गर्म होती दुनिया: बढ़ेगा सूखे का अनुपात और अचानक पड़ने वाले सूखे की घटनाओं में आएगी तेजी

विशेषज्ञों ने अचानक पड़ने वाले सूखे को परिभाषित करते हुए बताया कि, यह मिट्टी की नमी के सबसे निचले स्तर से उत्पन्न होता है, विशेषकर कृषि के लिए सबसे ज्यादा खराब है
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स
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एक नए अध्ययन में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन तेजी से सूखे में इजाफा कर रहा है, अचानक भयंकर रूप ले रही गर्मी किसानों को आश्चर्यचकित कर रही है।

अध्ययन में कहा गया है कि सामान्य तौर पर सूखा तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अचानक पड़ने वाला सूखा जिसे फ्लैश ड्रॉउट कहा जाता है, यह फसलों को नष्ट करने के लिए जिम्मेवार है।

मौसम विज्ञानियों ने कहा सूखा ज्यादातर गर्मियों में पड़ता है, लेकिन वसंत और पतझड़ में भी अब इसका बुरा असर दिखने लगा है। इसका कारण केवल बारिश या बर्फ की कमी नहीं है बल्कि सूखे के धीमी गति से शुरू होना भी होता है।

जब हवा गर्म और शुष्क हो जाती है तो यह पौधों और मिट्टी से सीधे पानी चूस लेती है। यह वातावरण की बढ़ती प्यास है जिसका अर्थ है कि जलवायु गर्म हो रही है

फ्लैश ड्रॉउट शब्द 2000 के आसपास गढ़ा गया था, लेकिन इसका असली खेल 2012 में शुरू हुआ, जब मध्य अमेरिका में भीषण सूखा पड़ा, जिसके कारण 30 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। अध्ययन के मुताबिक यह 1930 के दशक में पड़े सूखे, जिसने मैदानी इलाकों को तबाह कर दिया था, उससे भी भयंकर था।

प्रमुख अध्ययनकर्ता जिंग युआन ने कहा, क्योंकि मौसम संबंधी यह घटना क्रम बहुत तेजी से होती है, इसलिए लोगों ने इस नई घटना पर गौर करना शुरू किया, युआन, चीन में नानजिंग यूनिवर्सिटी ऑफ इंफॉर्मेशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी में स्कूल ऑफ हाइड्रोलॉजी एंड वॉटर रिसोर्सेज के अध्यक्ष हैं।

उन्होंने 2012 के सूखे के बारे में बताते हुए कहा, वास्तव में सूखे ने सिर्फ एक महीने के भीतर बहुत गंभीर स्थिति पैदा कर दी थी।

युआन ने कहा कि पिछली गर्मियों में चीन के अधिकांश यांग्त्ज़ी नदी बेसिन में अचानक सूखा पड़ा था, जो बहुत अधिक तापमान के कारण यह घटना केवल एक महीने के भीतर हुई थी, जो जंगल में आग लगाने के लिए भी जिम्मेवार थी। उन्होंने कहा कि नदी के सूखने से दक्षिणी चीन में ऊर्जा की कमी हो गई क्योंकि जलविद्युत ने काम करना बंद कर दिया था।

युआन ने कहा, सूखे का यह घटना क्रम बहुत तेजी से विकसित हुआ, इसलिए आपके पास इस सूखे की तैयारी के लिए पर्याप्त समय भी नहीं था।

वायुमंडलीय वैज्ञानिक जेसन ओटकिन ने कहा, एक और अचानक सूखा 2016 में अमेरिका के दक्षिण पूर्व में पड़ा जिसके कारण गैटलिनबर्ग, टेनेसी के जंगल में विनाशकारी आग लगी।

युआन, ओटकिन और उनकी शोध टीम ने 1951 के बाद से दुनिया भर में सूखा पड़ने की घटनाओं का पता लगाया कि, वे कितनी तेजी से और किस तरह की थे और पाया कि दुनिया के लगभग तीन-चौथाई जलवायु क्षेत्रों में अचानक सूखा अधिक बार पड़ रहा है। उन्होंने यह भी पाया कि हर तरह का सूखा तेजी से पड़ रहा है।

युआन ने कहा कि यह कहना उचित होगा कि सूखे की शुरुआत पहले की तुलना में हफ्तों पहले हो रही है। उन्होंने कहा कि अचानक सूखे में कुछ बड़ी घटनाएं दक्षिण एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में हुई हैं। 

युआन ने कहा, हमें सूखे की इन घटनाओं पर ध्यान देना होगा क्योंकि यह लगातार बढ़ रही है। युआन की टीम ने कंप्यूटर सिमुलेशन का भी उपयोग किया - दोनों सबसे खराब स्थिति वाले बढ़ते तापमान और मध्यम तापमान के साथ, और अनुमान लगाया कि एक गर्म होती दुनिया में अचानक सूखे का अनुपात बढ़ जाएगा और सूखे की घटनाएं तेजी से होती रहेंगी।

विशेषज्ञों ने अचानक पड़ने वाले सूखे को परिभाषित करते हुए बताया कि, यह मिट्टी की नमी के सबसे निचले स्तर से उत्पन्न होता है, विशेषकर कृषि के लिए सबसे ज्यादा खराब है।

नेब्रास्का-लिंकन विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सूखा शमन केंद्र के निदेशक मार्क स्वोबोडा ने कहा, मुसीबत यह सोचने का एक पुराना तरीका है कि हमारे पास सूखे के बारे में चिंता करने से पहले कई महीने या साल नहीं हैं।

सूखे पर काम करने वाले वैज्ञानिकों ने दुनिया भर के लिए इस बात की सिफारिश की है कि किसान, पशुपालक, नगर निगम के जल आपूर्तिकर्ता और जलविद्युत संयंत्र सूखे के लिए योजनाएं लेकर आएं। उदाहरण के लिए, किसानों और पशुपालकों को पता होना चाहिए कि वे सूखे के प्रति कितने संवेदनशील हैं और रोपाई या मवेशियों के चरने के लिए वैकल्पिक योजनाएं होनी चहिए।

नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (नोआ) के लिसनबी ने कहा कि समस्या धीरे-धीरे विकसित होने वाले सूखे की है, अगर एक किसान को लगता है कि आने वाला मौसम शुष्क होगा, तो वह  उस मौसम में अधिक सूखा-सहिष्णु फसल पर विचार कर सकता है, लेकिन जब अचानक सूखा पड़ता है तो फसलें पहले से ही खेत में होती हैं और उपाय बहुत कम किए जा सकते हैं। यह अध्ययन जर्नल साइंस में प्रकाशित किया गया है।

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