क्या भूकम्पीय घटनाओं और सूर्य की तपिश के बीच है कोई नाता, वैज्ञानिकों ने खोला रहस्य

रिसर्च से पता चला है कि जब सूर्य की तपिश में बदलाव होता है, तो इसका असर धरती के गर्भ में मौजूद टेक्टोनिक प्लेटों की हलचलों पर भी पड़ता है
नेपाल में भूकंप से ध्वस्त मकान; फोटो: आईस्टॉक
नेपाल में भूकंप से ध्वस्त मकान; फोटो: आईस्टॉक
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शायद ही कोई ऐसा दिन होगा जब पृथ्वी के किसी न किसी कोने में भूकंप न आता है। यह ऐसी आपदा है जो हर साल हजारों लोगों की जान ले रही है। भूकंप एक ऐसी अबूझ पहेली हैं, जिसके बारे में वैज्ञानिक ज्यादा से ज्यादा जानना चाहते हैं। इसी कड़ी में जापानी वैज्ञानिकों ने अपने नए अध्ययन में खुलासा किया है कि सूर्य से आने वाली गर्मी पृथ्वी पर भूकंपीय गतिविधियों में भूमिका निभा सकती है।

जापान के सुकुबा विश्वविद्यालय और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड इंडस्ट्रियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी से जुड़े शोधकर्ताओं ने पाया है कि सूर्य से आने वाली तपिश से वातावरण का तापमान बदल जाता है।

इसका असर चट्टानों के गुणों और जमीन के नीचे बह रहे जल पर भी पड़ता है, जो भूकम्पीय घटनाओं की वजह बन सकते हैं। यह दर्शाता है कि सूर्य की गतिविधियों से भूकंप की आशंका को आंका जा सकता है।

मानचित्र में भूकंप संबंधी आंकड़े दर्शाए गए हैं, जिनमें भूकंप को पारदर्शी लाल बिन्दुओं से तथा प्लेट सीमाओं को काले रंग से चिह्नित किया गया है।
मानचित्र में भूकंप संबंधी आंकड़े दर्शाए गए हैं, जिनमें भूकंप को पारदर्शी लाल बिन्दुओं से तथा प्लेट सीमाओं को काले रंग से चिह्नित किया गया है।

इस अध्ययन के नतीजे वैज्ञानिक पत्रिका कैओस में प्रकाशित हुए हैं।

रिसर्च से पता चला है कि जब सूर्य की तपिश में बदलाव होता है, तो इसका असर धरती के गर्भ में मौजूद टेक्टोनिक प्लेटों की हलचलों पर भी पड़ता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह बदलाव चट्टानों को कमजोर बना सकते हैं, जिसकी वजह से उनके टूटने की आशंका बढ़ सकती है।

इस बारे में अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता मैथ्यूस हेनरिक जुनक्वेरा सालदान्हा ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है बारिश और पिघलती बर्फ टेक्टोनिक प्लेटों के किनारों पर दबाव में बदलाव कर सकती है।

गौरतलब है कि हमारी धरती कई टेक्टोनिक प्लेटों में बंटी है, जो लगातार धीमी गति से खिसकती रहती हैं। ऐसे में जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं या इनके बीच दबाव बढ़ता है, तो भूकंप के झटके महसूस होते हैं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक यह कारक भले ही भूकंप का प्रमुख कारण न हों, लेकिन यह भूकम्पीय घटनाओं में भूमिका निभा सकते हैं। ऐसे में इनसे हमें भूकंपीय गतिविधियों की भविष्यवाणी करने में मदद मिल सकती है।

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने भूकंप, सौर गतिविधि और सतह के तापमान का अध्ययन करने के लिए गणितीय मॉडल का उपयोग किया है। उन्होंने पाया है कि सतह के तापमान में होने वाले बदलावों को शामिल करने से भूकंप की बेहतर भविष्यवाणी करने में मदद मिलती है। खास तौर पर सतह के करीब आने वाले भूकंपों के लिए यह कहीं अधिक सटीक होती है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्मी और पानी ज्यादातर पृथ्वी की ऊपरी परतों को प्रभावित करते हैं। शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि उनका यह अध्ययन भूकंप के कारणों को समझने में मददगार साबित होगा।

गौरतलब है कि इससे पहले भी जर्नल सीस्मोलॉजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकशित अपने अध्ययन में वैज्ञानिकों न जानकारी दी थी कि वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि के कारण भविष्य में कहीं ज्यादा भूकंप आ सकते हैं, जो पहले से कहीं ज्यादा शक्तिशाली हो सकते हैं।

जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज और यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया से जुड़े शोधकर्ताओं के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का बढ़ता जल स्तर और तेज तूफान इसके लिए जिम्मेवार हैं।

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