प्रचंड चक्रवाती तूफान 'बिपरजॉय' जिसके 15 जून, 2023 को कच्छ के जखाऊ बंदरगाह में शाम पांच बजे टकराने के आसार हैं, 1982 के बाद से यह उत्तर हिंद महासागर में मॉनसून पूर्व या प्री-मॉनसून सीजन में सबसे अधिक समय तक रहा है।
संचित चक्रवात ऊर्जा (एसीई) चक्रवात की तीव्रता और समय को एक साथ जोड़ती है।
बिपरजॉय का एसीई 23.6 वर्ग समुद्री मील है, जो अप्रैल 2019 चक्रवात फानी और मई 2020 चक्रवात अम्फान से आगे निकल गया है, जिनके एसीई क्रमशः 21.96 और 19.75 थे। इस बात की जानकारी दक्षिण कोरिया में जेजू नेशनल यूनिवर्सिटी के टाइफून रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक विनीत कुमार ने डाउन टू अर्थ को बताया।
कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के अनुसार, मई 2023 चक्रवात मोका का एसीई 15.2 था।
जब सभी महीनों पर विचार किया जाता है, तो चक्रवात बिपरजॉय 2019 में 24.71 वर्ग समुद्री मील के साथ चक्रवात क्यार के बाद दूसरे स्थान पर है। 2015 चक्रवात चपाला 23.41 वर्ग समुद्री मील के एसीई के साथ और 2007 के चक्रवात गोनू 19.62 वर्ग समुद्री मील के एसीई के साथ क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर रहा।
कुमार ने बताया कि एसीई का तट पर होने वाले नुकसान से बहुत कम लेना-देना है, वर्तमान तूफानी हवाएं अधिक महत्वपूर्ण हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, टकराने के दौरान दौरान 115 से 125 से किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली तूफानी हवाओं के और तेज होकर 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार में तब्दील होने की आशंका है।
कुमार ने बताया कि, बिपरजॉय के भारी एसीई को इसकी ऊंची समुद्री सतह के तापमान और समुद्र की गर्मी के द्वारा समझाया जा सकता है। चक्रवात बनने के दौरान, समुद्र की सतह का तापमान 31 से 32 डिग्री सेल्सियस था, जो सामान्य से दो से तीन डिग्री सेल्सियस अधिक था।
सात से नौ जून तक समुद्र की गर्मी की मात्रा 80 किलोजूल (केजे) के करीब थी। 40 केजे से अधिक मात्रा चक्रवात की तीव्रता को बढ़ती है।
कुल मिलाकर, अप्रैल से जून तक उत्तर हिंद महासागर में एसीई 14 जून की शाम तक 37.9 वर्ग समुद्री मील तक पहुंच गया है। इसके साथ, 2023 ने 1982 के बाद से पहला स्थान हासिल किया है। वर्ष 2019 और 2007 ने क्रमशः 37.67 वर्ग समुद्री मील और 23.2 वर्ग समुद्री मील के एसीई के साथ दूसरा स्थान और तीसरा स्थान हासिल किया।
इसके अलावा, नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने जून 2023 में अल नीनो के आगमन की घोषणा की। एल नीनो एक आवर्ती जलवायु पैटर्न का गर्म चरण है जो मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान के गर्म करने से जुड़ा है। साल 2019 और 2007 भी अल नीनो साल थे।
वैगरीज ऑफ द वेदर, वेदर ब्लॉग के अनुसार, बिपरजॉय ने अब तक का रिकॉर्ड भी तोड़ा है। 216 घंटे की अवधि के साथ, बिपरजॉय ने अप्रैल-जून से प्री-मानसून सीजन में आने वाले चक्रवात का पहला स्थान हासिल कर लिया है, इसके बाद जून 1998 में चक्रवात आया था जो 186 घंटे तक बना रहा और साथ ही मई 2001 में चक्रवात और 2019 में चक्रवात वायु, दोनों जिनमें से 150 घंटे तक चले।
कुमार ने बताया कि, अरब सागर में, बिपरजॉय का जीवनकाल पूर्व और मॉनसून के बाद दोनों में सबसे अधिक है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे के विजिटिंग प्रोफेसर रघु मुर्तुगुड्डे ने कहा, "बिपरजॉय के इतने लंबे समय तक चलने का कारण अरब सागर के पानी का गर्म होना है।"
उन्होंने कहा, बिपरजॉय इस बात का एक उदाहरण है कि कैसे जलवायु परिवर्तन, विशेष रूप से ऊपरी महासागर में गर्माहट, चक्रवातों की धीमी गति और लंबे समय तक चलने में योगदान दे रहा है।
कुमार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, चक्रवात अपने जीवनकाल में दो बार तीव्र हुआ। छह और सात जून की सुबह से हवा की गति 30 से बढ़कर 75 समुद्री मील हो गई, 24 घंटों में यह 45 समुद्री मील की वृद्धि है।
ज्वाइंट टाइफून वार्निंग सेंटर के अनुसार, दूसरी तीव्रता 10 से 11 जून की शाम से दर्ज की गई, जहां हवा की गति 65 से बढ़कर 105 समुद्री मील हो गई, जो कि 24 घंटे में 40 समुद्री मील की वृद्धि हुई।