डेढ़ दिन में साल के आधे से ज्यादा बारिश, मप्र के सात जिले बेहाल

मौसम विभाग के अनुसार शिवपुरी जिले में 2 और 3 अगस्त के 38 घंटे के अंदर 454.57 मिलीमीटर बारिश हुई, जो एक रिकॉर्ड है
श्योपुर के पहला गांव में राहत शिविर में ठहरे बच्चों को जब सामाजिक कार्यकर्ता ने खाना दिया, तो एक बच्ची ने पहला निवाला तोड़कर अपने पड़ोस के बच्चे को खिलाया। फोटो: राकेश मालवीय
श्योपुर के पहला गांव में राहत शिविर में ठहरे बच्चों को जब सामाजिक कार्यकर्ता ने खाना दिया, तो एक बच्ची ने पहला निवाला तोड़कर अपने पड़ोस के बच्चे को खिलाया। फोटो: राकेश मालवीय
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अजय शिवपुरी जिले के पोहरी ब्लॉक में सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह अपने ब्लॉक के कई गांवों में दो महीने पहले तालाबों को गहरा करवा रहे थे, ताकि बारिश का पानी जमा हो और गर्मियों में होने वाले जलसंकट से छुटकारा मिले, लेकिन अगस्त महीने के दो दिनों ने इस क्षेत्र को ऐसे संकट में डाल दिया कि जिन तालाबों को गहरा करवा रहे थे, उन्हीं तालाबों की पार फोड़कर पानी बाहर निकालना पड़ा। मध्य प्रदेश का यह इलाका बाढ़ के लिए नहीं जाना जाता है। अमूमन नर्मदा के आसपास के इलाकों में बाढ़ आती रही है। यहां बाढ़ आने की वजह भारी बारिश होना बताया जा रहा है। 

मौसम विभाग के अनुसार शिवपुरी जिले में 2 और 3 अगस्त के 38 घंटे के अंदर  454.57 मिलीमीटर बारिश हुई, जो एक रिकॉर्ड है। जिले में साल भर में जितनी बारिश होती है उसकी 55 प्रतिशत इसी अवधि में हो गई। जिले में अब तक 896.3 प्रतिशत बारिश दर्ज की जा चुकी है, जबकि यहां का औसत 816 मिलीमीटर का है। इसका नतीजा यह हुआ कि जिले की सिंध, कूनो, पार्वती, महुअर, नदियों सहित कई बड़ी छोटी नदियां उफान पर आ गईं। सबसे ज्यादा असर शिवपुरी, श्योपुर के ग्रामीण अंचलों में नजर आ रहा है। 

अतिवृष्टि से आई बाढ़ में इस क्षेत्र के दस हजार से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं, इनमें से आठ हजार को संकट से निकाला जा चुका है, जबकि लगभग दो हजार और लोगों को निकालने की कोशिशें जारी हैं। इसके लिए सेना की मदद भी ली जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरकार की ओर से जारी प्रेस नोट में बताया है कि प्रदेश में अतिवृष्टि और बाढ़ से शिवपुरी, श्योपुर, दतिया, ग्वालियर, गुना, भिंड और मुरैना जिलों के कुल 1225 गांव प्रभावित हैं। 

खबर लिखे जाने तक श्योपुर जिले के 32 गांवों से 1500 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। शिवपुरी के 90 गाँवों से 2000 और दतिया, ग्वालियर, मुरैना, भिंड के 240 गांवों से लगभग 5,950 लोगों को सुरक्षित निकाला है। 1950 लोगों को निकालने के प्रयास जारी हैं। इसके लिए 75 विशेष टीमें और 5 हेलीकॉप्टर लगाए गए हैं। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र बुधवार को खुद बाढ़ पीड़ित इलाकों में उतरे और राहत कार्य को अपने हाथों में लिया। 

अजय यादव ने डाउन टू अर्थ को बताया कि उनकी उम्र 42 साल हो गई है, लेकिन उन्होंने अपने जीवन में पहली बार क्षेत्र में इतनी अधिक बारिश देखी है, यहां तक कि ज्यादा उम्र वाले बुजुर्ग भी कह रहे हैं कि उन्होंने इतनी बरसा कभी नहीं देखी। इससे हर गांव कस्बे में हालात खराब होते जा रहे हैं। 

पूरे जिले की सही स्थिति अब भी पता नहीं चल रही है, क्योंकि सोमवार और मंगलवार को पूरे दिन हर कंपनी का मोबाइल नेटवर्क ही गायब रहा। बिजली सप्लाई बंद होने से लोग अपना मोबाइल चार्ज भी नहीं कर पा रहे हैं, अजय खुद अपना मोबाइल एक फॉर व्हीलर में चार्ज करके काम चला रहे हैं। भारी बारिश ने फसलों को पूरी तरह तबाह कर दिया है। पानी के साथ ऊपरी मिटटी भी खेतों से बह गई है। खेतों में सोयाबीन, टमाटर और अजवाइन की फसल पूरी तरह से तबाह हो गई है। 

श्योपुर जिले के कराहल ब्लॉक में हालात बुरे हैं। यहां पर पिछले चार दिनों से बिजली नहीं होने से लोग परेशान हैं। यहां के सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत थोरट ने बताया कि जेनरेटर से मोबाइल चार्ज करने पर सौ रुपए प्रति घंटा लिया जा रहा है, पेट्रोल पम्प और गैस मिलना मुश्किल हो रहा है, आटा भी डेढ़ सौ रुपए प्रति पैकेट मिलने लगा है, जो अमूमन 110 रुपए में मिल जाता है। 

बाढ़ से निचले इलाकों में रहने वाले लोग भारी मुसीबत झेल रहे हैं, उनकी संस्था महात्मा गांधी सेवा आश्रम ने राहत शिविरों में रह रहे लोगों के लिए चार सामुदायिक किचन तुरंत शुरू कर दिए हैं, लेकिन सब्जियों की सप्लाई बंद होने से केवल दाल—रोटी का ही प्रबंध हो पा रहा है। आने वाले दिनों में चुनौतियां और बढेंगी, लोगों में इस बात की चिंता है कि पानी उतरने के बाद उनका क्या होगा ? क्योंकि घरों में रहा साल भर खाने का पूरा अनाज ही भीग कर ख़राब हो गया है।

प्रशांत बताते हैं कि आपदा प्रबंधन योजना में इस इलाके को रिस्क जोन में डाला गया है, लेकिन इस पूरे इलाके में उसके इंतजाम नदारद हैं, यहां तक कि निचले पुलों की उंचाई तक नहीं बढ़ी है, जिससे सभी तरफ का रोड कनेक्शन टूट गया है, और मुश्किलें और बढ़ गई हैं। 

उधर अतिवृष्टि के चलते चंबल नदी में लगातार पानी बढ़ रहा है। कोटा बैराज से छोड़े गये पानी से भी जल स्तर और बढ़ेगा। अब यह भिंड और मुरैना जिले के संकट खड़ा करेगा। इन जिलों के निचले इलाकों में बसे गाँवों को खाली करवाया जा रहा है। भिंड में 800 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। मुरैना में गाँव खाली कराये जा रहे हैं। सिंध नदी में भी लगातार पानी बढ़ रहा है। इस क्षेत्र का रेल यातायात भी प्रभावित है।

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