बीते साल की तरह इस साल भी राजस्थान में भारी बारिश हो रही है। दो दिन में कुछ इलाकों में इतनी ज्यादा बारिश हो चुकी है, जो मॉनसून सीजन के आधे से भी ज्यादा है। चार अगस्त सुबह 8.30 से लेकर पांच अगस्त 8.30 के बीच राजस्थान के टोंक जिले में सबसे अधिक बारिश हुई। जबकि छह अगस्त को शुष्क जिले जैसलमेर में जबरदस्त बारिश हुई।
राजस्थान का जैसलमेर पूरी तरह रेतीला व शुष्क जिला है, जहां जैसलमेर जिले में मॉनसून सीजन में सामान्य बारिश का आंकड़ा 176.9 मिमी माना जाता है, लेकिन 6 अगस्त को जिले में 96.9 मिमी बारिश हुई। इसका मतलब है कि एक ही दिन में कुल सीजन की 55 फीसदी बारिश हो गई।
टोंक जिले के नगर फोर्ट क्षेत्र में 24 घंटे में 32 सेंटीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई, जबकि टोंक जिले की बात करें तो पांच अगस्त को जिले में 12.29 सेंटीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 1584 प्रतिशत अधिक बताई गई है।
टोंक जिले की साल भर की औसत वर्षा 61.36 सेंटीमीटर होती है। यानी कि टोंक जिले में पांच अगस्त को एक दिन में ही पूरे साल की 20 फीसदी बारिश हो गई। पश्चिमी राजस्थान में स्थित टोंक जिले को शुष्क क्षेत्र में गिना जाता है।
पांच अगस्त को टोंक के बाद पाली जिले में सबसे अधिक बारिश हुई। पाली पश्चिमी राजस्थान में है। पाली जिले के सोजत इलाके में 26 सेंटीमीटर बारिश हुई है। छह अगस्त को इसी सोजत इलाके में 10.3 सेमी बारिश हुई, जबकि पाली जिले के पाली ब्लॉक में दिन की सबसे अधिक बारिश 25.7 सेमी बारिश हुई।
अगर पूरे पाली जिले की बात करें तो यहां पांच अगस्त को 72 मिमी और छह अगस्त को 93.7 मिमी बारिश हुई। यानी दो दिन में यहां 165.7 मिमी (16.57 सेमी) बारिश हुई। इस क्षेत्र की जलवायु अर्ध-शुष्क है तथा वार्षिक वर्षा 30 से 50 सेमी. होती है, जबकि मॉनसून में 47.2 सेमी औसतन बारिश होती है। यानी कि पाली जिले में दो दिन में सीजन की 35 फसदी बारिश हुई।
पांच अगस्त को पूर्वी राजस्थान के बूंदी जिले के हिंडोली में भी 22 सेंटीमीटर बारिश हुई, जबकि बूंदी जिले में मॉनसून सीजन में 65 से लेकर 75 सेमी बारिश होती है। जबकि बूंदी जिले में पांच अगस्त को 13.32 सेमी बारिश हुई, जो सामान्य से 1700 प्रतिशत अधिक थी।
इसी तरह पूर्वी राजस्थान के ही भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर इलाके में इस दिन 21 सेंटीमीटर बारिश हुई, जबकि बूंदी जिले के बूंदी ब्लॉक में 19 सेमी, अजमेर के सरवार और केकरी में 18 सेमी बारिश हुई। इसी तरह राजस्थान के कई इलाकों में 24 घंटे में 9 सेमी से अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई।
छह अगस्त को जैसलमेर के मोहनगढ़ में 26 सेमी और भानीयाना में 20.6 सेमी बारिश रिकॉर्ड की गई। जोधपुर के डेचू में 24.6 सेमी बारिश हुई।
डीप डिप्रेशन है वजह
मौसम विभाग का कहना है कि राजस्थान में एक ही दिन में भारी बारिश का कारण डीप डिप्रेशन था, जो चार अगस्त को पूर्वी राजस्थान पहुंचा, लेकिन अगले दिन कमजोर होकर डिप्रेशन में बदल गया। पांच की शाम तक डिप्रेशन कमजोर होकर पहले वेल मार्क लो प्रेशर और फिर कम दबाव में बदल गया।
राजस्थान में सामान्य से 40 फीसदी अधिक बारिश
दो दिन की भारी बारिश के बाद राजस्थान में मॉनसून सीजन की बारिश सामान्य से काफी अधिक हो चुकी है। मौसम विभाग द्वारा छह अगस्त को जारी आंकड़ों के मुताबिक पूरे राज्य में 34.85 सेंटीमीटर बारिश हो चुकी है, जो कि सामान्य (24.96 सेमी) से 40 प्रतिशत अधिक है।
खास बात यह है कि इस साल भी राजस्थान के शुष्क क्षेत्र पश्चिमी राजस्थान में भारी बारिश हो रही है। छह अगस्त तक पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 60 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है। यहां एक जून से लेकर छह अगस्त तक सामान्य बारिश का आंकड़ा 169.4 मिलीमीटर रहता है, लेकिन अब तक यहां 271.5 मिमी बारिश हो चुकी है।
पूर्वी राजस्थान में 27 फीसदी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है। पूर्वी राजस्थान में छह अगस्त तक सामान्य तौर पर 350.3 मिमी बारिश होती है, जबकि वर्तमान सीजन में 445.2 मिमी बारिश हो चुकी है।
पिछले साल भी हुई थी भारी बारिश
गौरतलब है कि बीते साल 2023 में भी रेतीले राजस्थान में मॉनसून के दौरान काफी अधिक बारिश हुई थी। उसके लिए मॉनसून के साथ-साथ बिपरजॉय चक्रवाती तूफान को भी एक बड़ा कारण माना गया था।
साल 2023 के मॉनसून सीजन 1 जून से 31 सितंबर के बीच पूर्वी राजस्थान में जहां एक फीसदी कम बारिश हुई, वहीं पश्चिमी राजस्थान में 42 फीसदी अधिक बारिश हुई। पश्चिमी राजस्थान में मॉनसून सीजन में सामान्य बारिश का आंकड़ा 283.6 मिलीमीटर माना जाता है, जबकि मॉनसून सीजन 2023 में 401.7 मिमी बारिश हुई। हालांकि इस साल अब तक राजस्थान के दोनों भागों में बारिश अधिक रिकॉर्ड की जा रही है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों से राजस्थान का मौसम काफी बदल रहा है। जलवायु विशेषज्ञ इसे जलवायु परिवर्तन का असर बता रहे हैं। हालात यह बन गए हैं कि बारिश न होने के कारण कभी पूरी तरह शुष्क रहने वाले राजस्थान में अब कई सालों से बाढ़ आने लगी है। डाउन टू अर्थ साल 2017 से लगातार इस पर रिपोर्ट भी कर रहा है।