बांध टूटने से लीबियाई शहर समुद्र में समाया

बाढ़ की विभीषिका के कारण दो बांध ढह गए हैं। इसके कारण अब तक 5,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है
लीबिया के उत्तर-पूर्व के हिस्सों में भारी बारिश के कारण बाढ़ का क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। फोटो: twitter@DfnderAndalucia
लीबिया के उत्तर-पूर्व के हिस्सों में भारी बारिश के कारण बाढ़ का क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। फोटो: twitter@DfnderAndalucia
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लीबिया में बाढ़ की विभीषिका के कारण दो बांध ढह गए हैं। इसके कारण अब तक 5,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। देश के उत्तर-पूर्व के हिस्सों में भारी बारिश के कारण बाढ़ का क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है और इससे हजारों लोग बेघर हो गए हैं। देश के तटीय शहर डेरना पर इस विभिषिका का सबसे अधिक असर है। दो बांधों के ढहने से यह आपदा और विकराल रूप ले चुकी है। स्थानीय अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है लीबिया में मूसलाधार बारिश के कारण तटीय शहर डर्ना के पास दो बांध टूटने से 5,000 से अधिक लोग मारे चुका है और शहर का अधिकांश हिस्सा नष्ट होने के साथ ही पूरा शहर ही समुद्र में समा गया है।

ध्यान रहे कि लीबिया एक उत्तरी अफ़्रीकी देश है जो कि पहले ही युद्ध की मार झेलते-झेलते तार-तार हो चुका है। देश में विशाल तेल संसाधनों के बावजूद पिछले एक दशक से अधिक समय से वहां राजनीतिक अराजकता के कारण देश का बुनियादी ढांचा पहले ही चरमरा चुका है। रही-सही कसर इस बाढ़ ने पूरी कर दी। लीबियाई टेलीविजन स्टेशन अल-मसर के अनुसार पूर्वी लीबिया की देखरेख करने वाली सरकार के प्रवक्ता तारेक अल-खर्राज ने कहा कि अकेले डर्ना शहर में कम से कम 5,200 लोग मारे जा चुके हैं।

लेकिन बाढ़ का पानी शाहहाट, अल-बायदा और मार्ज सहित अन्य पूर्वी बस्तियों में भी घुस गया है। इसके कारण कम से कम 20,000 लोग विस्थापित हो चुके हैं। यहीं नहीं इस आपदा के कारण हजारों लोग लापता हैं, ऐसे में आने वाले दिनों में मरने वालों की संख्या के बढ़ने से इंकार नहीं किया जा सकता। बाढ़ के कारण शव सड़कों पर इधर-उधर बिखर पड़े हुए है, वहीं शहर की अधिकांशत: इमारतें ढह गईं हैं, वाहन पानी में डूब उतरा रहे हैं और सड़कें अवरुद्ध हो गईं है।

लीबिया के नीति अनुसंधान केंद्र सादिक इंस्टीट्यूट के निदेशक अनस एल गोमाती ने कहा कि डैनियल जैसे तूफान की भयावहता को हम किसी और तूफान से तुलना नहीं कर सकते लेकिन इसका पूर्वानुमान लगाया जा सकता था। ध्यान रहे कि पिछले सप्ताह इस तूफान ने ग्रीस, तुर्की और बुल्गारिया में भी कहर ढाया था, जिसमें एक दर्जन से अधिक लोग मारे गए गए थे। इस घटना के बाद भी लीबियाई अधिकारियों के पास बांधों की निगरानी करने, निवासियों को चेतावनी देने या उन्हें खाली कराने की कोई गंभीर योजना नहीं है। गोमाती कहते हैं कि यह मानववीय लापरवाही का एक जीता जागता उदाहरण है। यह लीबिया के राजनीतिक अभिजात वर्ग की अक्षमता को प्रदर्शित करता है।

क्षेत्र की प्रमुख राजनीतिक ताकत लीबियाई राष्ट्रीय सेना के प्रवक्ता अहमद अल-मिस्मारी ने कहा कि दोनों बांधों के टूटने से लगभग एक लाख की आबादी वाले शहर डर्ना को पूरी तरह से पानी में डुबा दिया है, यह पहली बार है कि हम इस प्रकार के मौसमीय आपदा का कहर झेल रहे हैं। यह पूरी तरह से अप्रत्याशित था हालात इतने खराब हैं कि बचाव और सहायता अभियान चलाना मुश्किल हो रहा है क्योंकि सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों की अधिकांशत: सड़कें या तो कट गई हैं या लगभग पानी में डूबी हुई हैं।

