मध्यप्रदेश के एक हिस्से में बाढ़ तो दूसरे में सूखे जैसे हालात

मध्यप्रदेश के पश्चिमी हिस्से के औसत से 31 प्रतिशत अधिक बारिश हो चुकी है, जबकि छिंदवाड़ा जिले में अब तक सबसे कम 54 फीसदी कम बारिश हुई है।
मध्यप्रदेश के रीवा स्थित एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट बाढ़ में बह गया। फोटो: मनीष चंद्र मिश्रा
मध्यप्रदेश के रीवा स्थित एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट बाढ़ में बह गया। फोटो: मनीष चंद्र मिश्रा
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मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में बारिश की कमी की वजह से किसान धान की बुआ नहीं कर पा रहे हैं तो कुछ इलाकों में इतनी बारिश हुई कि बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। मध्यप्रदेश में मानसून इस बार काफी अप्रत्याशित है। प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित 31 जिलों में सामान्य से 31 फीसदी अधिक बारिश हुई है, जबकि पूर्वी हिस्से के 12 जिलों में सिर्फ 2 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। प्रदेश में एक जून से 12 जुलाई तक 267.6 एमएम बारिश हुई जबकि इस अवधि में सामान्यतः 204.5 एमएम बारिश होती है।

प्रदेश के इस हिस्से में आने वाले जिलों में छिंदवाड़ा में सबसे कम -54 प्रतिशत यानि सामान्य से लगभग आधी बारिश बुई है। इसी हिस्से के जिले बालाघाट में सामान्य से 29 प्रतिशत कम, सीधी जिले में 35 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इसबार रतलाम, मुरैना और नीमच जैसे जिलों में क्रमशः 174, 114 और 91 प्रतिशत सामान्य से अधिक बारिश हुई है। वहीं पूर्वी क्षेत्र में आने वाले रीवा जिले में 25 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। इस वजह से कई स्थानों पर अतिवृष्टि के नुकसान भी देखने को मिल रहे हैं।

सामान्य बरसात वाला क्षेत्र में इसबार सूखा

मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक छिंदवाड़ा जिले में पिछले साल जून महीने में ही 265 एमएम की बारिश हुई थी। जून और जुलाई को मिलाकर इस जिले में पिछले साल मॉनसून अच्छा रहा था। साल 2017 में भी जून और जुलाई महीने में बारिश 370 एमएम हुई थी जिससे उस साल भी सूखे जैसे हालात नहीं बने थे। वहीं, होशंगाबाद जिले में पिछले साल जून-जुलाई में 635 एमएम की बारिश हुई थी, जहां इस वर्ष अबतक 34 फीसदी कम बारिश यानि 197 एमएम बारिश ही हो पाई है।  

कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात, रीवा स्थित एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट भी बहा

मध्यप्रदेश के सागर, सतना, रीवा, सीहोर और पन्ना जिले में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। लगातार बारिश से एशिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा प्लांट को भारी नुकसान हुआ है। पहाड़ों से बारिश का पानी तेज रफ्तार से आने की वजह से यूनिट नंबर-तीन की ढाई सौ से अधिक सौर प्लेटें बह गईं। पानी के तेज बहाव से सोलर पैनल, इन्वर्टर, केबल व ट्रांसफार्मर पैनल को भी भारी क्षति पहुंची है। इसकी वजह से यह यूनिट (150 मेगावाट) पूरी तरह से बंद हो गई है। हालांकि, अभी दो यूनिट से बिजली सामान्य रूप में बन रही है। रीवा जिले के मनगवां से प्रयागराज को जोडऩे वाले नेशनल हाइवे में गोदरी के पास सड़क कई हिस्सों में धंस गई।

वहीं, सागर के जैसीनगर इलाके के कई गांवों का संपर्क कट गया है। बिलहरा-महुआखेड़ा को जोड़ने के लिए बने पुल पर पानी आने से स्कूली बच्चों को भी भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. बेहिसाब बारिश से सागर जैसा ही हाल सतना का भी है। पन्ना जिले के बृजपुर गांव का संपर्क भी जिला मुख्यालय से कुछ दिनों के लिए कटा रहा। वहीं इसी जिले के कुछ गावों में बारिश की वजह से सड़क ढह गई।

क्यों हुई मुसलाधार बारिश?

