अब पश्चिम बंगाल पर मंडराया दुर्लभ जमीनी चक्रवात का खतरा

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, अगर ऐसा हुआ तो 1891 से अब तक का यह 15वां जमीनी चक्रवात (लैंड साइक्लोन) होगा
Photo: Zoom Earth
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चक्रवात गुलाब भले ही कमजोर पड़ चुका हो और कम दबाव के साथ महाराष्ट्र की ओर बढ़ रहा हो, जिससे वहां तेज बारिश हो रही है, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग पश्चिम बंगाल के तटवर्ती क्षे़त्र में कम दबाव के एक अन्य चक्रवात पर नजर रख रहा है। यह चक्रवात 28 सितंबर की सुबह बना और दोपहर तक इसने कम दबाव का अच्छा-खासा क्षेत्र तैयार कर लिया।

वेबसाइट ‘अर्थ नल स्कूल’ द्वारा दर्शाए गए वैश्विक पूर्वानुमान आंकड़े के मुताबिक, यह चक्रवात जमीन पर और तेज हो सकता है और एक तेज जमीनी चक्रवात (लैंड साइक्लोन) बना सकता है। हालांकि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इस चक्रवात को लेकर अभी तक अलर्ट जारी नहीं किया है। अपनी ताजा प्रेस विज्ञप्ति में इसने कहा कि इस चक्रवात के और तेज होने की संभावना नहीं है। उसने अनुमान लगाया है कि इसके चलते 28 सितंबर को पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड में काफी तेज बारिश हो सकती है और इसलिए इन राज्यों को रेड अलर्ट जारी किया गया है।

दूसरी ओर अमेरिकी नौसेना के संयुक्त तूफान चेतावनी केंद्र का मानना है कि  पश्चिम बंगाल के तटवर्ती क्षेत्र में निर्मित चक्रवात के लिए तेज होने की अनुकूल परिस्थितियां हैं।’ उसके मुताबिक, ‘उत्तर-पूर्व क्षेत्र के बिल्कुल ऊपर एक प्रतिचक्रवात इसके बढ़नेे के लिए अनुकूल माहौल दे रहा है। समुद्र की सतह का तापमान बहुत गर्म रहता है जबकि यह चक्रवात समुद्र के तट की दिशा में चल रहा है। इस तरह यह ’नदी-डेल्टा में दलदली क्षेत्र में आगे बढ़ेगा।’ इसने आगे बताया कि इस तरह भूमि पर इसका तेज होना सुनिश्चित है। इसके साथ ही एक अन्य उष्णकटिबंधीय चक्रवात की संभावना भी बन रही है।

अगर यह चक्रवात भूमि पर आगे बढ़ता है तो यह अब तक रिकार्ड किया 15वां भूमि चक्रवात होगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, 1891 से अब तक 14 बार भूमि चक्रवात दर्ज किए गए हैं, 1975 में ये दो बार दर्ज किए गए।

अगर कमजोर पड़ चुका गुलाब चक्रवात तीस सितंबर तक अरब सागर को पार करता है और एक अन्य चक्रवात में बदल जाता है तो पिछले चार दशकों में ऐसा पहली बार होगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक कम दबाव वाला चक्रवात गुलाब फिलहाल महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में बना हुआ है।

गठन के समय के आधार पर चक्रवात गुलाब के शेषांश और बंगाल की खाड़ी के ऊपर नए चक्रवात से बनने वाले चक्रवात को शाहीन नाम दिया जा सकता है। बाद वाले चक्रवात का नाम जवाद रखा जाएगा। ये दोनों चक्रवात दुर्लभ से दुर्लभतम घटनाएं होंगी।

भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे के जलवायु वैज्ञानिक राॅकसी मैथ्यू कोल के मुताबिक, ‘एक चक्रवात का बंगाल की खाड़ी की भूमि को पार करना और अरब सागर में एक चक्रवात के रूप में पुनः जन्म लेना, ऐसी घटना है जो आमतौर पर नहीं होती। 2018 में गज चक्रवात ने बंगाल की खाड़ी को पार कर अरब सागर में प्रवेश किया था लेकिन भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के रिकाॅर्ड के अनुसार इसे अरब सागर में चक्रवात नहीं माना गया था। ’

