने के कारण हुआ। यह भी देखा गया है कि पेरनोट और आस-पास के इलाकों में भारी बारिश के कारण मडस्टोन, सिल्टस्टोन और सैंडस्टोन जैसी नरम चट्टानों से पानी रिसता है।

भूगर्भीय रूप से यह भूस्खलन मरी थ्रस्ट के फुटवॉल ब्लॉक के शीर्ष पर हुआ। यह क्षेत्र हिमालय के उन दो जोन में से एक है, जहां भूस्खलन की सबसे अधिक आशंका है, क्योंकि यह चट्टान के कटाव और अपक्षय के कारण होने वाले गंभीर कटाव से प्रभावित है।

जिस ढलान पर वर्तमान भूस्खलन हुआ, वहां कई पुराने भूस्खलन के निशान भी पाए गए। पेरनोट गांव सहित रामबन क्षेत्र भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र (भारत के भूकंपीय मानचित्र के अनुसार जोन IV-V) में है। हालांकि, भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में अब तक कोई भूकंपीय गतिविधि या इसी तरह की भूगर्भीय घटना की सूचना नहीं मिली है।

यह भूस्खलन प्रमुख रूप से भारी बारिश के कारण हुआ था, क्योंकि इस घटना से पहले इलाके में लगातार बारिश हुई थी। पानी से संतृप्त मिट्टी फैल गई, और इसकी कम पारगम्यता ने मिट्टी को कमजोर कर दिया, जिससे यह खड़ी ढलान से नीचे खिसक गई।

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