मौसम केंद्र भोपाल के वरिष्ठ वैज्ञानिक जीडी मिश्रा के मुताबिक प्रदेश में बीते एक सप्ताह में कुछ स्थानों पर भारी से अति भारी बारिश देखी गई थी। इसकी वजह यहां के आसमान में निम्न दवाब क्षेत्र बनना है। हालांकि इस वक्त वह सिस्टम काम नहीं कर रहा और अब यह दवाब बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ गई है। प्रदेश के रीवा जिले में अब भी कुछ बारिश हो रही है जो कि अगले कुछ घंटों तक जारी रहेगी। मिश्रा के मुताबिक मॉनसून की बारिश अब संभवतः 17 जुलाई के बाद ही देखने को मिलेगी।

कहीं कम तो कहीं ज्यादा बारिश होने की वजहों के बारे में जीडी मिश्रा बताते हैं कि इसकी दो वजहें दिखती है। एक तो इसबार मॉनसून उतना तगड़ा नहीं जिस वजह से सभी जगह सामान्य रूप से बारिश नहीं हो रही है। अतिवृष्टि जैसे हालात पिछले दिनों निम्न दवाब क्षेत्र बनने की वजह से हुई था। मॉनसून के कमजोर होने की वजह से कहीं अधिक तो कहीं काफी कम बारिश हो रही है।

हालांकि, मिश्रा इसकी दूसरी वजह हरियाली की कमी और कार्बन डायऑक्साइड के अधिक उत्सर्जन को भी मानते हैं। उनका मानना है कि क्लाइमेंट चेंज होने की वजह से बारिश का पैटर्न बदल गया और मॉनसून में लगातार धीमी बारिश न होकर एकसाथ खूब बारिश हो जाती है जिससे बाढ़ जैसे हालात पैदा होते हैं। उन्होंने कहा कि तालाबों के खत्म होने से पानी रहवासी इलाके में जम रहा है और बाढ़ से लोग अधिक प्रभावित हो रहे हैं।

देश में मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा हिस्सा अतिवृष्टि की चपेट में

मौसम विभाग के मुताबिक मध्यप्रदेश के 16 जिलों में भारी मात्रा में बारिश, 17 जिलों अधिक और 12 जिलों में सामान्य बारिश हुई है। प्रदेश के 6 जिले अल्पवृष्टि के शिकार हुए हैं। दूसरे राज्यों से मध्यप्रदेश के बारिश की तुलना करें तो यहां सबसे बड़े भाग पर भारी बारिश हुई है। मसलन देश के 686 जिलों में 45 जिलों में अतिवृष्टि हुई जिसमें मध्यप्रदेश 16 जिले शामिल हैं। पूरे देश में 288 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। यानि कि 42 प्रतिशत हिस्सा बारिश की कमी झेल रहा है।

पांच सबसे कम वर्षा वाले जिले

जिला - वर्षा- सामान्य वर्षा- कमी (प्रतिशत में)

छिंदवाड़ा- 127-277-  (-54)

सीधी- 159- 244.2-  (-35)

होशंगाबाद- 197- 301- (-34)

बालाघाट- 247.1- 347- (-29)

गुना -151- 208- (-27)

पांच सबसे अधिक वर्षा वाले जिले

जिला - वर्षा- सामान्य वर्षा- वृद्धि (प्रतिशत में)

रतलाम- 516- 189- 174

मुरैना- 280.5- 120.9- 114

नीमच- 344.1- 174.6 - 97

झाबुआ- 367.4- 202.9- 81

दमोह- 400.5- 248.4- 61

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