मैरीलैंड विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक रघु मुतुर्गुडडे के मुताबिक, ‘चक्रवातों का भारत को पार कर अरब सागर में मिलना पूरी तरह असामान्य नहीं है। भूमि का आकार कम होने के कारण भारतीय प्रायद्वीप में कई बार चक्रवात बनने की प्रवृत्ति होती है लेकिन फिर उन्हें पश्चिमी घाटों को पार करना पड़ता है। यह चक्रवात थोड़ा उत्तर- पश्चिम की ओर जा रहा है और पाकिस्तानी तट को गले लगाना चाह रहा है और हो सकता है कि यह ओमान की खाड़ी में जमीन पर प्रवेश कर जाए। ’

कोल कहते हैं, ‘आमतौर पर उत्तर भारतीय सागर में चक्रवात के विकसित होने के लिए अनुकूल मानसून नहीं होता। ऐसा इस क्षेत्र में ताकतवर विरोधी हवाओं के चलते होता है - निचली वायुमंडलीय हवाएं एक दिशा (दक्षिण-पश्चिम) में होती हैं और ऊपरी वायुमंडलीय हवाएं दूसरी दिशा (पूर्वोत्तर) में होती हैं। यह स्थिति किसी चक्रवात को लंबवत विकसित होने से रोकती है।’ वह आगे कहते हैं, फिर भी अब जब मानसून अपने चरम पर नहीं है और समुद्र की गरम स्थिति समेत कुछ अन्य कारक फिलहाल चक्रवात के निर्माण में मदद कर रहे हैं।

अरब सागर में चक्रवात ‘तौकते’ और बंगाल की खाड़ी में चक्रवात ‘यास’, दोनों का निर्माण मानसून से पहले और एक के बाद एक तेजी से हुआ था। चक्रवात गुलाब की तरह चक्रवात तौकते ने भी समुद्र से लेकर भूमि तक एक लंबी दूरी तय की थी। इसके चलते दिल्ली में बारिश हुई थी और मई महीने के बीच में तापमान 16 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया था। भूस्खलन के बाद यह चक्रवात करीब 18 घंटे तक बना रहा था। गुजरात में मई में बनने वाला यह तीसरा चक्रवात भी था, जिससे भूस्खलन हुआ।

कोल के मुताबिक, चक्रवात गुलाब का शेषांश दक्षिण चीन सागर से बंगाल की खाड़ी पहुंचा, जहां समुद्री -वायुमंडलीय स्थितियां इसके अनुकूल थी, जिससे यह पुनः जन्म लेकर गुलाब चक्रवात के रूप में बदल गया। भूमि पर आने की वजह से इसमें से सागर की गर्मी और नमी खत्म हो चुकी है। लेकिन जब यह अरब सागर में पहुंचेगा तो गरमी और नमी इसे वहां फिर मिलेगी। इसलिए फिर इस बात की संभावना बनती है कि यह दोबारा एक चक्रवात का रूप धारण कर सके।

मुतुर्गुडडे के मुताबिक, ‘चूंकि चकव्रात को कमजोर पड़ने के लिए एनर्जी की जरूरत होती है इसलिए यह अपने रास्ते में पर्याप्त नमी तलाश रहा है। हमें इंतजार करना होगा कि इसे लेकर पूर्वानुमान कितना सटीक बैठता है।’  वह आगे कहते हैं कि इस गर्मी में आर्कटिक बर्फ का नुकसान, जिसने सितंबर में बंगाल की खाड़ी में बनने वाले निम्न दबाव वाले क्षेत्रों की श्रृंखला के रूप में अतिरिक्त बारिश की थी, भूमि के रास्ते पर चक्रवात के लिए पर्याप्त नमी तैयार कर सकता है। हो सकता है कि बंगाल की खाड़ी के ऊपर बनने वाले नए चक्रवात के लिए भी यह नमी पर्याप्त हो।

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