36 घंटे की बेमौसमी बारिश ने उत्तराखंड को बुरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस दौरान अलग-अलग जगहों पर 6 लोगों की मौत हो गई। राज्य के चार धामों की यात्रा पर निकले करीब 11 हजार तीर्थयात्रियों को जगह-जगह रोक दिया गया है। हालांकि मौसम विभाग ने अब बारिश थमने की उम्मीद जताई है, इसके बावजूद राज्य में बंद सड़कें खोलने और जगह-जगह फंसे लोगों को निकालने में एक-दो दिन और लगने की संभावना जताई गई है।
राज्य से मानसून की विदाई के बाद जन-जीवन अब पटरी पर लौटने लगा था, लेकिन पश्चिमी विक्षोभ ने एक बार फिर से जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। राज्य में 17 अक्टूबर को सुबह बारिश का सिलसिला शुरू हुआ था, जो लगातार 18 अक्टूबर की शाम तक चलता रहा। राज्य के कुछ पर्वतीय क्षेत्रों में देर रात तक बारिश का सिलसिला जारी रहा। पश्चिमी विक्षोभ के असर के कारण राज्य में कई जगहों पर अत्यधिक भारी बारिश दर्ज की गई। बागेश्वर, चम्पावत, पिथौरागढ़, नैनीताल, पौड़ी और चम्पावत जिलों में 100 से 230 मिमी तक बारिश रिकाॅर्ड की गई, जबकि अल्मोड़ा, चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों में 70 से 100 मिमी तक बारिश हुई। देहरादून, हरिद्वार, टिहरी और उत्तरकाशी जिलों में सामान्य बारिश हुई।
सबसे ज्यादा 230 मिमी बारिश चम्पावत जिले के पंचेश्वर में हुई। यहां 230 मिमी बारिश दर्ज की गई। चम्पावत जिला मुख्यालय में 219, लोहाघाट में 175 मिमी बारिश हुई। पौड़ी जिले के लैंसडौन में 229 मिमी बारिश रिकाॅर्ड की गई। सतपुली में 204, कालागढ़ में 113 और कोटद्वार में 117 मिमी बारिश हुई। ऊधमसिंह नगर जिले के गूलर भोज में 165 और काशीपुर में 162 मिमी बारिश हुई। बागेश्वर के सामा में 121 और डंगोली में 106 मिमी बारिश दर्ज की गई। नैनीताल जिले ज्योलीकोट में 148 और भीमताल में 133 मिमी बारिश हुई। चमोली जिले के औली में 87 मिमी, रुद्रप्रयाग के केदारनाथ में 85 मिमी और अल्मोड़ा के ताकुला में 98 व सल्ट में 92 मिमी बारिश रिकाॅर्ड की गई।
राज्य के पौड़ी और चम्पावत जिलों में इस दौरान भूस्खलन और मलबा आने से 5 लोगों की मौत हो गई और 2 गंभीर रूप से घायल हो गये। सबसे ज्यादा बारिश वाले चम्पावत जिले के सेलाखोला गांव में पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा एक मकान पर गिर गया। इस घटना में 48 वर्षीय महिला और उसके 17 वर्षीय बेटे की मौत हो गई। उधर पौड़ी जिले के लैंसडौन में बारिश का कहर टूटा। यहां एक निर्माणाधीन मकान में मजदूरी करने वाले परिवारों के डेरे मलबे की चपेट में आ गये और 5 लोग मलबे में दब गये। सूचना मिलते ही एसडीआरएफ और पुलिस की टीम ने मौके पर पहुंचकर बचाव अभियान शुरू किया। सभी को मलबे से निकाला गया, लेकिन तब तक दो महिलाओं और 4 वर्षीय बच्ची की मौत हो गई थी। दो लोगों को कोटद्वार हाॅस्पिटल भेजा गया। इसके अलावा रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय के पास पहाड़ी से गिरे पत्थर की चपेट में आकर तीर्थयात्रा में आये कानपुर के एक युवक की मौत हो गई।
राज्य में बेमौसमी बारिश का सबसे ज्यादा असर तीर्थयात्रियों पर पड़ा। कोविड के कारण लंबे समय से बंद रहने के कारण राज्य के चारों धामों में कुछ दिन पहले ही यात्रा शुरू हुई है। 17 अक्टूबर को बारिश शुरू होने से पहले चारों धामों और यात्रा मार्गों पर करीब 11 हजार तीर्थयात्री मौजूद थे। मौसम विभाग के अलर्ट के बाद सभी यात्रियों को रोक दिया गया। पहले वापस आने वाले यात्रियों को छूट दी गई थी, लेकिन जगह-जगह पहाड़ों से पत्थर गिरने के कारण वापस आ रहे तीर्थयात्रियों को भी विभिन्न पड़ावों पर रोक दिया गया है। राज्य में सभी राजमार्ग फिलहाल जगह-जगह बंद हैं। दर्जनों संपर्क मार्ग भी बंद हो गये हैं, जिससे इन मार्गों पर आवाजाही नहीं हो पा रही है।
राज्य की क्लाइमेटोलाॅजिकल टेबल बताती है कि अक्टूबर के महीने में आमतौर पर राज्य में कुल मिलाकर करीब 50 घंटे बारिश होती है। अक्टूबर महीने में बारिश का एवरेज 44.4 मिमी रहा है। हाल के वर्षों में अक्टूबर के महीने में सबसे ज्यादा बारिश 2014 में 106.1 मिमी दर्ज की गई। 24 घंटे के दौरान सबसे ज्यादा बारिश भी 2014 में ही 1 अक्टूबर को 49.1 मिमी दर्ज की गई थी।