इस बाढ़ की विभिषिका ने 2005 में आए तूफान कैटरीना की याद दिला दी। जब न्यू ऑरलियन्स में तटबंध टूटने से शहर के बड़े हिस्से जलमग्न हो गए थे। इस प्रकार की आपदा इस बात को भी रेखांकित करती है कि कैसे जलवायु परिवर्तन राजनीतिक संघर्षों और आर्थिक विफलता के साथ मिलकर आपदाओं के पैमाने को भयावह बना सकती है।

इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप की वरिष्ठ लीबियाई विश्लेषक क्लाउडिया गजिनी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों से लीबिया एक युद्ध से दूसरे युद्ध, एक राजनीतिक संकट से दूसरे राजनीतिक संकट के बीच फंसा हुआ है।यह देश विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और भयंकर तूफानों के प्रति हमेशा से संवेदनशील क्षेत्र रहा है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण भूमध्यसागरीय जल तेजी से बढ़ रहा है और इसके कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और तटरेखाएं लगातार नष्ट हो रही हैं। इससे बाढ़ दिनो दिन और भयंकर होते जा रही है।

देश के राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन के अनुसार औसतन तूफान भूमध्य सागर के ऊपर साल में एक या दो बार आते हैं। चूंकि मानव-प्रेरित ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से पृथ्वी और गर्म हो रही है। इसके कारण कई बार इस प्रकार के तूफानों की संख्या बढ़ जाती है।

मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में पर्यावरण नीति पर लीबिया के सलाहकार और शोधकर्ता मलक अल्ताएब ने कहा कि हाल ही में आए डैनियल तूफान ने इस तथ्य को सामने ला दिया है कि लीबिया जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम की घटनाओं के प्रभावों को संभालने के लिए तैयार नहीं है। इन महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

डेर्ना में जो हुआ वह कल्पना से परे था क्योंकि एक रेगिस्तानी देश में ऐसी मूसलाधार बारिश के बारे में कभी किसी ने नहीं सोचा होगा इस प्रकार की भयंकर कहर ढहाने वाली बाढ़ इस सूखे इलाके में आएगी। राजनीतिक अस्थिरता के कारण वनों की कटाई और अवैध निर्माण ने देश में पर्यावरणीय गिरावट को और खराब कर दिया है। ध्यान रहे कि कटाई और निर्माण के कारण भूमि की बारिश को अवशोषित करने की क्षमता कम हो जाती है और सतही प्रवाह बढ़ जाता है, इससे बाढ़ का खतरा और बढ़ जाता है।

ध्यान रहे कि आज देश की राजधानी त्रिपोली में पश्चिमी देशों की समर्थक सरकार काम कर ही है। इसके चलते देश में दर्जनों सशस्त्र समूह प्रभावशाली बने हुए हैं। यह बात त्रिपोली में पिछले महीने हुई कई घातक झड़पों से और भी मजबूत हुई है। अफ़्रीकी महाद्वीप पर सबसे बड़ा तेल और गैस भंडार होने के बावजूद देश आपदा से निपटने के लिए पर्याप्त साधन नहीं है।

न्यूयार्क टाइम्स के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि लीबिया में विभिन्न अधिकारी बचाव प्रयासों के समन्वय के लिए कुछ हद तक ही एक साथ काम कर रहे हैं। प्रभावित क्षेत्रों में जीवित बचे लोगों के इलाज और लापता लोगों की तलाश के लिए चिकित्सा टीमों ने क्षेत्र में जुटना शुरू कर दिया है। इनमें त्रिपोली में सरकार द्वारा भेजे गए बचावकर्मी के साथ-साथ तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा भेजे गए अन्य लोग भी शामिल हैं। कई सहायता समूहों ने भी कहा कि वे लीबिया में अपनी सेवाएं बढ़ा रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि हम राहत संगठनों को आपातकालीन धन भेज रहा है और अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए लीबिया के अधिकारियों और संयुक्त राष्ट्र के साथ समन्वय कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने भी घोषणा की कि हम वहां पर काम करने वाले संगठनों के लिए वित्तीय सहायता और अन्य सहायता भेजेंगे।

हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में कितनी सहायता पहुंची है। डेर्ना सिटी काउंसिल ने कहा कि बेंगाजी कार द्वारा डर्ना से 180 मील से अधिक दूर है और बाढ़ के कारण क्षेत्र की कई सड़कें कट गई हैं। इसमें डर्ना के लिए समुद्री मार्ग खोलने और तत्काल अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप का आह्वान किया है।

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