उत्तराखंड: चंपावत में 24 घंटे में 593 और नैनीताल में 535 मिलीमीटर बारिश, भारी नुकसान

कुमाऊं क्षेत्र में पंतनगर और मुक्तेश्वर में 24 घंटे के दौरान बारिश के ऑलटाइम रिकॉर्ड से करीब दोगुना ज्यादा बारिश हुई। पिछले रिकॉर्ड मानसून सीजन में बने थे
उत्तराखंड में भारी बारिश  का कहर जारी है। फोटो: twitter@satyaprad1
उत्तराखंड में भारी बारिश का कहर जारी है। फोटो: twitter@satyaprad1
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पिछले तीन दिन से उत्तराखंड में हो रही बारिश ने न सिर्फ अक्टूबर में होने वाली बारिश के पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं, बल्कि कुछ जगहों पर किसी भी मौसम में 24 घंटे के दौरान अब तक हुई सबसे ज्यादा बारिश से दोगुनी बारिश भी दर्ज की गई है। इस बेमौसमी बारिश से 22 और लोगों की मौत होने की सूचना है। इससे पहले 6 लोगों की मौत हो चुकी थी। तीन दिन में अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है।

मौसम वैज्ञानिक इस बारिश का अप्रत्याशित बता रहे हैं। अब तक उत्तराखंड में किसी भी स्थान पर अक्टूबर के महीने में 24 घंटे के दौरान सबसे ज्यादा 6 अक्टूबर 2009 को पंतनगर में रिकॉर्ड की गई थी। इस बार चम्पावत में 22 घंटे के दौरान 579.0 मिमी बारिश हुई। नैनीताल में 535 मिमी बारिश दर्ज की गई। 

अक्टूबर की यह बारिश कुमाऊं मंडल के लिए बेहद नुकसानदेह सााबित हुई। यहां सभी जिलों में 48 घंटे के लगातार मूसलाधार बारिश होने के कारण अब तक 22 लोगों की मौत हो जाने की सूचना है। 16 लोगों की मौत नैनीताल जिले के दो गांवों में हुई है। रामगढ़ ब्लॉक के झुतिया गांव में मलबा आने से घर में सो रहे एक ही परिवार के 9 लोगों की मौत हुई है। परिवार का एक सदस्य जान बचाकर भाग गया, लेकिन वह भी गंभीर रूप से घायल है।

नैनीताल जिले के ही धारी तहसील के एक अन्य गांव चौखुटा में मलबे की चपेट में आने से छह मजदूरों की मौत हो जाने की खबर है। बताया जाता है कि ये मजदूर यहां निर्माण कार्य में लगे थे और एक मकान में रहते थे। नैनीताल जिले के भीमताल में भी एक मकान ढहने से एक बच्चे की मौत हुई है।

अल्मोड़ा जिले में भिकियासैंण तहसील के रापड़ गांव में मलबा आने से एक पत्रकार आनन्द सिंह नेगी और उनके साथ रह रहे उनकी बहन के दो बच्चों की मौत हो गई। अल्मोड़ा जिले के हीरा डूंगरी में मकान की दीवार गिरने से एक किशोरी की मौत हो गई। बागेश्वर जिले की कपकोट तहसील के भगार गांव में पहाड़ी से गिरे पत्थर की चपेट में आने एक युवक की मौत हुई है।

कुमाऊं क्षेत्र में फिलहाल सामान्य जनजीवन बुरी तरह अस्त-व्यस्त है। नैनीताल जिले में नैनी झील का पानी ओवरफ्लो हो रहा है। नैनीताल में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन शाह ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है, जबकि झील का पानी ओवर फ्लो हुआ हो।

उनका कहना है कि झील से भारी मात्रा में निकल रहा पानी उनके घर के दोनों ओर से निकल रहा है। रात से उनका परिवार बेहद सहमा हुआ है। ऐसा लग रहा है, वे किसी टापू पर रह रहे हों। हल्द्वानी में भी बारिश ने खूब कहर बरपाया है। यहां गौला नदी का पुल सुबह बह गया।

हल्द्वानी में यह एक प्रमुख संपर्क पुल था। हल्द्वानी शहर से लगते कोठगोदाम रेलवे स्टेशन का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। यहां आने वाली सभी गाड़ियां रद्द कर दी गई हैं। ऊधमसिंह नगर के टनकपुर में भी शारदा नदी के बहाव के कारण 100 मीटर रेल लाइन बह गई है। ऊधमसिंह नगर के जिला मुख्यालय रुद्रपुर में 24 घंटे में 483 मिमी और इसी जिले के गूलरभोज में 473 मिमी बारिश हुई।

गढ़वाल मंडल के चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों में भारी बारिश हुई है। चमोली जिले के जोशीमठ में 185 मिमी और रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय में 109 मिमी बारिश दर्ज की गई। टिहरी जिले के देवप्रयाग में 121 मिमी और श्रीनगर में 128 मिमी बारिश हुई। ये सभी जगह केदारनाथ-बदरीनाथ मार्ग पर स्थिति हैं। ऋषिकेश-बदरीनाथ और रुद्रप्रयाग-केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग जगह-जगह बंद है, जिससे इन मार्गों में हजारों तीर्थयात्री अब भी फंसे हुए हैं।

इस बीच मौसम विभाग ने कुमाऊं क्षेत्र में पंतनगर और मुक्तेश्वर में 24 घंटे के दौरान हुई सबसे ज्यादा बारिश के आंकड़े जारी किये हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि इन दोनों जगहों पर पिछले 24 घंटे के दौरान हुई बारिश अब तक के ऑल टाइम रिकॉर्ड से करीब दोगुनी रही है। पंतनगर में बारिश के आंकड़े 25 मई 1962 से दर्ज किये जा रहे हैं।

यहां अब तक 24 घंटे के दौरान 10 जुलाई 1990 को सबसे ज्यादा 228 मिमी बारिश हुई थी, लेकिन 18 अक्टूबर 2021 सुबह 8.30 बजे से 19 अक्टूबर 2021 की सुबह 8.30 बजे तक यहां 403.2 मिली बारिश दर्ज की गई।

इसी तरह मुक्तेश्वर में 1 मई 1897 से बारिश के आंकड़े दर्ज किये जा रहे हैं। यहां अब तक 24 घंटे के दौरान सबसे ज्यादा बारिश18 सितम्बर 1914 को 254.5 मिमी दर्ज की गई थी, जबकि इस बार यहां 24 घंटे के दौरान 340.8 मिमी बारिश हुई है।

जून 2013 जैसे परिस्थितियां
अक्टूबर में इतनी भारी बारिश क्यों हुई? इस बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तराखंड में एक बार फिर ठीक वैसी ही परिस्थितियां बनी जैसी 16-17 जून 2013 बनी थी, जब केदारनाथ सहित राज्य के अन्य हिस्सों में तबाही हुई थी।

उत्तराखंड वानिकी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के अध्यक्ष एवं भूवैज्ञानिक डॉ. एसपी सती कहते हैं कि यदि मानसून को हटा दिया जाए तो इस बार वातावरण में जून 2013 जैसी स्थिति बनी।

वे कहते हैं कि एक मजबूत पश्चिमी विक्षोभ उत्तराखंड में सक्रिय था और इसी के साथ इस क्षेत्र में एक कम दबाव वाला क्षेत्र बन गया। इससे बंगाल की खाड़ी तक की हवाएं इस क्षेत्र में जमा हो गई, जिसका नतीजा यह अप्रत्याशित बारिश रही।

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